नई दिल्ली: भारतीय रेलवे अपने यात्रियों को स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता के बेडरोल देने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि लोगों को यात्रा में किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े. इसके लिए रेलवे बोर्ड ने स्पष्ट नीति निर्धारित की है. इसे लेकर उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय ने जानकारी दी. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा.
उन्होंने बताया कि उत्तर रेलवे में संचालित होने वाली सभी ट्रेनों में वातानुकूलित श्रेणी के कोच में साफ, स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता वाले बेडरोल दिए जाते हैं. सभी चादर और पिलो कवर को सिंगल यूज के बाद मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री में धुलाई और इस्त्री की जाती है, ताकि यात्रियों की आरामदायक, स्वच्छ और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित की जा सके.
धुलाई की अवधि को किया गया कम: उन्होंने आगे बताया कि 2010 में कंबलों की धुलाई जहां 3 महीने में एक बार की जाती थी, अब उस अवधि को घटाकर वर्तमान में 15 दिन में एक बार कर दिया गया है. रेलवे द्वारा एसी कोच में प्रत्येक यात्री को 2 चादरें दी जाती है. इसमें से एक सीट पर बिछाने और दूसरी कंबल के कवर के रूप में इस्तेमाल के लिए होती हैं. इसके अतिरिक्त एसी कोच का तापमान भी 24 डिग्री सेल्सियस के आसपास रखा जाता है, ताकि कंबल की आवश्यकता ही न पड़े और चादर ही पर्याप्त हो.
कंबलों का यूवी सैनेटाइजेशन: उत्तर रेलवे द्वारा संचालित राजधानी, दुरंतो एवं एसी स्पेशल गाड़ियों में उच्च गुणवत्ता वाले बेडरोल दिए जा रहे हैं. हाल ही में उत्तर रेलवे द्वारा गाड़ी संख्या 12424 नई दिल्ली-डिब्रूगढ़ राजधानी में 'अल्ट्रा वायलेट ब्लैंकेट डिसइंफेक्शन' किया गया. हर राउंड ट्रिप समाप्त होने पर उक्त गाड़ी के कंबलों को अल्ट्रा वायलेट कीटाणुशोधन (यू.वी. सैनेटाइजेशन) के लिए भेजा गया, इसके बाद कंबल को टेस्टिंग के लिए भेजा गया. इसमें उत्तर रेलवे ने 99.7 प्रतिशत सफलता हासिल की.
#WATCH | Delhi | Visuals from a mechanised laundry of Anand Vihar railway station where linen is being cleaned to provide hygienic and high-quality bedrolls to the passengers. pic.twitter.com/6kjj2QEk4W
— ANI (@ANI) December 1, 2024
कपड़ों की क्वालिटी की जांच: उत्तर रेलवे पर बेडरोल की अनुपलब्धता और गंदे या फटे बेडरोल की शिकायतों में लगातार कमी आ रही है. साथ ही चादरों और कंबलों को कुछ समय बाद बदल दिया जाता है. इसके अलावा नए लिनेन सेट भी खरीदे जाते हैं. मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री में भी सफाई के लिए हाई क्लालिटी मैटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है. धुले हुए कपड़ों की क्वालिटी चेक करने के लिए व्हाइटोमीटर का इस्तेमाल किया जाता है. उत्तर रेलवे मुख्यालय एवं मंडल स्तर 'रेल मदद' पर प्राप्त बेड रोल सहित अन्य शिकायतों की निगरानी के लिए वार रूम स्थापित किए गए हैं, जो यात्रियों की शिकायत एवं फीडबैक पर निरंतर 24X7 निगरानी करते हैं.
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