भोपाल : मध्यप्रदेश सरकार जहां महिला और पुरुषों को समानता का दर्जा देने की बात करती है. वहीं महिला कर्माचरियों में ही असमानता निकलकर आ रही है. इसके लिए जिम्मेदार भी कोई और नहीं बल्कि सरकारी तंत्र है. ऐसा ही मामला मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में कार्यरत महिला अतिथि शिक्षिकों है, जो मूलभूत सुविधाओं और मातृत्व अवकाश तक से वंचित रहती हैं.
अतिथि शिक्षिकाओं को नहीं मिलती मैटरनिटी लीव
बता दें कि स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सरकारी शिक्षिकाओं को 180 दिन यानी 6 महीने का मातृत्व अवकाश दिया जाता है. लेकिन महिला अतिथि शिक्षिकों को मातृत्व अवकाश का लाभ विभाग द्वारा नहीं दिया जा रहा है. इस मामले को लेकर अतिथि शिक्षक संघ द्वारा कई बार विभाग के उच्च अधिकारियों से भी मांग की गई, ज्ञापन सौंपा गया. लेकिन इसके बाद भी अब तक अतिथि शिक्षकाओं के लिए मातृत्व अवकाश की घोषणा नहीं की गई.
मातृत्व अवकाश की नहीं मिलती अनुमति
राजधानी भोपाल के एक स्कूल में पदस्थ अतिथि शिक्षिका ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कुछ समय पहले उसकी डिलेवरी हुई है. घर में बच्चे की देखरेख करने वाले पति के अलावा कोई और नहीं है. पति भी नौकरीपेशा हैं. ऐसे में उन्होंने विभाग को मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया था, जिसे अस्वीकार कर दिया गया. इसी तरह एक अन्य स्कूल में पदस्थ अतिथि शिक्षिका ने बताया कि उसके बेटे को गंभीर बीमारी है. इसके इलाज के लिए भोपाल से बाहर जाना था. इसलिए उन्होंने एक महीने का मातृत्व अवकाश मांगा था. जिसे विभाग द्वारा निरस्त कर दिया गया.
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क्या है मैटरनिटी लीव को लेकर नियम?
लोक शिक्षण संचालनालय की आयुक्त शिल्पा गुप्ता ने बताया, '' अतिथि शिक्षिकों की सेवा शर्तों में मातृत्व समेत अन्य अवकाश व सुविधाओं का जिक्र नहीं है, न ही ऐसा कोई नया आदेश आया है. ऐसे में अतिथि शिक्षिकाओं को मातृत्व अवकाश का लाभ नहीं दिया जा सकता. इस मामले में अतिथि शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह परिहार ने कहा, '' हम कई बार विभाग से महिला अतिथि शिक्षकों के लिए मातृत्व अवकाश की मांग कर चुके हैं. इसके कारण कई बार महिलाओं को नौकरी भी छोड़नी पड़ती है. इसलिए हमने अवैतनिक मातृत्व अवकाश देने की मांग भी की. लेकिन कोई असर नहीं हुआ.''