नई दिल्ली: नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में मंगलवार को थर्ड ईयर के छात्रों की फेयरवेल पार्टी का आयोजन किया गया. इसमें थर्ड ईयर के स्टूडेंट्स की सफल यात्रा को शॉर्ट रील के रूप में दिखाया गया. इसके बाद NSD के फर्स्ट और सेकंड ईयर के छात्रों ने विदाई समारोह में दिल को छूने वाले कई गीत प्रस्तुत किये.
इस मौके पर NSD के चेयरमैन परेश रावल वर्चुअली शामिल हुए. अंतिम वर्ष के छात्रों को नई शुरुआत की उन्होंने ढेर सारी शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा कि NSD से शिक्षा प्राप्त करने के बाद जहां भी जाएं रंगमंच के क्षेत्र में तरक्की करें. NSD के निदेशक चितरंजन त्रिपाठी ने बॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर 'दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे' मूवी के एक डायलॉग के साथ विद्यार्थियों को विदाई सन्देश दिया. उन्होंने कहा 'जा सिमरन जा, जी ले अपनी ज़िंदगी'. समारोह में शामिल सभी स्टूडेंट्स ने नम आंखों के साथ थर्ड ईयर के छात्रों को विदा किया. इस दौरान कई छात्र छात्राएं भावुक हुए.
अमूमन ग्रेजुएशन की पढ़ाई तीन साल की होती हैं. लेकिन 2024 में पढ़ाई पूरी करने वाले स्टूडेंट्स को 5 साल लग गए, दरअसल 2019 में आई कोरोना महामारी के कारण लॉक डाउन लग गया था. इसके चलते सभी शिक्षक संस्थानों में ऑनलाइन क्लास हो रही थी लेकिन रंग मच के क्षेत्र में ऑनलाइन शिक्षा कारगर साबित नहीं होती. इसलिए जिन विद्यार्थियों ने 2019 में NSD में एडमिशन लिया था, उन्होंने अपना स्नातक 2024 में पूरा किया है.
5 साल पहले महाराष्ट्र से दिल्ली में रंगमंच की शिक्षा ग्रहण करने पहुंची. अश्विनी ने बताया कि वो बहुत खुश है कि उन्होंने NSD से स्नातक की शिक्षा पूरी की हैं. हालांकि ऐसा करने में उनको 5 साल का समय लगा. कोरोना काल के दौरान 2 साल घर में कैद रहना पड़ा. इस दौरान NSD द्वारा ऑनलाइन क्लास का प्रस्ताव दिया गया था. लेकिन सभी विद्यार्थियों ने मना कर दिया था. क्योंकि थिएटर की पढ़ाई ऑनलाइन नहीं की जा सकती. बीते सालों में NSD में बहुत कुछ सीखने को मिला. इस दौरान लगता था NSD ही घर है.
10 साल से राजधानी में रह कर अलग-अलग स्थानों पर नाटक प्रस्तुत करने वाली प्रियदर्शनी ने बताया कि वह बिहार के मधुबनी जिले की रहने वाली हैं. उनके लिए NSD में दाखिला एक सपने की तरह था. तीन बार एग्जाम देने के बाद उनका एडमिशन हुआ. अब वह दिन भी आ गया, जब NSD में उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी पूरी कर ली. NSD में बीते 5 साल ना भूलने वाले हैं. अब अगली मंज़िल मुंबई है.
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की रहने वाली शिवानी वर्मा ने बताया कि NSD में स्नातक की पढ़ाई करने से पहले उन्होंने मध्य प्रदेश स्कूल ऑफ ड्रामा में भी रंग मंच की शिक्षा ग्रहण की थी. MP में उन्होंने जो भी पढ़ा उसमें से कई चीजों को NSD में दोबारा पढ़ा. लेकिन बहुत बड़े स्तर पर NSD में अपनी पांच वर्ष की शिक्षा के दौरान उन्होंने जो सीखा है, उन्हीं चीजों को लेकर आगे बढ़ने की उम्मीद है. आगे भी वो थिएटर में ही अपना भविष्य बनाएंगी. उन्होंने आगे बताया कि अभी सिनेमा में जाने के लिए नहीं सोचा. विदाई समारोह में वह काफी भावुक दिखीं.
ओवेस खान ने बताया कि उन्होंने NSD से स्टूडियो डिजाइन स्पेशिलाइजेशन में स्नातक की शिक्षा पूरी की है. कोरोना के समय दो साल के लिए कोर्स को रोक दिया गया. इन दो वर्षों में काफी कुछ घटा. कई लोग छोड़ कर चले गए. थिएटर की शिक्षा ग्रहण करना उतना आसान नहीं जितना दिखता है. ओवेस ने स्टूडियो डिजाइन में स्पेशिलाइजेशन जरूर किया है, लेकिन उनका झुकाव एक्टिंग की तरफ ज्यादा है. उनका मानना है कि रंगमंच की दुनिया ही एक ऐसी दुनिया है, जहां सब किया जा सकता है. एक्टिंग, सिंगिंग, डांसिंग, स्टूडियो डिज़ाइन.
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बता दें कि नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में प्रवेश दो चरणों में होता है, पहला NSD प्रवेश परीक्षा, जो प्रारंभिक परीक्षा है और दूसरा पांच दिवसीय अंतिम परीक्षा होती है. NSD में डिप्लोमा कोर्स में तीन विशेषज्ञता प्रदान करता है. सबसे पहले है अभिनय, दूसरा है थिएटर तकनीक और डिजाइन, तीसरा है नाटकीय कला. इन कोर्सेज में एडमिशन के लिए सितंबर से रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाता है. ड्रामाटिक आर्ट में डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रवेश करने के लिए स्कूल द्वारा आयोजित प्रारंभिक परीक्षा के लिए देश भर में 12 केंद्र हैं, जहां पर परीक्षा आयोजित होती है. उम्मीदवार परीक्षा के लिए स्टडी मैटिरियल और गाइडलाइंस की जानकारी मार्च से अप्रैल के बीच एनएसडी की आधिकारिक वेबसाइट पर देख सकेंगे. चयन के बाद उम्मीदवार का एक मेडिकल टेस्ट भी लिया जाएगा. फिटनेस टेस्ट पास करने पर ही उम्मीदवार का अंतिम चयन किया जाएगा.
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