मेरठ: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर शुक्रवार रात मेरठ में एक निजी कार्यक्रम में शामिल हुए. यहां उन्होंने कहा कि विपक्ष के INDIA गठबंधन की हवा निकल चुकी है. सपा, बसपा और कांग्रेस सभी ने धोखा दिया है. पिछले सात साल से यूपी में बीजेपी की सरकार है. केंद्र में दस साल से बीजेपी की सरकार है. इस दौरान एक भी कर्फ्यू नहीं लगा. एक भी दंगा नहीं हुआ. मुसलमानों के बच्चे पढ़ लिख कर इंजिनियर, डॉक्टर, मास्टर और कलेक्टर बनने के लिए अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
शुक्रवार देर रात्रि को मेरठ में एक शादी समारोह मे सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने शिरकत की. विपक्ष का गठबंधन पूरी तरह बिखर चुका है. बिहार के सीएम नीतिश कुमार ने ही उस गठबंधन की हवा निकाल दी और खुद ही नीतिश कुमार ने उस गठबंधन से खुद को दूर कर लिया और एनडीए में शामिल हो चुके हैं. बाकी बची हुई हवा राष्ट्रीय लोकदल अध्यक्ष जयंत चौधरी ने निकाल दी है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल में विपक्षी गठबंधन को आइना दिखा दिया है. अब गठबंधन में कुछ खास बचा नहीं है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव लंबे समय तक किसी को गुमराह करके धोखा नहीं दे सकते.
![मेरठ में सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कहा- पीएम मोदी और सीएम योगी राज में नहीं हुआ एक भी दंगा](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/24-02-2024/up-mer-03-oprajbharinmeerut-pkg-7202281_24022024110140_2402f_1708752700_850.jpg)
ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि संविधान के अनुसार पिछड़ों को बेहतर शिक्षा, रोजगार मिलना चाहिए. बीजेपी सरकार की हर योजना का लाभ मुसलमानों को मिल रहा है. कांग्रेस और सपा की सरकारों में दंगे होते थे. यूपी और केंद्र दोनों में भाजपा सरकार आने के बाद से न तो दंगे हुए और न ही कर्फ्यू लगा. आज मुसलमानों के बच्चे पढ़कर आगे बढ़ रहे हैं. हर धर्म के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ वर्तमान सरकार में मिल रहा है.
कांग्रेस, सपा या बसपा की सरकार होती थी तो रोज दंगे होते थे. कर्फ्यू लगते थे. दूध पीने के लिए बच्चे तरसते थे. सब्जी के लिए बच्चे तरसते थे. पिछले सात साल से यूपी में बीजेपी की सरकार है. केंद्र में दस साल से बीजेपी की सरकार है. एक भी कर्फ्यू नहीं लगा. एक भी दंगा नहीं हुआ. बीजेपी का ध्यान विकास की तरफ है. सपा, बसपा और कांग्रेस ने सभी ने धोखा दिया है. जितनी जिसकी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी.