इंदौर: देशभर में अंगदान को मिल रहे बढ़ावे के बाद अब लोग किडनी ट्रांसप्लांट भी आसानी से करवा रहे हैं. खास बात यह है कि डॉक्टर्स का दावा है कि किडनी ट्रांसप्लांट में अब ऑपरेशन की सफलता की दर अब 90 फ़ीसदी के करीब है. ट्रांसप्लांट करने वाले तमाम मरीज अब क्वालिटी लाइफ जी रहे हैं. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद डॉक्टर के निर्देशानुसार दवाइयां लेना और परहेज करना जरूरी है.
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद भी सामान्य जिंदगी
दरअसल, एक-दूसरे की किडनी का उपयोग और कई बार किडनी मैच नहीं होने के नाम से अधिकांश लोग किडनी ट्रांसप्लांट और डोनेट करने से घबराते हैं, लेकिन जबलपुर के पुलिस अधिकारी विनोद चौरसिया ऐसे शख्स हैं, जो बीते 37 सालों से किडनी ट्रांसप्लांट के बाद भी अपनी सामान्य जिंदगी जी रहे हैं. आमतौर पर माना जाता है कि किडनी ट्रांसप्लांट के बाद मरीज अपना सामान्य जीवन नहीं जी पाता, लेकिन विनोद चौरसिया संभवत: मध्य प्रदेश के ऐसे पहले किडनी पेशेंट हैं, जिन्होंने किडनी ट्रांसप्लांट के बाद न केवल शादी की बल्कि अपनी पुलिस सर्विस के 37 साल सफलतापूर्वक निकाले.
37 साल से सामान्य जीवन जी रहे हैं विनोद चौरसिया
विनोद चौरसिया का दावा है "वह ऐसे इकलौते मरीज हैं जो ट्रांसप्लांट के बाद अपनी नॉर्मल लाइफ में वापस लौटे. उन्हें मलेरिया और पीलिया के दौरान इलाज के बाद पता चला कि उनकी किडनी खराब हो चुकी है. जबलपुर मेडिकल कॉलेज ने तत्काल किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी. इसके बाद चोइथराम हॉस्पिटल में डॉ.प्रबल सिपाहा ने उनका ऑपरेशन करके किडनी ट्रांसप्लांट की. इस दौरान उन्होंने न केवल अपना ध्यान रखा बल्कि डॉक्टर के बताए गए परामर्श के अनुरूप ही दवाइयां ली और अपना ध्यान रखा. वह अब सामान्य जीवन जी रहे हैं."
किडनी ट्रांसप्लांट सक्सेस रेट 90 फीसदी होने का दावा
चौरसिया के मुताबिक "किडनी ट्रांसप्लांट के बाद कितना लंबा जीवन जीने वाले लोगों की सूची में पुलिस अधिकारी के बतौर वे पहले शख्स हैं जिसके लिए उन्होंने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के समक्ष दावा भी किया है." वहीं, नेफ्रोलॉजिस्ट नेहा अग्रवाल बताती हैं "वर्तमान में किडनी ट्रांसप्लांट जिस तेजी से बढ़ा, उसमें इसका सक्सेस रेट 90% हो चुका है. हालांकि इलाज के दौरान डॉक्टर के निर्देशानुसार दवाइयां लेना और परहेज जरूरी है."
मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों में किडनी ट्रांसप्लांट
बता दें कि मध्य प्रदेश में किडनी का ट्रांसप्लांट कराने की सुविधा अभी तक इंदौर और भोपाल जैसे शहरों में थी. भोपाल के सरकारी अस्पताल हमीदिया में 4 साल पहले पहला किडनी ट्रांसप्लांट किया गया. इसके बाद एक साल के अंदर यहां दो और किडनी ट्रांसप्लांट किए गए. एक साल पहले एम्स भोपाल में भी यह सुविधा शुरू हो गई. अब इंदौर व भोपाल के अलावा मध्यप्रदेश के अन्य शहरों में भी किडनी ट्रांसप्लांट होने लगा है. रीवा में सरकारी अस्पताल में सुविधा शुरू हो गई है.
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देश में साल 2023 में साढ़े 13 हजार किडनी ट्रांसप्लांट
गौरतलब है कि एक आंकड़े के अनुसार पूरे देश में करीब 600 किडनी प्रत्यारोपण केंद्र हैं. इनमें से 75 प्रत्यारोपण केंद्र सार्वजनिक क्षेत्र के तो शेष निजी क्षेत्र में हैं. देश में साल 2023 में कुल 13,642 किडनी प्रत्यारोपण हुए. इनमें साढ़े 11 हजार से ज्यादा जीवित लोगों ने किडनी डोनेट की तो शेष मृतकों की किडनी थी. साफ है कि अब किडनी ट्रांसप्लांट को जटिल केस नहीं माना जाता.