पटना : कोलकाता के आरजीकर मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों के 11 दिनों से चले आ रहे उपवास के समर्थन में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के द्वारा देशभर में मंगलवार को एक दिवसीय कार्य बहिष्कार के आह्वान का पटना के अस्पतालों पर कोई असर नहीं दिखा. पटना के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में सुचारू रूप से कार्य हुए.
बिहार में बंद का असर नहीं : आईजीआईएमएस, पीएमसीएच जैसे अस्पतालों में ओपीडी में मरीज देखे जा रहे थे और रूटिन सर्जरी भी जारी थी. जबकि आईएमए राष्ट्रीय की ओर से स्ट्राइक के कॉल के बाद बिहार शाखा ने सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक अस्पतालों के रूटीन कार्य को बंद कर उपवास करने का कॉल दिया था.
हाथ में काला पट्टी लगाकर चिकित्सकों ने किया काम : पटना के आईजीआईएमएस में रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन की ओर से आरजीकर की मेडिकल स्टूडेंट्स के सपोर्ट में हाथों पर काला पट्टी बांधकर के अस्पताल में काम किया गया. रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर रजत कुमार ने बताया कि आरजीकर के मेडिकल स्टूडेंट्स के साथ अपनी सॉलिडेरिटी दिखाने के लिए उन लोगों ने हाथ पर काला पट्टी बांधकर के काम करने का निर्णय लिया है.
''पर्व त्यौहार के बाद अस्पताल खुले हैं तो अस्पताल में पेशेंट की भीड़ है. पेशेंट के हित में हमलोगों ने हड़ताल न करने का निर्णय लिया है, लेकिन हम सभी आरजीकर के डॉक्टर के साथ पूरी तरह खड़े हैं और उनकी मांगों का पूरा समर्थन करते हैं.''- डॉक्टर रजत कुमार, अध्यक्ष, रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन
'बंगाल सरकार की नहीं दिख रही पहल' : डॉ रजत कुमार ने कहा कि बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने जो आश्वासन देकर डॉक्टर्स की स्ट्राइक को खत्म कराया, वह पूरी नहीं हुई. डॉक्टरों की 10 सूत्री मांगों पर कार्य नहीं हुए. ऐसे में क्षुब्ध होकर वहां के मेडिकल स्टूडेंट्स 11 वें दिन लगातार अनशन पर बैठे हुए हैं. भूख से छात्रों की तबीयत बिगड़ रही है लेकिन सरकार इसे खत्म करने के लिए सकारात्मक वार्ता की पहल करते हुए नहीं दिख रही है, यह काफी दुखद है.
'सभी घटना पर नजर बनी हुई है' : डॉ रजत कुमार ने बताया कि सरकार को चाहिए की सबसे पहले जो मेडिकल स्टूडेंट्स भूख हड़ताल पर हैं, उसे जल्द खत्म करवाए. आईसीयू में मरीजों को देखने वाले डॉक्टर भूख हड़ताल के कारण आईसीयू में एडमिट हो गए हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होनी है, उस पर भी उनकी नजर बनी हुई है. यदि मेडिकल स्टूडेंट का भूख हड़ताल जल्द खत्म नहीं होता है तो आईजीआईएमएस में वह लोग भी स्ट्राइक पर जा सकते हैं.
चिकित्सक कर सकते हैं पलायन : डॉ रजत कुमार ने बताया कि डॉक्टरों की सिर्फ प्रमुख मांग है कि उन्हें वर्कप्लेस पर सुरक्षा मिले. मरीज को भी सेफ्टी मिलनी चाहिए. पहले जब भारत में मेडिकल की पढ़ाई की स्थिति अच्छी नहीं थी तब मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए लोग पलायन करते थे. यदि सेफ्टी नहीं रहेगी तो यहां से एक बार फिर मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए लोग विदेशों में पलायन करने लगेंगे. मेडिकल स्टूडेंट्स की मांग जायज है और सरकार को पूरी संवेदनशीलता के साथ उनकी बातों को माननी चाहिए.
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