हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश में विकास के नाम पर राजनीतिक दल सिर्फ वोट बटोरने का काम करते हैं. हर गांव में बिजली, पानी और सड़क सुविधा के वादे तो किए जाते हैं, लेकिन चुनाव के बाद ये वादे और जनता दोनों को ही राजनीतिक दल भूल जाते हैं. ऐसा ही एक मामला हमीरपुर जिले के बड़सर विधानसभा क्षेत्र से भी सामने आया है. यहां की ग्राम पंचायत सोहारी के बरला गांव में लोग आज भी सड़क जैसी मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहे हैं.
2 किलोमीटर सड़क के लिए तरस रहे ग्रामीण
दरअसल बरला गांव में हरिजन बस्ती बरला के ग्रामीण सालों से 2 किलोमीटर सड़क बनने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन आज दिन तक ये सड़क नहीं बन पाई है. ग्रामीणों का कहना है कि चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस, दोनों राजनीतिक दलों से उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला है, लेकिन आज तक यहां पर ये 2 किलोमीटर की सड़क किसी ने नहीं बनवाई. जबकि हर चुनाव के समय उन्हें सड़क बनवाने का भरोसा दिलाया जाता है, लेकिन चुनाव जीतते ही विधायक उन्हें भूल जाते हैं. हालात ये हैं कि गांव में पहुंचने के लिए लोगों को घने जंगल और नाले से होकर गुजरना पड़ता है. यहां पर एक कच्चा रास्ता है, जिसकी स्थिति बरसात के समय में बदतर हो जाती है.
मरीजों को पालकी में उठा कर मेन रोड तक पहुंचना पड़ता है
ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के समय यहां पर नाले में पानी का स्तर बढ़ जाता है, जिससे बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते हैं और उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है. वहीं, अगर गांव में कोई बीमार हो जाए, तो उसे कंधों पर या पालकी में उठा कर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है. आजादी के 78 साल बीत जाने के बाद भी ग्रामीण सड़क सुविधा न होने का दंश झेल रहे हैं. अब ग्रामीण मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से सड़क बनाने की गुहार लगा रहे हैं. वहीं, स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों ने भी कई बार प्रशासन और विभाग को इसके बारे में अवगत करवाया, लेकिन स्थिति जस की तस बनी रही.
वहीं, स्थानीय ग्रामीण जीवन कुमार, रजनी, सुदेश कुमार व अन्य ग्रामीणों ने बताया, "कई बार भाजपा और कांग्रेस पार्टी के विधायकों को इस बारे में अवगत करवाया गया, लेकिन उन्होंने कोई सुध नहीं ली. रास्ता घने जंगल और नाले से होकर गुजरता है. छोटे-छोटे बच्चों को परिजनों को स्कूल छोड़ने जाना पड़ता है. अकेले बच्चे इस रास्ते से स्कूल और घर नहीं पहुंच पाते हैं. जंगली जानवरों और बरसात में नाले में पानी के डर से बच्चे स्कूल में भी नहीं जा पाते हैं." ग्रामीणों ने प्रदेश सरकार से उनके इलाके में सड़क बनाने की गुहार लगाई है.
स्थानीय पंचायत प्रधान रणजीत सिंह उर्फ बब्बी ने बताया, "बरला गांव के निवासियों की मांग जायज है. कई बार पंचायत की तरफ से विभाग सरकार को प्रस्ताव डाला गया, लेकिन अभी तक कोई मंजूरी नहीं मिली है. सड़क बनाने के लिए जमीन और काफी पैसा खर्च होगा. इतने फंड पंचायत के पास नहीं होते, जिससे सड़क का निर्माण किया जा सके. अगर सरकार गांव के लिए सड़क बनाने का काम करती है तो पंचायत पूरा सहयोग करेगी."