भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार पड़ोसी राज्यों में सांची के सेंटर्स को खोलने की तैयारी कर रही है. इधर, प्रदेश के कई और स्थानों पर इसके चिलिंग सेंटर और आउटलेट भी खोले जाएंगे. इसके प्रोडक्ट के विक्रय को बढ़ाने के लिए रणनीति बनाई जाएगी. मध्यप्रदेश दुग्ध उत्पादन के मामले में तीसरे स्थान पर है. प्रदेश में 17 हजार 999 मीट्रिक टन दुग्ध उत्पादन होता है. प्रदेश में हर दिन प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 591 ग्राम है, जो राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा है.
डेली 10 लाख लीटर दूध खरीदी करता है सांची
सांची दुग्ध संघ द्वारा प्रदेश में हर दिन करीबन 10 लाख लीटर दूर की खरीदी की जाती है. 1977 में स्थापित सांची दुग्ध संघ के प्रदेश के 11 जिलों में 22 मिल्क चिंलिंग सेंटर हैं. जहां किसानों से दूध की खरीदी कर इन चिलिंग सेंटर तक पहुंचाया जाता है. जनवरी माह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और पशुपालन विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में अमूल प्रबंधन से सांची दुग्ध संघ की बढ़ाने के लिए मदद मांगी गई थी. बताया जाता है कि बाद में सांची दुग्ध संघ को अमूल में विलय करने की बात भी की गई, लेकिन अमूल डेयरी प्रबंधन द्वारा इसको लेकर रुचि नहीं दिखाई गई.
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सांची ब्रांड का किया जाएगा विस्तार
बताया जाता है कि अमूल डेयरी के प्रोडक्ट की खपत मध्यप्रदेश में तेजी से बढ़ी है. यही वजह है कि अमूल डेयरी प्रबंधन ने सांची दुग्ध संघ की मदद करने में रुचि नहीं दिखाई. अब राज्य सरकार द्वारा इसको लेकर अपने स्तर पर ही प्रयास किए जाएंगे. पशुपालन मंत्री लखन पटेल के मुताबिक "राज्य सरकार सांची दुग्ध संघ के उत्पादों को बढ़ाने को लेकर रणनीति बना रही है. सांची ब्रांड के प्रोडक्ट को मध्यप्रदेश से सटे अन्य राज्यों में भी बढ़ाया जाएगा. सांची दुग्ध संघ को और मजबूत बनाया जाएगा ताकि दूसरे ब्रांड को यह कड़ी टक्कर दे सके. इसके लिए नीति तैयार की जा रही है. इससे प्रदेश के किसानों को फायदा होगा. इधर, प्रदेश में सांची के चिलिंग सेंटर और बाकी जिलों में विक्रय केन्द्रों को खोला जाएगा."