नालंदा: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में ताड़ के पेड़ पर बच्चों को पढ़ाने की खबर से जिला प्रशासन एक्शन में नजर आई. स्कूल पहुंच कर प्रशासन की टीम ने मरम्मती का काम और दूसरे फ्लोर पर दो नए कमरे बनाने का आश्वासन दिया. जिसका भवन निर्माण विभाग से मापी करा एस्टीमेट भी मांगा गया लेकिन दो गांव के बीच जारी विवाद के कारण फिर ये काम अधर में लटक गया है, गर्मी में बिना बिजली और पंखे के बच्चों का भविष्य अंधकार में डूब रहा है.
विद्यालय में नहीं है बिजली: नालंदा जिले के इस्लामपुर प्रखंड अंतर्गत केवाली उत्क्रमित मध्य विद्यालय में कुव्यवस्था सामने आई थी. जहां डेढ़ कमरे में ढाई सौ बच्चों को शिक्षा दी जाती है. बच्चों को अंधेरे में बिना बिजली पानी के पढ़ाया जाता था. जिसके बाद बच्चों की सहमति पर शिक्षिका ने ताड़ के पेड़ को ब्लैक बोर्ड बनाकर पढ़ाना शुरू किया. आज फिर से स्कूल उसी स्थिति में नजर आ रहा है.
असामाजिक तत्व स्कूल निर्माण में बने बाधा: दूसरे गांव में भी एक निजी घर में पंचायत भवन में नवसृजित स्कूल संचालित किया जा रहा है. जिसमें 1 से 5वीं कक्षा तक के बच्चों की पढ़ाई होती है. सूत्रों की मानें तो स्थानीय प्रशासन चाहे तो भवन का निर्माण किया जा सकता है. इसके साथ ही जो असामाजिक तत्व स्कूल निर्माण कार्य में बाधा डाल रहे हैं, उसे चिंहित कर दंडनात्मक कार्रवाई की जा सकती है.
दो गांव के बीच स्कूल का विवाद: उत्क्रमित मध्य विद्यालय 1956 से संचालित हो रहा है. जहां स्कूली बच्चों को ताड़ के पेड़ को ब्लैक बोर्ड बनाकर स्कूल की शिक्षिका द्वारा पढ़ाया जा रहा था. जब ईटीवी भारत ने इस खबर को प्रमुख्ता से चलाई तो जिला शिक्षा पदाधिकारी, कार्यक्रम पदाधिकारी और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने मामले को संज्ञान में लेते हुए ग्रामीणों के साथ बैठक की. बावजूद इसके दूसरे दिन स्कूल पहुंच कर दूसरे गांव के लोगों ने वहां सभी को धमकाया और कहा कि अगर यहां स्कूल का काम हुआ तो अच्छा नहीं होगा.
दो गांव में गोलीबारी और तनाव की स्थिति: असामाजिक तत्वों की वजह से काम एक बार फिर थम गया है. जिला शिक्षा पदाधिकारी राज कुमार ने बताया कि तत्काल बच्चे ताड़ के पेड़ के नीचे न पढ़ें उसके लिए इंजीनियर से बात कर एस्टीमेट बनवाया जा रहा है ताकि बच्चों को जो समस्या है उसे दूर किया जाए. हालांकि हकीकत यह है कि दो गांव के बीच स्कूल बनाने का विवाद है. जिसकी दूरी मात्र एक किमी है. दोनों गांव के लोग स्कूल को अपने गांव में संचालित करवाना चाहते हैं. हालात ऐसे हैं कि अगर एक जगह निर्माण कार्य कराया जाए तो गोलीबारी और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
कोर्ट में चल रहा है मामला: मामला सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के बाद निचली अदालत के जरिए जिला परिषद को सुलह करने के लिए दिया गया है. जब उन्होंने जांच कर काम दुरुस्त करवाने की बात कही तो दूसरे दिन पड़ोसी गांव वालों ने आकर इस संबंध में पहले अपने स्कूल को तैयार करने की मांग की. इससे पहले 5 कमरे इस स्कूल में बनाने का फंड मिला था लेकिन इसी विवाद की वजह से ये काम अटका हुआ है.
"तत्काल बच्चे ताड़ के पेड़ के नीचे न पढ़ें उसके लिए इंजीनियर से बात की जा रही है. यह दो गांव के बीच स्कूल बनाने का विवाद है. जिसकी दूरी मात्र एक किमी है. दोनों गांव के लोग स्कूल को अपने गांव में संचालित करवाने की मांग कर रहे हैं. फिर भी हमारी कोशिश है कि दो गांव के बीच के विवाद को सुलझाकर स्कूल का निर्माण कराया जा सके."-राज कुमार, शिक्षा पदाधिकारी
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