बीजापुर: डीएमएफ फंड में घोटालों की चर्चा के बाद सरकार ने छत्तीसगढ़ के कई जिलों में फंड की राशि देनी बंद कर दी है. उन जिलों में बीजापुर भी शामिल है. डीएमएफ की पैसे नहीं मिलने से कई काम बीच में रुके पड़े हैं. इस मद से सैंकड़ों कर्मचारी भी अलग अलग शासकीय विभागों में कार्यरत हैं, जिन्हें पिछले कई महीनों से सैलरी नहीं मिल रही है.
बीजापुर में डीएमएफ मद से स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को हर महीने मोटी रकम वेतन के रूप में दी जाती है. बीजापुर में स्वास्थ्य विभाग के 155 कर्मचारियों का लगभग 50 लाख रुपए का भुगतान हर महीने किया जाता है. बीजापुर में 90, भोपालपटनम में 17, भैरमगढ़ में 25, उसूर में 23 कर्मचारी डीएमएफ मद के अंतर्गत काम कर रहे हैं.
लेकिन डीएमएफ फंड रुक जाने से नक्सल प्रभावित जिले में इस मद से नियुक्त कर्मचारियों को पिछले कई महीनों से वेतन नहीं मिल रहा है. इसमें सबसे ज्यादा स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी हैं जिनमें डॉक्टर, मेडिकल ऑफिसर, स्टॉफ नर्स तृतीय, चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी शामिल हैं. इसके साथ ही दूसरे विभागों में काम कर रहे कर्मचारियों को भी वेतन नहीं दिया जा रहा हैं.
"महीनों से नहीं मिल रही सैलरी, कैसे करें गुजारा": डीएमएफ संघ जिला अध्यक्ष और स्वास्थ्य कर्मी प्रेम कुमार आईल ने बताया वे अनियमित कर्मचारी में आते हैं. पिछले गर्मी के दिनों से ही उन्हें सैलरी मिलने में काफी दिक्कत आ रही है. शहरी क्षेत्र होने के कारण माचिस से लेकर हर चीज उन्हें खरीदनी पड़ती है. वेतन नहीं मिलने से उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
हमने सैलरी को लेकर कई बार अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा लेकिन समस्या का हल नहीं निकला. अधिकारी डीएमएफ बंद होने का हवाला दे रहे हैं. ऐसे में हमने उन्हें दूसरे में मर्ज कर सैलरी दिलाने की मांग की. हमारी मांगे है कि सैलरी हमें समय पर मिल जाए. पिछले 8 से 10 सालों से काम कर रहे हैं लेकिन ना इंक्रीमेंट मिल रहा है ना ही कोई भत्ता मिलता है. समय के अनुसार महंगाई काफी बढ़ गई है.-प्रेम कुमार आईल, स्वास्थ्य कर्मी
रतना ठाकुर सिविल सर्जन ने बताया कि डीएमएफ में कुल 57 लोग है. उनका सैलरी का इश्यू था. सीएमओ ऑफिस से 2 महीने की सैलरी रिलीज हो चुकी है. सिविल सर्जन का कहना है कि सैलरी देने में एक दो दिन इधर उधर हो जाता है. कलेक्टर से सैलरी के लिए सभी पत्राचार किया जा चुका है. उनकी तरफ से सैलरी जल्द देने का आश्वासन दिया गया है.
पैरा मेडिकल को 2 महीने मेडिकल ऑफिसर को 1 महीने की सैलरी जारी: सीएचएमओ बीआर पुजारी ने बताया डीएमएफ के 134 कर्मचारी है. जिनमें 15 से 20 मेडिकल ऑफिसर और डॉक्टर है. जिन्हें सैलरी दी जाती है. जो लगभग 50 लाख रुपये होता है. पिछले तीन महीने से डीएमएफ फंड में इश्यू के कारण सैलरी नहीं मिल पा रही थी. पैरा मेडिकल स्टाफ का 2 महीने की सैलरी जारी कर दी गई है. मेडिकल ऑफिसर और डॉक्टर की एक महीने की सैलरी जारी की गई है. आने वाले समय में बाकी की सैलरी भी दे दी जाएगी.
क्या है डीएमएफ फंड: केंद्र सरकार ने 2015 में प्रधानमंत्री खदान क्षेत्र कल्याण योजना के कानूनी प्रावधानों के तहत जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) का कानून बनाया था. इसके तहत प्रदेश से निकलने वाले गौण खनिज की रॉयल्टी के अनुपात में एक निश्चित रकम डीएमएफ में जमा होती है. इसका खर्च जिले में जरुरत के हिसाब से किया जाता हैं. इसके लिए कलेक्टरों की अध्यक्षता में कमेटियों का गठन किया गया. साल 2018 में कांग्रेस सरकार आने के बाद इस व्यवस्था को बदल दिया गया. कुछ महीनों से ये चर्चा है कि डीएमएफ फंड में बड़ा घोटाला हुआ हैं. इस मद का दुरुपयोग किया गया है.