रांची: चलते चुनाव के दौरान हजारीबाग के निवर्तमान सांसद जयंत सिन्हा, धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा समेत धनबाद के पांच मंडल अध्यक्षों को नोटिस जारी करने पर झारखंड भाजपा के भीतर से विरोध के स्वर उठने लगे हैं. झारखंड भाजपा किसान मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष ज्योतिरेश्वर सिंह ने प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी को पत्र लिखकर हालिया तौर तरीके पर सवाल खड़े किए हैं. वहीं जयंत सिन्हा ने नोटिस भेजने और उसे सार्वजनिक किए जाने पर आदित्य साहू पर सीधा हमला बोला है. सवाल उठने पर आदित्य साहू ने भी जवाब दिया है.
प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी तक पहुंचा मामला
प्रदेश प्रभारी को पत्र भेजने की सत्यता को जानने के लिए ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने ज्योतिरेश्वर सिंह से फोन पर संपर्क किया तो उन्होंने माना कि पत्र लिखा गया है. उन्होंने यह भी कहा कि पत्र लीक नहीं होता तो शायद वह पार्टी के आंतरिक मसले पर अपनी प्रतिक्रिया भी नहीं देते. उन्होंने बताया कि चलते चुनाव के दौरान हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा और धनबाद के विधायक राज सिन्हा को जिस तरीके से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, उससे आदित्य साहू पर सवाल उठना लाजमी है.
अगर कोई बात थी तो दोनों नेताओं से पहले बात की जानी चाहिए थी. चुनाव के समय ऐसा करने की क्या जरूरत थी. ज्योतिरेश्वर सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि वह भाजपा के सच्चे सिपाही हैं. मोदी जी और बाबूलाल मरांडी जी इतनी मेहनत कर रहे हैं. दूसरी तरफ बिना सोच विचार के पार्टी की परिपाटी के खिलाफ जाकर माननीयों को नोटिस जारी किया जा रहा है. बर्दाश्त नहीं हुआ, इस वजह से प्रभारी जी को पत्र लिखना पड़ा.
जयंत सिन्हा के जवाब से आदित्य साहू की फजीहत
इधर, जयंत सिन्हा द्वारा आदित्य साहू के नोटिस का जवाब सार्वजनिक किए जाने पर पार्टी के भीतर असमंजस वाली स्थिति बन गयी है. नेताओं को कुछ बोलते नहीं बन रहा है. दरअसल, 20 मई को प्रदेश भाजपा महामंत्री आदित्य साहू ने जयंत सिन्हा पर आरोप लगाते हुए नोटिस जारी कर दो दिन में जवाब मांगा था. उन्होंने पत्र में लिखा था कि आप हजारीबाग से भाजपा प्रत्याशी मनीष जायसवाल के लिए चुनाव प्रचार नहीं कर रहे हैं. आपने वोट भी नहीं दिया.
जयंत सिन्हा ने 22 मई को आदित्य साहू के नाम से जारी पत्र में जो बातें लिखी है, इससे आदित्य साहू की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं. उन्होंने अपने जवाब में उस सारी बातों का जिक्र किया, जिन बातों पर फोकस करते हुए ईटीवी भारत ने सबसे पहले खबर प्रकाशित किया था. मसलन, टिकट कटने के बाद ही जयंत सिन्हा ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने नाम अपने संदेश में स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें चुनाव जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए. वह जलवायु परिवर्तन से निपटने के मामलों पर फोकस करना चाहते हैं.
जवाब में जयंत सिन्हा ने स्पष्ट किया है कि जहां तक पार्टी के कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की बात है तो किसी भी रैली या संगठनात्मक बैठक के लिए आमंत्रित तक नहीं किया गया. 29 मई को जब वे दिल्ली में थे, तब मनीष जायसवाल के नामांकन में शामिल होने के लिए निमंत्रण आया था. विलंब से सूचना मिलने के कारण 2 मई को हजारीबाग लौटते ही मनीष जायसवाल से मुलाकात करने गए थे.
उन्होंने यह भी कहा कि वो बैलेट के माध्यम से वोटिंग भी कर चुके हैं. जयंत सिन्हा ने सीधे तौर पर आदित्य साहू पर निशाना साधते हुए कहा कि हजारीबाग चुनाव के लिए पार्टी पदाधिकारी होने के नाते आप कभी भी मुझसे संपर्क कर सकते थे. लेकिन चुनाव संपन्न होने के बाद इस तरह का पत्र भेजना और उसे मीडिया में जारी करना मेरी समझ से परे है. अब जयंत सिन्हा की इस दलील से प्रदेश भाजपा के भीतर खलबली मची हुई है.
धनबाद विधायक राज सिन्हा का क्या था जवाब
इधर, राज सिन्हा भी कह चुके हैं कि वह अपनी बात से पार्टी को अवगत कराएंगे. उन्होंने यहां तक कहा कि जरुर कोई कंफ्यूजन हुआ होगा. उन्होंने भी खुद को भाजपा का सच्चा सिपाही बताया था. इस मामले में धनबाद के पांच मंडल अध्यक्षों को भी शो-कॉज जारी कर धनबाद से भाजपा प्रत्याशी ढुल्लू महतो के पक्ष में काम नहीं करने का आरोप लगाया गया था. यहां तक कहा गया था कि आप सभी चौक चौराहों पर पार्टी के खिलाफ बातें कर रहे हैं.
आदित्य साहू ने आरोप लगाने वालों को बताया सामंतवादी सोच वाला
ईटीवी भारत ने आज झारखंड भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू से नोटिस जारी करने के बाबत सवाल किया तो उन्होंने जवाब में कहा कि यह फैसला शीर्ष नेतृत्व का था. वह सिर्फ माध्यम थे. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का जवाब आ गया है. उन्होंने कहा कि मुझ पर आरोप लगाने वाले सामंतवादी सोच रखने वाले हैं. लिहाजा, नोटिस प्रकरण के बाद झारखंड भाजपा की आंतरिक गुटबाजी अब सबके सामने आ गई है. अब देखना है कि अगले दो चरण के चुनाव पर इस प्रकरण का क्या असर पड़ता है.
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