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अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता और मॉनिटरिंग के लिए बनेगा ऑनलाइन सिस्टम, आरएमएससीएल की एमडी ने किया निरीक्षण - Management system for medicines

राजस्थान के अस्पतालों में मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना के तहत दवाओं की उपलब्धता, मांग एवं आपूर्ति के बेहतर प्रबंधन, नियमित मॉनिटरिंग एवं समयबद्धता को लेकर गाइडलाइन तैयार की जा रही है. बुधवार को इसे लेकर आरएमएससीएल की एमडी ने निरीक्षण किया.

RMSCL MD inspection of drug store
आरएमएससीएल की एमडी ने किया निरीक्षण
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 1, 2024, 8:15 PM IST

जयपुर. प्रदेश के अस्पतालों में मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना के तहत दवाओं की उपलब्धता, मांग एवं आपूर्ति के बेहतर प्रबंधन, नियमित मॉनिटरिंग एवं समयबद्धता को लेकर गाइडलाइन तैयार की जा रही है, ताकि रोगियों को दवाओं की उपलब्धता में किसी तरह की बाधा नहीं आए. राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन की प्रबंध निदेशक नेहा गिरि ने बुधवार को सवाई मानसिंह चिकित्सालय में केन्द्रीय औषधि भंडार गृह, लाइफ लाइन ड्रग स्टोर, सब स्टोर एवं दवा वितरण केन्द्रों के निरीक्षण किया.

इस मौके पर गिरी ने कहा कि आवश्यक दवा सूची में शामिल शत-प्रतिशत दवाओं की उपलब्धता के लिए ऑनलाइन मैनेजमेंट सिस्टम विकसित किया जा रहा है. इससे दवाओं के उपभोग एवं उपलब्धता की रियल टाइम मॉनिटरिंग हो सकेगी. एसएमएस अस्पताल में केन्द्रीय औषधि भंडार गृह के निरीक्षण के दौरान उन्होंने निर्देश दिए कि दवाओं के उपभोग पैटर्न का नियमित रूप से विश्लेषण करते हुए दवाओं की वास्तविक मांग का प्रस्ताव तैयार किया जाए.

पढ़ें: Jodhpur News: निःशुल्क दवा योजना के दावे जोधपुर में हारे, मरीजों को बाहर से लानी पड़ रही दवाइयां

गाइडलाइन के अनुसार भंडार गृह एवं सब स्टोर में दवाओं का बफर स्टॉक रखा जाए. दवाओं की अनुपलब्धता से पहले ही इंडेंट जनरेट करने की कार्रवाई की जाए. साथ ही भंडार गृह से दवा वितरण केन्द्रों पर दवाओं की आपूर्ति सुचारू रूप से की जाए. उन्होंने निकट भविष्य में अवधिपार होने वाली दवाओं का उपयोग पहले करने तथा अवधिपार हो चुकी दवाओं का नियमानुसार डिस्पोजल करने के निर्देश दिए.

पढ़ें: राजस्थान की निःशुल्क दवा योजना देश में एक बार फिर अव्वल

गिरि ने निरीक्षण के दौरान कम्प्यूटर पर ई-औषध सॉफ्टवेयर के माध्यम से दवाओं की मांग, आपूर्ति एवं अनुपलब्धता के बारे में जानकारी ली. उन्होंने फार्मासिस्ट एवं कम्प्यूटर कर्मियों को निर्देश दिए कि दवाओं की उपलब्धता के संबंध में डाटा नियमित रूप से अपडेट किया जाए. साथ ही जिन दवाओं का स्टॉक एक माह के बफर स्टॉक से कम रह जाए तभी उनका इंडेंट जारी करने की कार्रवाई करें. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि दवाओं की आवश्यकता के संबंध में अस्पताल के विभिन्न विभागों के बीच भी उचित समन्वय रहे.

पढ़ें: चिकित्सक के लिखने के एक घंटे के अंदर जीवन रक्षक दवाएं मुहैया कराए सरकार :कोर्ट

प्रबंध निदेशक ने ओपीडी में कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी सहित अन्य विभागों में निःशुल्क दवा वितरण केन्द्रों का निरीक्षण किया और दवाओं की उपलब्धता के बारे में जानकारी ली. उन्होंने इस दौरान रोगियों एवं उनके परिजनों से भी संवाद कर दवाओं की उपलब्धता के बारे में फीडबैक लिया. उन्होंने कहा कि औषधि भंडार गृहों एवं दवा वितरण केन्द्रों पर दवाओं का रख-रखाव नियमानुसार किया जाए. सभी स्थानों पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए.

जांच मशीनों की हो मेंटीनेंस हो: गिरि ने अस्पताल में उपलब्ध जांच मशीनों एवं उपकरणों की क्रियाशीलता के बारे में भी जानकारी ली. उन्होंने कहा कि जांच मशीनों एवं उपकरणों का नियमित मेंटीनेंस सुनिश्चित करें. उन्होंने इस संबंध में एसएमएस अस्पताल के वित्तीय सलाहकार को निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि इसमें किसी भी तरह की समस्या हो तो आरएमएससीएल को अवगत कराएं. साथ ही नोडल अधिकारी डॉ राजेंद्र बागड़ी को निर्देश दिए कि वे केटीपीएल के प्रतिनिधियों के साथ नियमित बैठक कर मशीनों एवं उपकरणों के मेंटीनेंस की मॉनिटरिेंग करें. इस संबंध में चिकित्सा अधीक्षक को भी वस्तुस्थिति से अवगत कराएं.

जयपुर. प्रदेश के अस्पतालों में मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना के तहत दवाओं की उपलब्धता, मांग एवं आपूर्ति के बेहतर प्रबंधन, नियमित मॉनिटरिंग एवं समयबद्धता को लेकर गाइडलाइन तैयार की जा रही है, ताकि रोगियों को दवाओं की उपलब्धता में किसी तरह की बाधा नहीं आए. राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन की प्रबंध निदेशक नेहा गिरि ने बुधवार को सवाई मानसिंह चिकित्सालय में केन्द्रीय औषधि भंडार गृह, लाइफ लाइन ड्रग स्टोर, सब स्टोर एवं दवा वितरण केन्द्रों के निरीक्षण किया.

इस मौके पर गिरी ने कहा कि आवश्यक दवा सूची में शामिल शत-प्रतिशत दवाओं की उपलब्धता के लिए ऑनलाइन मैनेजमेंट सिस्टम विकसित किया जा रहा है. इससे दवाओं के उपभोग एवं उपलब्धता की रियल टाइम मॉनिटरिंग हो सकेगी. एसएमएस अस्पताल में केन्द्रीय औषधि भंडार गृह के निरीक्षण के दौरान उन्होंने निर्देश दिए कि दवाओं के उपभोग पैटर्न का नियमित रूप से विश्लेषण करते हुए दवाओं की वास्तविक मांग का प्रस्ताव तैयार किया जाए.

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गाइडलाइन के अनुसार भंडार गृह एवं सब स्टोर में दवाओं का बफर स्टॉक रखा जाए. दवाओं की अनुपलब्धता से पहले ही इंडेंट जनरेट करने की कार्रवाई की जाए. साथ ही भंडार गृह से दवा वितरण केन्द्रों पर दवाओं की आपूर्ति सुचारू रूप से की जाए. उन्होंने निकट भविष्य में अवधिपार होने वाली दवाओं का उपयोग पहले करने तथा अवधिपार हो चुकी दवाओं का नियमानुसार डिस्पोजल करने के निर्देश दिए.

पढ़ें: राजस्थान की निःशुल्क दवा योजना देश में एक बार फिर अव्वल

गिरि ने निरीक्षण के दौरान कम्प्यूटर पर ई-औषध सॉफ्टवेयर के माध्यम से दवाओं की मांग, आपूर्ति एवं अनुपलब्धता के बारे में जानकारी ली. उन्होंने फार्मासिस्ट एवं कम्प्यूटर कर्मियों को निर्देश दिए कि दवाओं की उपलब्धता के संबंध में डाटा नियमित रूप से अपडेट किया जाए. साथ ही जिन दवाओं का स्टॉक एक माह के बफर स्टॉक से कम रह जाए तभी उनका इंडेंट जारी करने की कार्रवाई करें. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि दवाओं की आवश्यकता के संबंध में अस्पताल के विभिन्न विभागों के बीच भी उचित समन्वय रहे.

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प्रबंध निदेशक ने ओपीडी में कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी सहित अन्य विभागों में निःशुल्क दवा वितरण केन्द्रों का निरीक्षण किया और दवाओं की उपलब्धता के बारे में जानकारी ली. उन्होंने इस दौरान रोगियों एवं उनके परिजनों से भी संवाद कर दवाओं की उपलब्धता के बारे में फीडबैक लिया. उन्होंने कहा कि औषधि भंडार गृहों एवं दवा वितरण केन्द्रों पर दवाओं का रख-रखाव नियमानुसार किया जाए. सभी स्थानों पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए.

जांच मशीनों की हो मेंटीनेंस हो: गिरि ने अस्पताल में उपलब्ध जांच मशीनों एवं उपकरणों की क्रियाशीलता के बारे में भी जानकारी ली. उन्होंने कहा कि जांच मशीनों एवं उपकरणों का नियमित मेंटीनेंस सुनिश्चित करें. उन्होंने इस संबंध में एसएमएस अस्पताल के वित्तीय सलाहकार को निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि इसमें किसी भी तरह की समस्या हो तो आरएमएससीएल को अवगत कराएं. साथ ही नोडल अधिकारी डॉ राजेंद्र बागड़ी को निर्देश दिए कि वे केटीपीएल के प्रतिनिधियों के साथ नियमित बैठक कर मशीनों एवं उपकरणों के मेंटीनेंस की मॉनिटरिेंग करें. इस संबंध में चिकित्सा अधीक्षक को भी वस्तुस्थिति से अवगत कराएं.

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