नूंह: हरियाणा का नूंह जिला आर्थिक रूप से भले ही सबसे कमजोर जिला हो, लेकिन इस कमजोर जिले में सबसे अधिक फल बिकते हैं. यहां के लोग फल सबसे अधिक खाते हैं. इसका दो बड़ा कारण है. एक बेरोजगारों, दूसरा यहां के लोगों की पसंद. दरअसल बेरोजगारों की संख्या अधिक होने के कारण यहां के अधिकतर युवा फल बेचने का काम करते हैं. वहीं, यहां के लोग फल खाने के भी शौकिन हैं.
हर सीजन में बिकता है फल: यही कारण है कि नूंह जिले के तावडू, पिनगवां, पुन्हाना, फिरोजपुर झिरका, बडकली चौक पर शहरों और कस्बों के अलावा गांवों में फलों की बिक्री अधिक होती है. बड़ी तादाद में लोग रेहड़ी लगाकर फल बेचने का काम करते हैं. सीजन के हिसाब से यहां बाजारों में फल बिकता है. खास बात यह है कि यहां फल खरीदने वालों की कभी भी कमी नहीं होती है. लोग यहां फल काफी खाते हैं.
मार्च में बढ़ जाती है खरीदारों की तादाद: मार्च के माह में यहां फलों की बिक्री और भी बढ़ जाती है. रमजान और नवरात्र के कारण यहां रेहड़ियो और फल खरीदने वालों की संख्या में दोगुना इजाफा हो जाता है. ये समय फल विक्रेताओं के लिए गोल्डन पीरियड होता है. क्योंकि नवरात्र में और रोजा इफ्तार करने के लिए हर वर्ग के लोग फस खरीदते हैं. जिले में कई ऐसे फल विक्रेता हैं, जो रेहड़ी लगाकर फल बेचने का काम कर रहे हैं. खास बात यह है कि फल खरीदने के पैसे न होने पर वे 500 प्रतिदिन दिहाड़ी के हिसाब से गोदाम मालिक को फल बेच देते हैं.
पढ़े-लिखे लोग भी लगाते हैं फलों का दुकान: जिले में फल खरीदने आए ग्राहक रफीक ने कहा, " हमारे जिले में लोग फल बहुत खाते हैं. यहां पढ़े लिखे लोग भी फलों की रेहड़ी लगाते हैं. रोजगार की कमी है. पैसों की कमी है. हालांकि फल बेचकर और खाकर यहां के लोग जी रहे हैं. सरकार से अपील है कि यहां रोजगार पर ध्यान दें." वहीं, फल विक्रेता मोहन ने कहा कि, "मैं यहां हर दिन फल का दुकान लगाता हूं. फल बेचकर अच्छा खासा इनकम हो जाता है. हर दिन काफी ग्राहक आते हैं फल खरीदने."
बता दें कि जिले के एक-एक शहर और कस्बे में कई फलों के गोदाम हैं. जिनमें जम्मू कश्मीर, हिमाचल से लेकर देश के दूसरे राज्यों से फल लाया जाता है. जिले में रोजाना दर्जनों गाड़ियां फलों से भरकर आती हैं और गोदाम में खाली हो जाती है. फिर इन फलों को बेचा जाता है. करीब 700 रेहड़ी पर करीब 11 लाख की आबादी वाले जिले में फल बेचा जाता है.