चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव में ओबीसी फैक्टर कितना बड़ा है. इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हर राजनीतिक दल इस मुद्दे को भुनाने में जुटा है. एक तरफ बीजेपी खुद को ओबीसी समाज का हितैषी बताने में जुटी है, तो वहीं कांग्रेस भी ओबीसी वोट बैंक के महत्व को जानती है. इसलिए कांग्रेस जातीय समीकरण करने की बात कर रही है. जननायक जनता पार्टी भी बीजेपी के ओबीसी प्रेम पर सवाल उठा रही है. वहीं बीजेपी किसी भी तरह की जातीय जनगणना की पक्षधर नहीं है.
जातीय जनगणना के पक्ष में कांग्रेस: कांग्रेस पार्टी बीजेपी के ओबीसी कार्ड के खेल को समझ चुकी है. शायद इसलिए पार्टी के नेता ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए, जातीय जनगणना की मांग करने लगे हैं. दीपेंद्र हुड्डा ने कहा है कि अगर प्रदेश में उनकी सरकार आई, तो वो जातीय जनगणना कराएंगे. वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह भी इसके समर्थन में हैं. उन्होंने कहा कि समाज में जो बिल्कुल उपेक्षित लोग हैं और जिनको अभी तक आइडेंटिफाई नहीं किया गया. उनके लिए ऐसी जनगणना बहुत जरूरी है. इससे सामाजिक परिवर्तन बहुत तेजी से आयेंगे.
जातीय जनगणना पर बीजेपी का पक्ष: कांग्रेस पार्टी वैसे भी काफी लंबे समय से देश में जातीय जनगणना करवाने की पक्षधर रही है. हालांकि बीजेपी इसकी पक्षधर दिखाई नहीं देती है. हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि हमारी पार्टी जातीय जनगणना की पक्षधर नहीं है.
जेजेपी का बीजेपी को चैलेंज! जननायक जनता पार्टी के विधायक और पूर्व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि बीजेपी ने बीते दिनों ओबीसी सम्मान समारोह में कहा कि हमारी सरकार ओबीसी को पंचायती राज और अर्बन लोकल बॉडी में आठ प्रतिशत आरक्षण देगी. लेकिन वो तो ढाई साल पहले सरकार ने लागू कर भी दिया. वहीं बीसीए को ग्रुप डी की नौकरियों में पांच प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही गई. ये आरक्षण कहां से दिया जाएगा. हरियाणा आरक्षण प्रतिशत को छू चुका है. यानी किसी दूसरे वर्ग में कटौती होगी. बीजेपी आज के दिन पिछड़ी जातियों में भी बंटवारा कर रही है.
हरियाणा में ओबीसी वोट बैंक: हरियाणा सरकार बनाने में ओबीसी वोट बैंक अहम रोल निभाता है. इस बात का अंदाजा इसी से लगता है कि प्रदेश की तीन दर्जन से अधिक जातीय इस वर्ग में आती है. ओबीसी की आबादी प्रदेश में चालीस फीसदी के करीब है, जबकि मतदाता करीब तीस फीसदी हैं. इसलिए जहां बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले ओबीसी समाज से आने वाले नायब सैनी को सीएम बनाया. साथ ही ओबीसी समाज के लिए सरकार कई तरह को घोषणाएं कर चुकी है. वहीं अब कांग्रेस भी बीजेपी के इस सियासी कार्ड की तोड़ निकलने में जुट गई है. इसलिए पार्टी के नेता हरियाणा में जातीय जनगणना करने की बात कर रहे हैं.
क्या हैं इसके जातीय जनगणना के सियासी मायने? राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी ने कहा कि बीजेपी जिस ओबीसी कार्ड के जरिए प्रदेश सियासत कर रही है. इसके साथ ही भाजपा तीसरी बार ओबीसी के सहारे सरकार बनाने का सपना देख रही है. कांग्रेस जातीय जनगणना की बात कर भाजपा के इसी कार्ड की काट के तौर पर इस्तेमाल कर रही है. जब कांग्रेस जातीय जनगणना की बात कर रही है तो उसे पर बीजेपी का प्रदेश नेतृत्व हो या केंद्रीय नेतृत्व वह कांग्रेस के इस सवाल का जवाब नहीं दे पा रहा है. कांग्रेस जानती है कि बीजेपी ओबीसी कार्ड के जरिए प्रदेश में फिर सत्ता हासिल करना चाह रही है. इसलिए कांग्रेस विधानसभा चुनाव से पहले जातीय जनगणना की बात उठा रही है.