जोधपुर: सर्वपितृ अमावस्या पर बुधवार को पितरों की आत्मा की शांति के लिए शहर के जलाशयों पर तर्पण किया गया. इस मौके पर ब्राह्मणों और पशु-पक्षियों को भोजन कराया गया और दान-पुण्य आदि किए गए. इस बार अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण है, लेकिन भारत में इसका असर नहीं पड़ने से यहां सूतक लागू नहीं हुआ. इसके साथ ही गत 18 सितंबर से शुरू हुए श्राद्ध पक्ष का समापन सर्व पितृ अमावस्या के साथ हो जाएगा.
शहर के गुलाब सागर और पद्मसागर पर बुधवार को नदी में बड़ी संख्या में लोगों ने अपने पूर्वजों का तर्पण किया. उनका श्राद्ध करके पिंडदान किया और उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना की. पंडित धर्मेंद्र बिस्सा ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष के बिना पितरों की आत्मा को शांति नहीं मिलती.
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उन्होंने बताया कि वे श्राद्ध पक्ष में धरती पर आते हैं और श्राद्ध, तर्पण आदि से प्रसन्न होकर अपने परिजनों को आशीर्वाद देते हैं. इस दिन ब्राह्मण भोज और उन्हें दक्षिणा देकर आशीर्वाद लिया जाता है. पशु-पक्षियों को भोज करवाया जाता है और पितरों की पूजा की जाती है. बाद में उन्हें अपने स्थान भेजा जाता है. पंडित बिस्सा के अनुसार 15 दिन के श्राद्ध पक्ष में अगर किसी ने अपने पूर्वजों का श्राद्ध नहीं किया या किसी तरह का तर्पण नहीं किया है तो सर्व पितृ अमावस्या के दिन वह तर्पण कर पूरा पुण्य प्राप्त कर सकता है. इस दिन सभी पूर्वजों के नाम से एक साथ तर्पण किया जा सकता है.