शिमला: हर साल मार्च माह के दूसरे बुधवार को नो स्मोकिंग डे मनाया जाता है. ये दिवस स्मोकिंग के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक करने और स्मोकिंग छोड़ने के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए मनाया जाता है. इस साल नो स्मोकिंग डे आज, यानी 13 मार्च को मनाया जा रहा है. वहीं, इस साल 2024 में नो स्मोकिंग डे की थीम 'तंबाकू उद्योग की हस्तक्षेप से बच्चों की सुरक्षा' यानी बच्चों को तंबाकू प्रोडक्ट्स से बचाना है.
हिमाचल में बढ़ रहे कैंसर के मरीज
हिमाचल प्रदेश में कैंसर की समस्या गंभीर रूप ले रही है. प्रदेशभर में स्वास्थ्य विभाग के तमाम प्रयासों के बाद भी कैंसर के मरीजों में कमी नहीं आ रही है. बीमारियों से होने वाली मौतों में सबसे बड़ा कारण कैंसर पाया गया है. कैंसर अस्पताल शिमला के डॉक्टरों ने बताया कि कैंसर के मरीजों में सबसे ज्यादा लंग कैंसर के मरीज पाए जाते हैं. प्रदेश में पुरुषों में लंग कैंसर के मरीज ज्यादा हैं. हालांकि महिलाएं भी इसकी चपेट में हैं.
लंग कैंसर का मुख्य कारण
कैंसर अस्पताल शिमला के एचओडी डॉ. मनीष गुप्ता ने बताया कि ओपीडी में आने वाले लंग कैंसर के मरीजों में 99% कारण स्मोकिंग रहता है. प्रदेश में लोग लंग कैंसर की बीमारी को खुला न्योता दे रहे हैं. डॉ. मनीष ने बताया कि महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर को छोड़ कर अन्य कैंसर में स्मोकिंग मुख्य कारण रहता है. उन्होंने बताया कि उनकी ओपीडी में आने वाली 10 महिलाओं में से 9 महिलाओं में कैंसर का मेन रीजन स्मोकिंग ही होता है.
गांव से बढ़ रहे लंग कैंसर के मरीज
डॉ. मनीष गुप्ता का कहना है कि शहर में अब पब्लिक प्लेस पर स्मोकिंग बैन है. जिससे गांव की अपेक्षा में शहरों से कम मरीज आते हैं. जबकि गांव से लंग कैंसर के अधिक मरीज आते हैं. जिनमें कैंसर का कारण स्मोकिंग रहता है, क्योंकि डॉ. मनीष गुप्ता के मुताबिक गांव में अभी भी स्मोकिंग का प्रचलन ज्यादा है. जिसके चलते शहरों से कम और गांव से ज्यादा कैंसर के मरीज आ रहे हैं.
शराब के साथ स्मोकिंग का सेवन जानलेवा
डॉ. मनीष गुप्ता ने बताया कि शराब के साथ स्मोकिंग का सेवन जानलेवा है. इन दोनों नशीले पदार्थों का एक साथ सेवन करने से कैंसर तेजी से फैलता है. डॉक्टर का कहना है कि शराब के साथ स्मोकिंग करने से मुंह और गले का कैंसर होता है. शराब और स्मोकिंग करने से 2 तिहाई फीसदी कैंसर होता है. अगर शराब और स्मोकिंग को लोग छोड़ दें तो कैंसर के मामलों में भारी कमी आएगी.
हर साल लंग कैंसर के 350-400 मरीज
कैंसर अस्पताल शिमला के एचओडी डॉ. मनीष गुप्ता ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में लोग कैंसर की गिरफ्त में है. कैंसर अस्पताल शिमला में हर साल लगभग 2500 से 3000 कैंसर के नए मरीज आते हैं. जिनमें से तकरीबन 350 से 400 मरीज लंग कैंसर के होते हैं. ये मरीज सबसे ज्यादा शिमला, सोलन, सिरमौर और मंडी जिले से आ रहे हैं. डॉ. मनीष गुप्ता ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 99% कैंसर का मेन रीजन स्मोकिंग है.
साल 2020-2022 में लंग कैंसर मरीजों की संख्या
आईजीएमसी के कैंसर अस्पताल शिमला में हर साल करीब 2500 से 3000 नए कैंसर के मरीज अपना इलाज करवाने के लिए पहुंचते हैं. साल 2020 में लंग कैंसर से 340 मरीज ग्रसित हुए थे. वहीं, साल 2021 में 500 मरीज लंग कैंसर की चपेट में आए थे. जबकि साल 2022 में 520 मरीज लंग कैंसर से पीड़ित हुए. डॉ. मनीष गुप्ता का कहना है कि हिमाचल में अधिकतर लंग कैंसर मरीज गांव से आ रहे हैं.
क्या होता है कैंसर?
शरीर में कोशिकाओं के समूह में जब अनियंत्रित वृद्धि होने लगती है, तब इसे कैंसर कहा जाता है. ये कोशिकाएं जब शरीर में टिश्यू को प्रभावित करती हैं, तो कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल जाता है. कैंसर की बीमारी किसी भी आयु वर्ग के लोगों को हो सकती है. कैंसर एक जानलेवा बीमारी है, ऐसे में अगर कैंसर का सही समय पर पता न चले और मरीज को सही इलाज न मिले तो इससे व्यक्ति की मौत का खतरा बढ़ जाता है.
कैंसर के कारण
कैंसर की बीमारी होने के कई कारण होते हैं. हर कैंसर के होने के अलग-अलग कारण हैं, लेकिन कुछ मुख्य कारक ऐसे भी हैं, जिनसे किसी को भी कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.
- वजन या मोटापा ज्यादा होना
- शारीरिक सक्रियता न होना
- अल्कोहल और नशीले पदार्थों का ज्यादा सेवन
- पौष्टिक आहार न लेना
- दिनचर्या में व्यायाम को शामिल न करना
इसके अलावा कैंसर के अन्य कारण भी हैं.
- कैंसर अनुवांशिक भी हो सकता है.
- किसी गंभीर बीमारी के कारण भी कैंसर हो जाता है.
- अगर किसी गंभीर बीमारी के लिए दवाएं ले रहे हैं, तो इन दवाओं के साइड इफेक्ट्स के कारण भी कैंसर हो सकता है.
- बढ़ती उम्र के साथ शारीरिक सक्रियता कम हो जाती है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ता है.
- बढ़ती उम्र के पड़ाव पर व्यक्ति ज्यादा बीमारी रहने लगता है, जिससे भी कैंसर हो सकता है.
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