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छात्राओं के आपत्तिजनक वीडियो वायरल, हाईकोर्ट ने खारिज की सजायाफ्ता अभियुक्त की जमानत अर्जी - Objectionable videos of girls

गुरुवार को इलाहाबाद होईकोर्ट (Allahabad High Court) ने छात्राओं के आपत्तिजनक वीडियो वायरल करने के अभियुक्त को राहत देने से इनकार कर दिया. इसके साथ ही अदालत ने सजायाफ्ता अभियुक्त की जमानत खारिज कर दी.

Etv Bharatछात्राओं के आपत्तिजनक वीडियो वायरल, हाईकोर्ट ने खारिज की सजायाफ्ता अभियुक्त की जमानत अर्जी
Etv Bharat Objectionable videos of girl students go viral Allahabad High Court rejected bail of convicted accused
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 1, 2024, 9:34 PM IST

प्रयागराज: गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्कूली छात्राओं के बाथरूम में कैमरा लगाकर उनके आपत्तिजनक वीडियो बनाने और उसको वायरल करने के दोषसिद्ध अभियुक्त को राहत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने उसकी अपील लंबित रहने के दौरान जमानत देने और सजा निलंबित करने की मांग में दाखिल अर्जी खारिज (Allahabad High Court rejected bail of convicted accused) कर दी. अभियुक्त विजय बहादुर की अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने दिया.

याची ने महाराजगंज के एक विद्यालय में छात्राओं के बाथरूम में अपने एक साथी की मदद से कैमरा लगा दिया था. उससे आपत्तिजनक वीडियो रिकॉर्ड कर उसे अपने मोबाइल फोन में ट्रांसफर कर लिये. एक अन्य अभियुक्त अश्विनी कुमार के मोबाइल पर भेजा. साथ ही उसे वीडियो यूट्यूब पर भी अपलोड कर दिये.

अदालत ने उसका दोष सिद्ध पाते हुए उसे 5 वर्ष के कारावास और एक लाख रुपए से अधिक के जुर्माने की सजा सुनाई है. इस सजा के खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की. अपील की सुनवाई लंबित रहने के दौरान अभियुक्त की ओर से जमानत पर रिहा करने की मांग की गई. बचाव पक्ष का कहना था की बाथरूम में कैमरा सह अभियुक्त अफ्जो ने लगाया था. अपीलार्थी के मोबाइल फोन और बरामद कैमरे से कोई भी आपत्तिजनक वीडियो बरामद नहीं हुआ है. सह-अभियुक्त अश्विनी के मोबाइल से 21 वीडियो मिले थे. उसे हाई कोर्ट की एक अन्य बेंच ने जमानत दी है.

जमानत अर्जी का विरोध करते हुए अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय ने कहा कि अभियुक्तों ने कैमरा लगाने की बात स्वीकार की है. इसके जरिए उन्होंने स्कूली छात्राओं की आपत्तिजनक वीडियो बनाई और उस फोटोग्राफ से पैसे भी कमाए. स्कूल के प्रिंसिपल ने उन्हें स्कूल से बाहर निकाल दिया था, इसलिए उनको सबक सिखाने के लिए उन्होंने उसका वीडियो वायरल कर दिया. अभियोजन ने अदालत में अपना केस साबित किया है. कोर्ट ने कहा कि वीडियो कैमरा अभियुक्त के पास से बरामद हुआ है. उसका अपराध गंभीर है. कोर्ट ने जमानत अर्जी और सजा निलंबित करने का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया है.

ये भी पढ़ें- पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद दुष्कर्म के मामले में बरी, 13 साल पहले शिष्या ने दर्ज कराया था मुकदमा

प्रयागराज: गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्कूली छात्राओं के बाथरूम में कैमरा लगाकर उनके आपत्तिजनक वीडियो बनाने और उसको वायरल करने के दोषसिद्ध अभियुक्त को राहत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने उसकी अपील लंबित रहने के दौरान जमानत देने और सजा निलंबित करने की मांग में दाखिल अर्जी खारिज (Allahabad High Court rejected bail of convicted accused) कर दी. अभियुक्त विजय बहादुर की अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने दिया.

याची ने महाराजगंज के एक विद्यालय में छात्राओं के बाथरूम में अपने एक साथी की मदद से कैमरा लगा दिया था. उससे आपत्तिजनक वीडियो रिकॉर्ड कर उसे अपने मोबाइल फोन में ट्रांसफर कर लिये. एक अन्य अभियुक्त अश्विनी कुमार के मोबाइल पर भेजा. साथ ही उसे वीडियो यूट्यूब पर भी अपलोड कर दिये.

अदालत ने उसका दोष सिद्ध पाते हुए उसे 5 वर्ष के कारावास और एक लाख रुपए से अधिक के जुर्माने की सजा सुनाई है. इस सजा के खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की. अपील की सुनवाई लंबित रहने के दौरान अभियुक्त की ओर से जमानत पर रिहा करने की मांग की गई. बचाव पक्ष का कहना था की बाथरूम में कैमरा सह अभियुक्त अफ्जो ने लगाया था. अपीलार्थी के मोबाइल फोन और बरामद कैमरे से कोई भी आपत्तिजनक वीडियो बरामद नहीं हुआ है. सह-अभियुक्त अश्विनी के मोबाइल से 21 वीडियो मिले थे. उसे हाई कोर्ट की एक अन्य बेंच ने जमानत दी है.

जमानत अर्जी का विरोध करते हुए अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय ने कहा कि अभियुक्तों ने कैमरा लगाने की बात स्वीकार की है. इसके जरिए उन्होंने स्कूली छात्राओं की आपत्तिजनक वीडियो बनाई और उस फोटोग्राफ से पैसे भी कमाए. स्कूल के प्रिंसिपल ने उन्हें स्कूल से बाहर निकाल दिया था, इसलिए उनको सबक सिखाने के लिए उन्होंने उसका वीडियो वायरल कर दिया. अभियोजन ने अदालत में अपना केस साबित किया है. कोर्ट ने कहा कि वीडियो कैमरा अभियुक्त के पास से बरामद हुआ है. उसका अपराध गंभीर है. कोर्ट ने जमानत अर्जी और सजा निलंबित करने का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया है.

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