कानपुर/लखनऊ : शहर में भले ही अभी तक पान मसाला कारोबारियों ने ई-वे बिल में हेराफेरी की हो, लेकिन अब वह किसी तरह का खेल नहीं कर सकेंगे. दरअसल, शासन ने इस मामले का संज्ञान लिया है. अब प्रमुख सचिव के स्तर से राज्य कर विभाग के अफसरों को निर्देश दिए गए हैं कि जितने भी पान मसाला कारोबारी हैं, उनकी फैक्ट्री के बाहर अफसर की मौजूदगी 12-12 घंटे के रोस्टर के हिसाब से की जाए और सभी ई-वे बिल की स्कैनिंग की जाए.
शासन की ओर से इस मामले में नजर टेढ़ी किए जाने को लेकर अब कारोबारियों के अंदर बहुत अधिक दहशत है. इस पूरी कवायद को लेकर जब बुधवार को ईटीवी भारत संवाददाता ने पनकी औद्योगिक क्षेत्र में पान मसाला इकाइयों के बाहर जाकर अफसरों की गतिविधियों का जायजा लिया तो कुछ इकाइयों के बाहर तो अफसर मौजूद दिखे, हालांकि अधिकतर इकाइयों के बाहर सन्नाटा ही पसरा था.
बुधवार की सुबह करीब 11:30 ईटीवी भारत की टीम पनकी स्थित उस औद्योगिक क्षेत्र में पहुंची, जहां पर पान मसाले की कई इकाइयां संचालित हैं. मौके पर देखा तो एक सफेद रंग की कार फैक्ट्री के बाहर खड़ी हुई थी, जिसमें कुछ लोग बैठे हुए थे जोकि हर एक गतिविधि पर नजर रख रहे थे कि आखिर फैक्ट्री में कौन जा रहा है और कौन आ रहा है. हर एक कर्मी पूछताछ के बाद ही उसे अंदर भेजा जा रहा था, वहीं जो भी गाड़ियां फैक्ट्री से निकल रहीं थीं उन्हें बाकायदा चेक किया जा रहा था. ऐसे में आसपास के लोगों में भी इस बात को लेकर चर्चा हो रही थी कि आखिर ऐसा क्या हुआ है जो टीमें फैक्ट्री के बाहर अपनी नजर बनाए हुए हैं.
बता दें कि, सरकार की ओर से आदेश जारी किया गया है कि पान मसाला इकाइयों से निकलने वाले वाहनों की ई वे बिल स्कैनिंग की जाए. इस आदेश के बाद से कानपुर में भी अब हर पान मसाला फैक्ट्री के बाहर राज्य कर विभाग के अधिकारी अपनी नजर बनाए हुए हैं. केवल कानपुर ही नहीं बल्कि जिन भी जिलों में मसाला फैक्ट्रियां हैं, वहां पर भी टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं. बताया जा रहा है कि 30 नवंबर तक इसी तरह से व्यवस्था लागू रहेगी.
जानें आखिर क्या है ई वे बिल : ई-वे बिल एक ऐसा दस्तावेज है जिसके जरिए इस बात की जानकारी होती है कि आखिर माल कहां जा रहा है, उसकी क्वांटिटी कितनी है और उस माल का जो अमाउंट है, वह कितना है. इस बिल के जरिए इस बात की संपूर्ण जानकारी दी जाती है. शासन से आदेश आने के बाद से अब अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि अगर पान मसाला की कोई भी गाड़ी बिना ई वे बिल के मिली तो उस फैक्ट्री व गोदाम में तैनात अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही उन्हें व्यापारियों के साथ सम्मान तरीके से व्यवहार करने का भी आदेश दिया गया है.
अपर आयुक्त (ग्रेड 1) एसएस मिश्रा ने बताया कि, शासन से मिले आदेश के बाद से लगातार टीमों के द्वारा जांच की जा रही है. फिलहाल अभी तक की जांच में ऐसे कुछ भी खास तथ्य सामने नहीं आए हैं, हालांकि हमारी यह जांच इसी तरह आगे भी जारी रहेगी.
लखनऊ समेत 14 स्थानों पर तैनात किए गए 26 अधिकारी : राज्य कर विभाग ने पान मसाला उद्योग में कर चोरी रोकने के लिए सख्त कदम उठाते हुए शहर और आसपास के 14 स्थानों पर 26 अधिकारियों को तैनात कर दिया है. अब हर फैक्ट्री और गोदाम के बाहर सहायक आयुक्त और राज्य कर अधिकारियों की मौजूदगी में 24 घंटे निगरानी की जा रही है.
ई-वे बिल अनिवार्य, लापरवाही पर कार्रवाई : राज्य कर विभाग ने निर्देश दिए हैं कि कोई भी वाहन बिना ई-वे बिल के फैक्ट्री या गोदाम से बाहर न निकले. यदि चेकिंग के दौरान किसी वाहन के पास ई-वे बिल नहीं मिला तो संबंधित फैक्ट्री या गोदाम के गेट पर तैनात अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. आदेश जारी होते ही सभी अधिकारी अपने कर्मचारियों और सुरक्षा दल के साथ फैक्ट्रियों और गोदामों के बाहर तैनात हो गए हैं. अधिकारियों को हिदायत दी गई है कि वे बाॅडी वार्न कैमरे का इस्तेमाल करें और किसी भी गड़बड़ी की सूचना तत्काल संयुक्त आयुक्त को दें.
चिह्नित स्थानों पर विशेष निगरानी : विभाग ने 14 स्थानों पर पान मसाला फैक्ट्रियों और गोदामों की पहचान की है, जहां कर चोरी की आशंका अधिक है. इन स्थानों में पनकी इंडस्ट्रियल एरिया, फजलगंज, ट्रांसपोर्ट नगर, गड़रियनपुरवा, मंधना और रनियां शामिल हैं. यहां प्रतिष्ठानों की गतिविधियों पर 24 घंटे नजर रखी जा रही है.
बैठकों के बाद सख्त कदम : राज्य कर विभाग ने लगातार बैठकों के बाद यह सख्त कदम उठाया है. अपर आयुक्त शशांक शेखर मिश्रा और ग्रेड दो के अपर आयुक्त संजय कुमार पाठक के निर्देशन में 11 सहायक आयुक्त और 17 राज्य कर अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है. अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे अपनी ड्यूटी खत्म करने के बाद फोन पर संयुक्त आयुक्त को इसकी जानकारी दें. विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि व्यापारियों के साथ अनुचित व्यवहार न किया जाए और जांच प्रक्रिया को पारदर्शी रखा जाए.
पान मसाला कारोबार में बड़े स्तर पर कर चोरी : कर विभाग के अनुसार, पान मसाला कारोबार में कर चोरी बड़ी समस्या बन चुकी है. बिना ई-वे बिल के माल भेजने से विभाग के पास सही आंकड़े नहीं पहुंच पाते, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है.