बाड़मेर: दीपावली और धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है. ऐसे में बाड़मेर के महालक्ष्मी मंदिर के दर्शनों का भी विशेष महत्व है. यह मंदिर शहर के स्टेशन रोड पर श्रीमाली बगेची भवन में स्थित है. इस मंदिर का इतिहास भले ही ज्यादा पुराना ना हो, लेकिन यहां श्रीमाली समाज के साथ सर्व समाज के लोगों की गहरी आस्था जुड़ी है.
श्रीमाली समाज के सदस्य किशोर शर्मा बताते हैं कि इस मंदिर में फरवरी 2011 में महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित की गई थी. यह साढ़े चार फीट की संगमरमर से निर्मित प्रतिमा है. प्रतिमा के दोनों तरफ हाथी बने हुए हैं जो माता लक्ष्मी पर जलाभिषेक कर रहे हैं. यह प्रतिमा कमल के पुष्प पर विराजित है. उन्होंने बताया कि श्राद्ध पक्ष से ही मंदिर में कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं और कार्तिक मास की पूर्णिमा तक चलते हैं. धनतेरस से लेकर दीपावली तक महिलाएं मंदिर में दीपदान करती है. इसके अलावा भी साल भर कई कार्यक्रम होते हैं.
मंदिर के पुजारी कमल रामावत ने बताया कि वह पिछले कई सालों से यहां पूजा का कार्य कर रहे हैं. दीपावली के मौके पर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. यह मंदिर शहर के मुख्य बाजार में स्थित है, जिसके चलते दिनभर लोगों के आने का सिलसिला जारी रहता है. मंदिर के प्रति लोगों की गहरी आस्था है. दीपावली के अवसर पर यहां भीड़ उमड़ती है.
मंदिर से जुड़े श्रद्धालु प्रकाश कुमार बताते हैं कि वे बीते 5 सालों से नियमित रूप से सुबह शाम इस मंदिर में महालक्ष्मी के दर्शन के लिए आ रहे हैं. सबसे बड़ी बात है कि मुझे यहां आकर बेहद सुकून मिलता है. इस मंदिर से हमारी अटूट आस्था है और माता की कृपा हमेशा बनी रहती है. उन्होंने बताया कि सच्चे मन से आकर भक्त पूजा करते हैं, उनकी मन्नतें अवश्य पूरी होती है. मंदिर में दीपावली, कृष्ण जन्माष्टमी, ऊब छठ, अन्नकूट महोत्सव जैसे कई आयोजन होते हैं. इन आयोजनों में बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं.