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मौसम की मेहरबानी, बीते 24 घंटे में वनाग्नि का कोई नया मामला नहीं आया सामने, उत्तराखंड वन विभाग को मिली राहत - Uttarakhand forest fire

उत्तराखंड सरकार और वन विभाग के लिए अच्छी खबर है. बीते 24 घंटे में प्रदेश के अंदर कही से भी कोई वनाग्नि का नया मामला सामने नहीं आया है. शुक्रवार को उत्तराखंड पहुंचे सूबे के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने भी अधिकारियों के साथ बैठक कर वनाग्नि को लेकर उन्हें जरूरी दिशा-निर्देश दिए.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 10, 2024, 9:05 PM IST

देहरादून: बीते कई दिनों से वनाग्नि के जूझ रहे वन विभाग के लिए शुक्रवार दस मई को दिन राहत भरा रहा. मौसम के करवट बदलने के कारण बीते 24 घंटे में जंगलों में आग लगने की कोई घटना सामने नहीं है. वहीं, आज दस मई को वन मंत्री सुबोध उनियाल ने अधिकारियों के साथ वनाग्नि को लेकर समीक्षा बैठक की और उन्हें जरूरी दिशा-निर्देश दिए.

बीते कुछ दिनों से उत्तराखंड के जंगलों में फैली वनाग्नि शांत होने का नाम ही नहीं ले रही थी. वन विभाग के सारे प्रयास विफल साबित हो रहे थे. कुछ इलाकों में हालात इतने खराब हो गए थे कि जंगलों की आग का शांत करने के लिए वायु सेना की मदद तक लेनी पड़ी थी.

SUBODH UNIYAL HELD REVIEW MEETING
अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करते हुए वन मंत्री सुबोध उनियाल. (उत्तराखंड वन विभाग)

हालांकि गुरुवार रात को जैसे ही मौसम ने करवट बदली तो जंगलों की आग भी शांत होने लगी. अच्छी बात ये है कि शुक्रवार को वनाग्नि का कोई भी नया मामला सामने नहीं आया है. वैसे इससे पहले राज्य में अबतक वनाग्नि की 1063 घटनाएं हो चुकी है, जिसमें 1437 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है. इस साल वनाग्नि में पांच लोगों की मृत्यु भी हुई है, जबकि चार लोग घायल हुए है.

उधर दूसरी तरफ वन मंत्री सुबोध उनियाल भी उत्तराखंड पहुंच चुके हैं, उन्होंने प्रदेश में पहुंचते ही वन विभाग के अधिकारियों की बैठक ली. बैठक में समीक्षा के दौरान पाया गया कि पिछले तीन दिनों में आग लगने की घटनाओं में कमी आई है और ऐसे में वनाग्नि प्रबंधन को लेकर दीर्घकालिक रणनीति के तहत प्राथमिकता के आधार पर पंचवर्षीय कार्य योजना तैयार किए जाने की जरूरत महसूस की गई है.

इस कार्य योजना में स्टेट ऑफ द आर्ट तकनीकी (AI) लाइव विजुलाइजेशन, मोबाइल एप, क्लाउड सीडिंग, हाईटेक उपकरण और वन्य जीव सुरक्षा को भी सम्मिलित किया जाए. राज्य में उपवन क्षेत्राधिकारियों को प्रभारी वन क्षेत्राधिकार की तैनाती दिए जाने के लिए तत्काल कार्रवाई किए जाने का भी फैसला लिया गया, जिसके लिए पूर्व में शासन द्वारा जारी आदेश को संशोधित करने का भी निर्णय लिया गया है.

उधर चीड़ बाहुल्य वन क्षेत्र में पिरूल एकत्रीकरण का काम मिशन मोड में महिला स्वयं सहायता समूह और मंगल दलों के जरिए करवाए जाने का भी निर्णय लिया गया. इसके अलावा चारधाम रूट पर वनाग्नि की घटनाओं के लिए भी कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं.

इसके तहत चार धाम यात्रा रूट के प्रभाग आपसी समन्वय से हर 20 किलोमीटर की दूरी पर QRT स्थापित करेंगे. इन दिनों हर किसी स्टेशन पर जीपीएस लोकेशन के माध्यम से मैपिंग की जाएगी. चार धाम यात्रा को संचालित करने के लिए नियमित कर्मचारियों के साथ चार फायर वाचर भी रखे जाएंगे.

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देहरादून: बीते कई दिनों से वनाग्नि के जूझ रहे वन विभाग के लिए शुक्रवार दस मई को दिन राहत भरा रहा. मौसम के करवट बदलने के कारण बीते 24 घंटे में जंगलों में आग लगने की कोई घटना सामने नहीं है. वहीं, आज दस मई को वन मंत्री सुबोध उनियाल ने अधिकारियों के साथ वनाग्नि को लेकर समीक्षा बैठक की और उन्हें जरूरी दिशा-निर्देश दिए.

बीते कुछ दिनों से उत्तराखंड के जंगलों में फैली वनाग्नि शांत होने का नाम ही नहीं ले रही थी. वन विभाग के सारे प्रयास विफल साबित हो रहे थे. कुछ इलाकों में हालात इतने खराब हो गए थे कि जंगलों की आग का शांत करने के लिए वायु सेना की मदद तक लेनी पड़ी थी.

SUBODH UNIYAL HELD REVIEW MEETING
अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करते हुए वन मंत्री सुबोध उनियाल. (उत्तराखंड वन विभाग)

हालांकि गुरुवार रात को जैसे ही मौसम ने करवट बदली तो जंगलों की आग भी शांत होने लगी. अच्छी बात ये है कि शुक्रवार को वनाग्नि का कोई भी नया मामला सामने नहीं आया है. वैसे इससे पहले राज्य में अबतक वनाग्नि की 1063 घटनाएं हो चुकी है, जिसमें 1437 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है. इस साल वनाग्नि में पांच लोगों की मृत्यु भी हुई है, जबकि चार लोग घायल हुए है.

उधर दूसरी तरफ वन मंत्री सुबोध उनियाल भी उत्तराखंड पहुंच चुके हैं, उन्होंने प्रदेश में पहुंचते ही वन विभाग के अधिकारियों की बैठक ली. बैठक में समीक्षा के दौरान पाया गया कि पिछले तीन दिनों में आग लगने की घटनाओं में कमी आई है और ऐसे में वनाग्नि प्रबंधन को लेकर दीर्घकालिक रणनीति के तहत प्राथमिकता के आधार पर पंचवर्षीय कार्य योजना तैयार किए जाने की जरूरत महसूस की गई है.

इस कार्य योजना में स्टेट ऑफ द आर्ट तकनीकी (AI) लाइव विजुलाइजेशन, मोबाइल एप, क्लाउड सीडिंग, हाईटेक उपकरण और वन्य जीव सुरक्षा को भी सम्मिलित किया जाए. राज्य में उपवन क्षेत्राधिकारियों को प्रभारी वन क्षेत्राधिकार की तैनाती दिए जाने के लिए तत्काल कार्रवाई किए जाने का भी फैसला लिया गया, जिसके लिए पूर्व में शासन द्वारा जारी आदेश को संशोधित करने का भी निर्णय लिया गया है.

उधर चीड़ बाहुल्य वन क्षेत्र में पिरूल एकत्रीकरण का काम मिशन मोड में महिला स्वयं सहायता समूह और मंगल दलों के जरिए करवाए जाने का भी निर्णय लिया गया. इसके अलावा चारधाम रूट पर वनाग्नि की घटनाओं के लिए भी कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं.

इसके तहत चार धाम यात्रा रूट के प्रभाग आपसी समन्वय से हर 20 किलोमीटर की दूरी पर QRT स्थापित करेंगे. इन दिनों हर किसी स्टेशन पर जीपीएस लोकेशन के माध्यम से मैपिंग की जाएगी. चार धाम यात्रा को संचालित करने के लिए नियमित कर्मचारियों के साथ चार फायर वाचर भी रखे जाएंगे.

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