नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय युवा और खेल मंत्रालय को नोटिस जारी किया है. मंगलवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई 28 मई को होगी. याचिका भारतीय कुश्ती संघ ने दायर किया है.
याचिका में 24 दिसंबर 2023 को भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित करने के आदेश को चुनौती दी गई है. कहा गया है कि केंद्र सरकार ने भारतीय कुश्ती संघ के कामकाज को देखने के लिए तदर्थ कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी को भी इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने भंग कर दिया था. भारतीय कुश्ती संघ की ओर से वकील हेमंत फालफर ने कहा कि ये निलंबन नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है.
संघ ने याचिका में कहा है कि भारतीय कुश्ती संघ को भंग करने का खेल मंत्रालय का आदेश 2011 के नेशनल स्पोर्ट्स कोड का भी उल्लंघन है. संघ को भंग करने के पहले केंद्र सरकार ने न तो कोई नोटिस जारी किया और न ही कोई चेतावनी जारी किया. नेशनल स्पोर्ट्स कोड के मुताबिक इसे भंग करने के पहले नोटिस देना अनिवार्य है. भारतीय कुश्ती संघ को भंग करना इंडियन हॉकी फेडरेशन बनाम केंद्र सरकार के हाईकोर्ट के फैसले का उल्लंघन है. संघ के एक्जीक्यूटिव काउंसिल का चुनाव जनवरी 2023 से लंबित है.
बता दें, पहलवानों ने बीजेपी सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. महिला पहलवानों ने बृजभूषण और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व सचिव विनोद तोमर के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाते हुए केस भी दर्ज कराया है, जो राऊज एवेन्यू कोर्ट में लंबित है.