कटिहार: बिहार में शिक्षा विभाग के कई फरमान इन दिनों गले की हड्डी बन गयी है. विभाग के इन फरमानों की वजह से जहां एक ओर विभाग की किरकिरी हो रही है, वहीं इस फैसले ने छात्रों की मुश्किलें बढ़ा दी है. इंटरमीडिएट परीक्षा के दौरान स्कूलों में सेंटर होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई में बाधा आ रही है. इसके लिए विभाग ने एक स्कूल में अन्य कई स्कूलों को टैग कर दिया लेकिन इस फैसले का नतीजा यह हुआ कि यहां पढ़ाई तो दूर, शिक्षकों को बैठने की भी जगह नहीं हैं.
चार कमरों में सीमटा स्कूल: यह हाल कटिहार के बनियां टोला नगर पालिका मध्य विद्यालय का है. आजादी से पहले वर्ष 1905 में बने इस स्कूल में 365 बच्चों की पढ़ाई के लिये आज भी महज चार कमरे हैं. चार कमरे वाले इस स्कूल में आसपास के अन्य दो स्कूलों को भी टैग कर दिया गया है. इसका कारण यह हैं कि जिस दो स्कूलों को इसमें टैग किया गया है, वहां इंटरमीडिएट की परीक्षा चल रही हैं और वहां पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई में बाधा नहीं आए इसलिए शिक्षा विभाग ने यह फैसला लिया है.
बच्चों के खड़े होने की भी नहीं है जगह: जिस उमा देवी स्कूल को इस स्कूल से टैग किया गया, वहां 450 बच्चे पढ़ने आये और अन्य एक स्कूल महेश्वरी एकेडमी के 400 बच्चों को यहां पढ़ने के लिये जाने का निर्देश दिया गया यानि कुल मिलाकर तीनों स्कूलों से छात्रों की संख्या 1215 हो जाती है. इतना ही नहीं, तीनों स्कूलों के शिक्षकों की संख्या भी कुल मिलाकर 65 हो जाती हैं. अब ऐसे में सवाल उठता हैं कि चार कमरों वाले स्कूलों में 1280 छात्र-छात्रा और शिक्षक कैसे पढ़ाई करेंगे.
नहीं हो रही पढ़ाई: नतीजा यह हैं कि बच्चे इधर-उधर खड़े हैं और शिक्षक जगह के अभाव में सड़कों पर यहां-वहां घूम रहे हैं. उमा देवी गर्ल्स स्कूल की प्रधानाध्यपक शशि प्रभा ने बताया कि "जगह के अभाव में काफी दिक्कत हो रही है. यहां छात्रों के बैठने की भी जगह नहीं है तो 4 स्कूल के बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी. सभी शिक्षक भी यहां-वहां खड़े हैं." छात्र शाहीद अख्तर और छात्रा हनी कुमारी ने भी कहा कि यहां पढ़ाई नहीं हो पा रही है. यहां आने के बाद छात्रों का समय बर्बाद हो रहा है.
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