जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में ओंकारेश्वर सौर ऊर्जा परियोजना के तहत सोलर प्लेट लगाने के कार्य को लेकर सुनवाई हुई. कोर्ट ने अंतरिम आदेश के तहत इस याचिका को अंतिम निर्णय के अधीन रखने के निर्देश दिए. जस्टिस एमएस भट्टी की एकलपीठ ने इस मामले में राज्य शासन व परियोजना में काम करने वाली कंपनी रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट में यह मामला मछुआरों की समिति 'मां सतमाता सैलानी मत्स्योद्योग सहकारी समिति' व 'मां काजलरानी विस्थापित आदिवासी मछुआरा सहकारी समिति' की ओर से दायर किया गया है.
ओंकारेश्वर बांध पर सौर ऊर्जा परियोजना का काम जारी
मछुआरों की समितियों ने याचिका में कहा कि ओंकारेश्वर बांध पर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 600 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना का निर्माण किया जा रहा है. इस परियोजना के निर्माण की जिम्मेदारी राज्य सरकार द्वारा रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड कंपनी को दी गई है. परियोजना के तहत ओंकारेश्वर जलाशय पर सोलर प्लेट्स बिछाई जा रही हैं. इस वजह से जलाशय में मछली पकड़कर जीवनयापन कर रहे मछुआरों पर रोजी-रोटी का खतरा है.
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मछुआरों के परिजनों को नौकरी देने का वादा पूरा नहीं
याचिका में ये भी हवाला दिया गया है कि राज्य सरकार द्वारा इन मछुआरों के पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं की गई. इसके साथ ही परियोजना का काम देखने वाली कंपनी द्वारा रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है कि सैकड़ों मछुआरों की आजीविका समाप्त हो जाएगी. इन सभी परिवारों के सदस्यों को परियोजना में स्थाई नौकरी और आर्थिक सहायता दी जाएगी. इसके बाद भी मछुआरों से आज तक कोई बात नहीं की गई है. जबकि जलाशय पर सोलर प्लेट बिछाने का कार्य जारी है. इससे मछुआरों को मछली मारना असंभव हो गया है. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता श्रेयस पंडित ने पक्ष रखा.