हजारीबागः लोकसभा चुनाव को लेकर सोमवार सुबह में लोगों में वोटिंग को काफी उत्साह नजर आया. हजारीबाग संसदीय क्षेत्र में लोग मतदान के लिए सुबह-सुबह ही घरों से निकले. बूथ संख्या 309 में 70 साल की बीमार किरण सिन्हा ने वोटिंग करके लोकतंत्र को मजबूत करने में अपनी सशक्त भूमिका दिखाई. वहीं हजारीबाग के सदर प्रखंड अंतर्गत उत्क्रमित उच्च विद्यालय हुपाद स्थित मतदान केंद्र में पूर्व सांसद यशवंत सिन्हा ने पत्नी के साथ मतदान किया. लेकिन इस संसदीय क्षेत्र दो बूथ ऐसे भी रहे, जहां पर एक भी वोट नहीं पड़ा.
हजारीबाग कटकमदाग प्रखंड अंतर्गत कुसुम्भा गांव के बूथ संख्या 183 और 184 में एक भी वोट नहीं पड़ा. मतदान कर्मी बिना वोटिंग कराए ही बैरंग वापस लौट गए. सुबह से लेकर दिनभर और शाम 5 बजे तक भी इन दोनों मतदान केंद्रों पर सन्नाटा पसरा रहा. इन दो बूथों पर आने वाले गांव के लोगों ने खुद को घर में कैद रखा. इतना ही नहीं कोई भी व्यक्ति कुछ भी कहने को तैयार नहीं हुआ. बता दें कि बूथ संख्या 183 में 979 और 184 में 920 मतदाता हैं.
इस बाबत जिला प्रशासन के वरीय पदाधिकारी समेत डीसी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी नैंसी सहाय भी मतदान केंद्र पहुंचीं और ग्रामीणों से वार्ता की. लेकिन वह वार्ता भी असफल हो गई और उन्हें भी खाली हाथ वापस लौटना पड़ा. दिनभर पुलिस की गाड़ी इधर से उधर घूमती रही लेकिन इसका भी असर ग्रामीणों पर नहीं हुआ. ग्रामीणों ने स्पष्ट कर दिया था कि कुसुम्भा एक भी मतदाता वोट नहीं करेगा.
जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्त नैंसी सहाय ने कहा पिछले कई महीनों से ग्रामीणों से वार्ता हो रही थी लेकिन वह सफल नहीं हुआ. एनटीपीसी से भी वार्ता की गई लेकिन वह भी सकारात्मक नहीं रहा. इसलिए ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार किया है. उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीणों से वार्ता भी की गई लेकिन वह कुछ भी समझने को तैयार नहीं हुए. ग्रामीण बानादाग कोल स्लाइडिंग के पास फ्लाईओवर बनाने की मांग कर रहे हैं. पिछले कई दिनों से प्रदर्शन भी किया लेकिन सकारात्मक पहल नहीं होने से ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार कर दिया.
फ्लाईओवर बनाने की मांग
पिछले कई वर्षों से कुसुम्भा गांव के लोग बानादाग के पास फ्लाईओवर बनाने की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि फ्लाईओवर नहीं बनने के कारण बरसात के समय काफी परेशानी सामना करना पड़ता है. फ्लाईओवर बनाने को लेकर एनटीपीसी से लेकर जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से संपर्क किया गया था. लेकिन किसी ने भी इस दिशा में कोई पहल नहीं की थी. ऐसे में ग्रामीणों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए वोट बहिष्कार कर दिया और यहां के करीब एक हजार मतदाताओं ने अपना वोट नहीं डाला.
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