रायपुर: छत्तीसगढ़ में डॉग बाइट के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. डॉग कभी सड़क पर चलने वाले लोगों को काट रहे हैं तो कभी बच्चों पर हमला कर रहे हैं. कुत्तों के हमले की कई खबरें सामने आ चुकी हैं. कुछ लोगों की तो मौत तक हो चुकी है. डॉग बाइट की घटनाएं कम होने के बजाए दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं. छत्तीसगढ़ मानव अधिकार आयोग ने डॉग बाइट्स को लेकर अब संज्ञान लिया है.
1 साल में 1 लाख 20 हजार लोग डॉग बाइट के शिकार: आयोग की मानें तो प्रदेश में साल 2023 में लगभग 1 लाख 20 हजार लोगों को कुत्तों ने काटा. जिसमें तीन लोगों की मौत हुई. यह जानकारी आयोग ने स्वास्थ्य विभाग से आंकड़े लेकर सार्वजनिक किए. मानव अधिकार आयोग ने नगर निगम को भी बढ़ रही डॉग बाइट की घटनाओं को रोकने के निर्देश और साथ में सलाह भी दी है. लगातार बढ़ रही डॉग बाइट पर अधिकार आयोग ने लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने की भी बात कही है.
चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए: मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष गिरधारी नायक ने कहा है कि ''हमने प्रदेश के सभी जिलों से डॉग बाइट्स की जानकारी इकट्ठी की है. जो जानकारी सामने आई है वो काफी चौंकाने वाली है. छत्तीसगढ़ में 1 जनवरी 2023 से लेकर 31 दिसंबर 2023 के बीच कुल 1 लाख 19 हजार 928 डॉग बाइट की घटना देखने को मिली. इन सभी के वैक्सीनेशन किए जाने की जानकारी स्वास्थ्य विभाग की ओर से दी गई है. इसमें तीन लोगों के मौत की भी जानकारी मिली. जिन तीन लोगों की मौत हुई उसमेंं राजनंदगांव ,कोरबा और बलौदाबाजार के एक एक लोग शामिल हैं.
''मीडिया में प्रकाशित खबर के अनुसार भारत में 2023 में डॉग बाइट्स से 286 लोगों की मौत की जानकारी दी गई है. इस जानकारी को हम जनता तक पहुंचाना चाहते हैं. डॉग बाइट के बाद पीड़ित को 6 इंजेक्शन लेना पड़ता है, एंटी रेबीज बहुत जरूरी है, नहीं तो रेबीज संक्रमण से उसकी मौत होने की संभावना होती है. एनिमल एक्ट 11 (3) के तहत प्रावधान है कि यदि किसी कुत्ते में वायलेंस क्रिएट किया है तो उसमें कारवाई का प्रावधान है, क्योंकि लोगों में यह भावना है कि पशु दया के कारण कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है ऐसा नहीं है''. - गिरधारी नायक, अध्यक्ष, मानव अधिकार आयोग, छत्तीसगढ़
अधिनियम में होते रहे हैं संशोधन: पशुओं की प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 निरंतर संशोधन होते रहे हैं. धारा 11 की उपधारा 1 के तहत पशुओं के प्रति यदि किसी व्यक्ति द्वारा क्रूरता की जाती है तो उसके संबंध में दंड का प्रावधान है. इसी धारा के उपधारा 11 (ख) में आवारा कुतों में दुर्दांत अथवा मानव जीवन के लिए खतरा होने की स्थिति में प्राणहर कक्षों में या अन्य ढंग से नष्ट किये जाने का भी उपबंध है. यह सामान्यतः पागल हो चुके डॉग पर लागू होता है.
''डॉग की संख्या बढ़ रही है, इसमें स्ट्रीट डॉग भी शामिल होता है. वह समय समय पर हिंसक भी हो जाते हैं, ऐसे में कई बार इंसानों पर भी हमला कर देते हैं, इसलिए डॉग पॉपुलेशन को कंट्रोल करना बहुत बड़ा मुद्दा है, जिससे एक नगर निगम के द्वारा जानकारी दी गई है कि मामले में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए निगम अधिकारियों को सूचित किया गया है.'' - गिरधारी नायक, अध्यक्ष, मानव अधिकार आयोग, छत्तीसगढ़
रायपुर में बढ़ी डॉग बाइट की घटनाएं: सबसे ज्यादा डॉग बाइट के मामले रायपुर में देखने को मिले हैं. यहां 15 हजार 953 डॉग बाइट की घटनाएं सामने आई हैं. जबकि बिलासपुर डॉग बाइट के मामलों में दूसरे स्थान पर है. दुर्ग में 11084 डॉग बाइट की घटनाएं सामने आई. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ मानव अधिकार आयोग ने नगर निगम सहित संबंधित विभाग को उचित कदम उठाने की सलाह दी है. मानव अधिकार आयोग ने कहा है कि डॉग बाइट की संख्या में कमी लाने की कोशिश की जाए और संख्या को भी नियंत्रित किया जाए.