नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और एनएसयूआई (NSUI) से सचिव पद की महिला प्रत्याशी भी अपना दमखम दिखा रही हैं. ऐसे में ETV Bharat ने डूसू चुनाव में सचिव पद की प्रत्याशी मित्रविंदा कर्णवाल से बातचीत की. डूसू चुनाव में महिलाओं (छात्राओं) के मुद्दों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में मित्रविंदा ने कहा कि विद्यार्थी परिषद हर साल डूसू चुनाव में अपने दो घोषणा पत्र जारी करती है. एक घोषणा पत्र महिलाओं के मुद्दों पर केंद्रित और दूसरा सभी छात्र-छात्राओं पर केंद्रित. इस बार के चुनाव में भी हमने महिलाओं के लिए अलग से महिला घोषणा पत्र निकाला है.
महिला केंद्रित घोषणा पत्र में प्रमुख रूप से छात्राओं के लिए अधिक से अधिक हॉस्टल आवंटन, महिला पीसीआर हर कॉलेज के बाहर की तैनाती, सैनेटरी पैड वेंडिंग मशीन लगे. ये सारे काम एबीवीपी ने अपने पिछले घोषणा पत्र में से पूरे कराए हैं. वामिका नाम की पीसीआर कॉलेज और कैंपस के बाहर तैनात रहती है. सैनेटरी पैड वेंडिंग मशीनें भी बहुत सारे होस्टल और कॉलेज में लगी हैं. इसी तरह स्ट्रीट लाइट भी लगी हैं.
महिला कॉलेजों में एक स्त्री रोग विशेषज्ञ और एक काउंसलर की मांगः एबीवीपी की पहल पर विश्वविद्यालय द्वारा महिला सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है. मित्रविंदा ने कहा कि हमने इस बार के अपने घोषणा पत्र में महिला कॉलेजों में एक स्त्री रोग विशेषज्ञ और एक काउंसलर की तैनाती की आवश्यकता पर भी जोर दिया है. मित्रविंदा ने आगे बताया कि मैं खुद महिला महाविद्यालय से हूं. मेरा कॉलेज भी ऑफ कैंपस है. इसलिए मैंने खुद छात्राओं की समस्या को देखा है. छात्राओं के लिए महिला कॉलेज में स्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर और एक काउंसलर की तैनाती जैसे महिला महत्व के मुद्दों को लेकर एबीवीपी डूसू चुनाव में मजबूती से छात्राओं के बीच जा रही है.
एबीवीपी के कार्यकर्ताओं को देख राजनीति में बढ़ी रूचीः डूसू चुनाव लड़ने की प्रेरणा कहां से मिली इस सवाल पर सचिव पद की प्रत्याशी ने कहा कि मैं उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के एक छोटे से कस्बे चांदपुर के सामान्य परिवार की रहने वाली हूं. जब मैंने तीन साल पहले लक्ष्मीबाई कॉलेज में स्नातक में दाखिला लिया तो देखा एबीवीपी के कार्यकर्ता किस तरह से नए छात्र-छात्राओं की हर समस्या के समाधान में मदद कर रहे हैं. इनको देखकर मेरे अंदर भी रुचि बढ़ी कि किस तरहे से हम दूसरे छात्र-छात्राओं के काम आ सकते हैं. इसके बाद मैं विद्यार्थी परिषद से जुड़ी.
विद्यार्थी परिषद ने मुझे बनाया सशक्तः परिषद ने मुझे सशक्त किया और कॉलेजे के चुनाव के लिए तैयार किया. मैंने पहली बार कॉलेज के छात्र संघ का चुनाव लड़ा. इसके बाद संगठन ने मुझे यह ऐहसास दिलाया कि तुम्हारे अंदर इतनी सामर्थ्य है कि तुम डूसू चुनाव लड़ सकती हो और कॉलेज नहीं पूरे विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं की समस्याओं को लेकर लड़ सकती हो. आज मैं स्नातक अंतिम वर्ष में डूसू चुनाव लड़ने के लिए खड़ी हूं तो इसके पीछे सारा श्रेय मेरे विद्यार्थी परिषद के संगठन को जाता है.
रियायती मेट्रो पास को घोषणा पत्र में फिर किया शामिलः क्या डूसू के पास इतनी शक्ति होती है कि आप अपने घोषणा पत्र में किए गए सारे वायदों को पूरा सकती हैं. इस सवाल के जवाब में मित्रविंदा ने कहा कि एबीवीपी लीडर डूसू के पास इतनी पावर होती है कि वह अपने चुनावी घोषणा पत्र के वायदों को पूरा कराने के लिए लड़ सकता है. हम वायदों को पूरा भी कराते हैं. हम वायदे से भागते नहीं इसलिए रियायती मेट्रो पास को फिर घोषणा पत्र में शामिल किया.रियायती मेट्रो पास में सबसे बड़ी भूमिका दिल्ली सरकार की है. लेकिन, उनकी तरफ से कुछ नहीं किया जा रहा है. इसके लिए भी हम लगातार संघर्ष कर रहे हैं. जब तक हमारी यह मांग पूरी नहीं होती तब हम संघर्ष करते रहेंगे. छात्रों की समस्या के लिए एबीवीपी हमेशा लगातार संघर्ष करती है.
हम और संगठनों की तरह बरसाती मेंढक नहींः हम और संगठनों की तरह बरसाती मेंढक नहीं हैं कि चुनाव के समय बाहर आएं. एबीवीपी पैनल की डूसू चुनाव में जीत होने के बाद छात्राओं का ऐसा सबसे बड़ा कौन सा मुद्दा है जिसका आप सबसे पहले समाधान कराने की कोशिश करेंगी. इस सवाल के जवाब में मित्रविंदा ने कहा कि मुझे पूरा विश्ववास है कि हमारा पैनल ही जीत कर आएगा. इसलिए मैं सबसे पहले अधिक से अधिक महिला छात्रावास के निर्माण के मुद्दे पर काम करूंगी.n:जिन कॉलेजों में महिला छात्रावास नहीं हैं, उनमें बनाए जाएं. इसकी मांग विश्वविद्यालय प्रशासन से करेंगे.
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