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NIC के सॉफ्टवेयर में रीइश्यू का कोई विकल्प नहीं, गलती का खामियाजा भुगत रहे आवेदक, DL के लिए फिर से करना होगा आवेदन - TRANSPORT DEPARTMENT

एनआईसी के सॉफ्टवेयर में गलती के चलते आवेदकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लखनऊ के एक आवेदक के डीएल पर गलत वैधता एनआईसी सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के चलते हुई है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 5, 2024, 10:19 PM IST

लखनऊ : परिवहन विभाग के लिए एनआईसी सिरदर्द साबित हो रहा है. गलती एनआईसी कर रहा है और किरकिरी परिवहन विभाग की हो रही है. एनआईसी की गलती का खामियाजा आवेदकों को भुगतना पड़ रहा है. लखनऊ के एक आवेदक के डीएल पर गलत वैधता एनआईसी सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के चलते हुई, जिसके चलते आवेदक को अब दोबारा आवेदन करना पड़ सकता है. एनआईसी के सॉफ्टवेयर में रीइश्यू का कोई विकल्प फिलहाल है ही नहीं.




ट्रांसपोर्टनगर स्थित आरटीओ कार्यालय में लखनऊ उत्तरी से विधायक नीरज बोरा के चचेरे भाई सुनील कुमार बोरा ने अपने ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) का रिन्यूवल करवाया. जब उन्हें स्मार्ट कार्ड डीएल मिला तो उसमें गलत वैधता प्रिंट थी. उन्हें जो डीएल मिला उसमें सुनील कुमार बोरा, महानगर निवासी पते के साथ डीएल का नंबर दर्ज था और डीएल 12 अगस्त 2024 को जारी किया गया, जबकि इसकी वैधता 12 अगस्त 2023 में ही खत्म दर्ज की गई. अब सवाल यह उठ रहा है कि जो डीएल 2024 में जारी किया गया उसकी वैधता एक साल पहले कैसे खत्म हो सकती है.



एनआईसी का खस्ताहाल सर्वर दे रहा दर्द : एनआईसी का सर्वर डीएल की राह में बाधा बना हुआ है. अब इससे डाटा भी गलत होने लगा है. इसका खामियाजा आवेदकों को भुगतना पड़ रहा है. घर बैठे लाइसेंस बनाने के लिए फेसलेस की व्यवस्था भी अब सुविधा के बजाय असुविधा में बदल रही है. फेसलेस की तकनीकी दिक्कतों को आवेदक समझ नहीं पा रहे हैं और आरटीओ के चक्कर लगा रहे हैं. यहां अफसर हाथ खड़े कर ले रहे हैं. यह दोहरी परेशानी परिवहन विभाग के लिए मुसीबत बनती जा रही है. एनआईसी के सर्वर की वजह से पिछले दो महीने से करीब एक लाख ड्राइविंग लाइसेंस अटके हुए हैं. डीएल बन जाने के बाद भी आवेदकों के घर तक पहुंचाए नहीं जा सके हैं, इससे आवेदक परेशान हैं.



लखनऊ के आरटीओ संजय तिवारी ने सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी की बात को लेकर कहा कि इसे सुधारने के लिए एनआईसी को पत्र लिखा गया है. उनका कहना है कि रीइश्यू का विकल्प तलाशा जा रहा है. डीएल फिर से जारी नहीं होने की स्थिति में आवेदक को फिर से नवीनीकरण के लिए अप्लाई करना होगा.

लखनऊ : परिवहन विभाग के लिए एनआईसी सिरदर्द साबित हो रहा है. गलती एनआईसी कर रहा है और किरकिरी परिवहन विभाग की हो रही है. एनआईसी की गलती का खामियाजा आवेदकों को भुगतना पड़ रहा है. लखनऊ के एक आवेदक के डीएल पर गलत वैधता एनआईसी सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के चलते हुई, जिसके चलते आवेदक को अब दोबारा आवेदन करना पड़ सकता है. एनआईसी के सॉफ्टवेयर में रीइश्यू का कोई विकल्प फिलहाल है ही नहीं.




ट्रांसपोर्टनगर स्थित आरटीओ कार्यालय में लखनऊ उत्तरी से विधायक नीरज बोरा के चचेरे भाई सुनील कुमार बोरा ने अपने ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) का रिन्यूवल करवाया. जब उन्हें स्मार्ट कार्ड डीएल मिला तो उसमें गलत वैधता प्रिंट थी. उन्हें जो डीएल मिला उसमें सुनील कुमार बोरा, महानगर निवासी पते के साथ डीएल का नंबर दर्ज था और डीएल 12 अगस्त 2024 को जारी किया गया, जबकि इसकी वैधता 12 अगस्त 2023 में ही खत्म दर्ज की गई. अब सवाल यह उठ रहा है कि जो डीएल 2024 में जारी किया गया उसकी वैधता एक साल पहले कैसे खत्म हो सकती है.



एनआईसी का खस्ताहाल सर्वर दे रहा दर्द : एनआईसी का सर्वर डीएल की राह में बाधा बना हुआ है. अब इससे डाटा भी गलत होने लगा है. इसका खामियाजा आवेदकों को भुगतना पड़ रहा है. घर बैठे लाइसेंस बनाने के लिए फेसलेस की व्यवस्था भी अब सुविधा के बजाय असुविधा में बदल रही है. फेसलेस की तकनीकी दिक्कतों को आवेदक समझ नहीं पा रहे हैं और आरटीओ के चक्कर लगा रहे हैं. यहां अफसर हाथ खड़े कर ले रहे हैं. यह दोहरी परेशानी परिवहन विभाग के लिए मुसीबत बनती जा रही है. एनआईसी के सर्वर की वजह से पिछले दो महीने से करीब एक लाख ड्राइविंग लाइसेंस अटके हुए हैं. डीएल बन जाने के बाद भी आवेदकों के घर तक पहुंचाए नहीं जा सके हैं, इससे आवेदक परेशान हैं.



लखनऊ के आरटीओ संजय तिवारी ने सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी की बात को लेकर कहा कि इसे सुधारने के लिए एनआईसी को पत्र लिखा गया है. उनका कहना है कि रीइश्यू का विकल्प तलाशा जा रहा है. डीएल फिर से जारी नहीं होने की स्थिति में आवेदक को फिर से नवीनीकरण के लिए अप्लाई करना होगा.

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