शिमला: हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार माना जाता है कि हिमाचली एकदम फिट हैं. मंजिल तक पहुंचने के लिए पहाड़ों पर लोगों को रोजाना कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है, लेकिन मोटापा भविष्य में हिमाचल के लिए चिंता का विषय बन सकता है. ये बात आईजीएमसी में ओबेसिटी आउटरीच पर आयोजित हुए सेमिनार विशेषज्ञों ने कही.
हिमाचल में 14 प्रतिशत आबादी मोटापे से ग्रस्त है. यह बात आईजीएमसी में संस्थान संरक्षक डॉ. रणदीप वधावन, ओबेसिटी आउटरीच प्रोग्राम के आयोजन अध्यक्ष डॉ. विवेक बिंदल एवं आयोजन सचिव डॉ. पुनीत महाजन ने एक प्रेस वार्ता के दौरानी कही. डॉ. रणदीप ने कहा कि, 'अगर हम इंडिया का डाटा देखें तो 5 प्रतिशत जनसंख्या ओबेसिटी (मोटापा) के शिकार हैं और हमारे देश की जनसंख्या 1.4 बिलियन है, तो 5 प्रतिशत के हिसाब से 7 करोड़ लोग मोटे हैं और इसी तरह डायबिटिक लोगों को देखें तो उनकी संख्या भी तकरीबन 7 करोड़ है. पहाड़ों पर लोग चलते फिरते हैं ऐसे में यहा इतनी ओबेसिटी नहीं है पर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, तमिलनाडु, केरल,गोवा में ओबेसिटी बहुत ज्यादा है. हिमाचल में 14 आबादी मोटापे की चपेट में है, इनकी संख्या लगभग 10.50 लाख होगी.'
इस सेमिनार में विशेषज्ञों ने बताया कि सिर्फ सर्जरी ही मोटापे का समाधान नहीं है. इसे कई तरीकों से दूर किया जा सकता है जैसे लाइफ स्टाइल मैनेजमेंट, डायबिटीज मेडिकल ट्रीटमेंट भी मौजूद हैं. सर्जिकल भी एक विकल्प है और सर्जिकल में भी कई चीजें नई आ गई हैं जैसे एंडोस्कोपी और रोबोटिक. ओबेसिटी सर्जरी सोसाइटी ऑफ इंडिया 20 साल पहले बनी थी, लगभग 20 साल से यह ओबेसिटी सर्जरी ट्रीटमेंट के लिए सिंगल सोसाइटी है. पूरे भारत में हमारे पास 600 मेंबर्स हैं.
डॉ. विवेक बिंदल ने कहा कि, 'हिमाचल में अभी मोटापा कम है, लेकिन जिस तरह से आज हर जगह खराब भोजन मिल रहा है उसके कारण ये बढ़ेगा. गांव-गांव और घर के अंदर चिप्स, बिस्किट पांच पांच रुपये में मिल रहे हैं. गांव के बच्चों की सबसे पसंदीदा चीज चिप्स का पैकेट और दूसरा बिस्किट है. ये आगे जाकर बहुत घातक साबित होते हैं. मोबाइल का स्क्रीन टाइम भी चिंता का कारण है. हर कोई मोबाइल फोन के उपर स्क्रीन में काम कर रहा है और उससे शारीरिक गतिविधियां कम हो गई हैं. हमारा खाना पीना खराब हो गया है. ओबेस्टी सोसाइटी ऑफ इंडिया और मेडिकल कॉलेज शिमला मिलकर ये बताना चाहते हैं कि हम अपने आपको और अपने बच्चों को एक अच्छे लाइफ स्टाइल के बारे में जागरूक करना है.'
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