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अब मंदिर और ऐतिहासिक स्थलों को भी ले सकेंगे गोद, राज्य पुरातत्व निदेशालय ने बनाई रणनीति, पढ़िए डिटेल - मंदिर ऐतिहासिक स्थल गोद

गांवों की तर्ज पर अब लोग मंदिर और ऐतिहासिक स्थलों को भी गोद (Temple Historical Place adoptation) ले सकेंगे. उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय अब तक 11 ऐतिहासिक स्थलों को गोद देने की प्रक्रिया पूरी कर चुका है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 3, 2024, 2:04 PM IST

अब मंदिर भी ले सकेंगे गोद.

लखनऊः उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय ने प्रदेश के ऐतिहासिक धरोहरों, इमारतों व मंदिरों को संरक्षित करने के लिए नई रणनीति बनाई है. अडॉप्ट ए हेरीटेज पॉलिसी के तहत मंदिरों और अन्य पर्यटन स्थलों को गोद दिया जा रहा है. कोई भी व्यक्ति या संस्था इन्हें गोद लेकर इनके केयर टेकर की जिम्मेदारी निभा सकता है. निदेशालय इस पॉलिसी के प्रचार-प्रसार में जुटा है. बीते एक साल में 11 धार्मिक स्थलों को गोद दिया जा चुका है. इनमें मंदिर, तालाब व कई ऐतिहासिक स्थल शामिल हैं. मौजूदा समय में पुरातत्व विभाग कानपुर के दो और मिर्जापुर के एक स्थल को एक सामाजिक संस्था को गोद देने की तैयारी में है.

केयर टेकर बनने के लिए किया जा रहा प्रेरित : उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय की डायरेक्टर रेनू द्विवेदी ने बताया कि जिस प्रकार से भारत सरकार की अडॉप्ट ए हेरिटेज पॉलिसी है. उसी प्रकार उत्तर प्रदेश सरकार ने भी 2021 में एडाप्ट ए हेरिटेज पॉलिसी गठित की थी. योजना का सबसे बड़ा उद्देश्य है कि जो लोग सक्षम हैं. चाहे वह कोई संस्थान हो या व्यक्ति विशेष हो या कोई कंपनी हो, उन्हें केयर टेकर बनने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इससे लोगों को अपने स्थलों और चीजों के बड़े लगाव भी बढ़ता है. इस योजना के तहत जो लोग मंदिर, ऐतिहासिक स्थलों आदि को गोद लेते हैं उन्हें उनके रखरखाव साफ-सफाई के अलावा वहां पेयजल की व्यवस्था और सुरक्षा की जिम्मेदारी निभानी होती है. बीते एक साल में अभी तक प्रदेश के 11 ऐसे स्थलों और मंदिरों को व्यक्तिगत लोगों और संस्थाओं को गोद दिया जा चुका है.


गोरखपुर का ओंकार संस्थान तीन स्थलों को ले रहा गोद : निदेशक ने बताया कि गोरखपुर की ओंकार संस्था तीन स्थलों को गोद ले रही है. इनमें बिठूर के वाल्मीकि आश्रम, टिकैत राय तालाब स्थित शिव मंदिर और मिर्जापुर के मूरतगंज स्थित तालाब और शिव मंदिर शामिल हैं. इनके गोद देने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. संस्था में प्रसिद्ध भजन गायक अनूप जलोटा संरक्षक के तौर पर जुड़े हुए हैं. इस संस्था को अगले कुछ दिनों में इन तीनों मंदिरों और तालाब के संरक्षण और केयरटेकर की जिम्मेदारी विभाग के द्वारा सौंप दी जाएगी. उन्होंने बताया कि इससे पहले मथुरा के कुसुम वन सरोवर, रसखान की समाधि और पोतरा कुंड भी एक संस्था द्वारा द्वारा गोद लिया गया है. जबकि इसके अलावा झांसी का लक्ष्मी मंदिर भी एक व्यक्ति द्वारा गोद दिया जा चुका है. वहीं बनारस का कर्मदेश्वर महादेव मंदिर भी एक व्यक्ति को गोद दिया गया था पर उन्होंने समय के अभाव के कारण इसे वापस कर दिया है. अब संस्था दोबारा से इस मंदिर को किसी और को अडॉप्ट करने तैयारी में है.

यह भी पढ़ें : ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाने में 30 साल बाद पूजा शुरू, कमिश्नर-डीएम की मौजूदगी में उतारी गई आरती

अब मंदिर भी ले सकेंगे गोद.

लखनऊः उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय ने प्रदेश के ऐतिहासिक धरोहरों, इमारतों व मंदिरों को संरक्षित करने के लिए नई रणनीति बनाई है. अडॉप्ट ए हेरीटेज पॉलिसी के तहत मंदिरों और अन्य पर्यटन स्थलों को गोद दिया जा रहा है. कोई भी व्यक्ति या संस्था इन्हें गोद लेकर इनके केयर टेकर की जिम्मेदारी निभा सकता है. निदेशालय इस पॉलिसी के प्रचार-प्रसार में जुटा है. बीते एक साल में 11 धार्मिक स्थलों को गोद दिया जा चुका है. इनमें मंदिर, तालाब व कई ऐतिहासिक स्थल शामिल हैं. मौजूदा समय में पुरातत्व विभाग कानपुर के दो और मिर्जापुर के एक स्थल को एक सामाजिक संस्था को गोद देने की तैयारी में है.

केयर टेकर बनने के लिए किया जा रहा प्रेरित : उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय की डायरेक्टर रेनू द्विवेदी ने बताया कि जिस प्रकार से भारत सरकार की अडॉप्ट ए हेरिटेज पॉलिसी है. उसी प्रकार उत्तर प्रदेश सरकार ने भी 2021 में एडाप्ट ए हेरिटेज पॉलिसी गठित की थी. योजना का सबसे बड़ा उद्देश्य है कि जो लोग सक्षम हैं. चाहे वह कोई संस्थान हो या व्यक्ति विशेष हो या कोई कंपनी हो, उन्हें केयर टेकर बनने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इससे लोगों को अपने स्थलों और चीजों के बड़े लगाव भी बढ़ता है. इस योजना के तहत जो लोग मंदिर, ऐतिहासिक स्थलों आदि को गोद लेते हैं उन्हें उनके रखरखाव साफ-सफाई के अलावा वहां पेयजल की व्यवस्था और सुरक्षा की जिम्मेदारी निभानी होती है. बीते एक साल में अभी तक प्रदेश के 11 ऐसे स्थलों और मंदिरों को व्यक्तिगत लोगों और संस्थाओं को गोद दिया जा चुका है.


गोरखपुर का ओंकार संस्थान तीन स्थलों को ले रहा गोद : निदेशक ने बताया कि गोरखपुर की ओंकार संस्था तीन स्थलों को गोद ले रही है. इनमें बिठूर के वाल्मीकि आश्रम, टिकैत राय तालाब स्थित शिव मंदिर और मिर्जापुर के मूरतगंज स्थित तालाब और शिव मंदिर शामिल हैं. इनके गोद देने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. संस्था में प्रसिद्ध भजन गायक अनूप जलोटा संरक्षक के तौर पर जुड़े हुए हैं. इस संस्था को अगले कुछ दिनों में इन तीनों मंदिरों और तालाब के संरक्षण और केयरटेकर की जिम्मेदारी विभाग के द्वारा सौंप दी जाएगी. उन्होंने बताया कि इससे पहले मथुरा के कुसुम वन सरोवर, रसखान की समाधि और पोतरा कुंड भी एक संस्था द्वारा द्वारा गोद लिया गया है. जबकि इसके अलावा झांसी का लक्ष्मी मंदिर भी एक व्यक्ति द्वारा गोद दिया जा चुका है. वहीं बनारस का कर्मदेश्वर महादेव मंदिर भी एक व्यक्ति को गोद दिया गया था पर उन्होंने समय के अभाव के कारण इसे वापस कर दिया है. अब संस्था दोबारा से इस मंदिर को किसी और को अडॉप्ट करने तैयारी में है.

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