पटना: आए दिन आरजेडी की ओर से मोदी सरकार पर आरक्षण समाप्त करने के आरोप लगाए जाते हैं. ऐसे में पटना पहुंचने पर मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने इसका जवाब दिया और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को जमकर कोसा.
'आरक्षण विरोधी के साथ है लालू-तेजस्वी': केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने मंगलवार को कहा कि जिस दल ने गरीबों के आरक्षण का विरोध किया आज आरजेडी उसी दल के साथ हाथ मिलाए हुए है. ऐसे लोगों से हाथ मिलाकर आरजेडी देश को आरक्षण के नाम पर बरगलाने का काम कर रही है. भाजपा पर भ्रामक टिप्पणी कर रहे हैं. कांग्रेस आरक्षण की विरोधी रही है और गरीबों गुरबों की हकमारी में ही विश्वास करती थी. उसके साथ सम्मिलित होकर लालू जी ने पाप किया है. आरक्षण विरोधी अगर कोई है तो कांग्रेस और आरजेडी है.
"मैं लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव से कहना चाहता हूं कि जब लोकसभा में आरक्षण पर चर्चा हो रही थी और मंडल कमीशन ने अपनी रिपोर्ट पेश की थी, तब तत्कालीन कांग्रेस नेता राजीव गांधी ने पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का विरोध किया था. राजद और कांग्रेस आरक्षण के खिलाफ हैं. भाजपा ने जनसंघ के जमाने से आरक्षण नीति को स्वीकार किया है. PM मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने OBC आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर आरक्षण नीति को और मजबूत किया है."- नित्यानंद राय, केंद्रीय मंत्री
'सभी नाटक और दिखावा करते हैं': नित्यानंद राय ने आगे कहा कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी ने जो पिछड़ों दलितों और गरीबों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया था, उसका भारतीय जनता पार्टी प्रबल समर्थन करती है. पीएम मोदी ने वैसे-वैसे संस्थानों में जहां आरक्षण लागू होने के बावजूद आरक्षण की नीति लागू नहीं हुई थी, वहां भी इसे लागू किया गया. आरजेडी लगातार कांग्रेस की सरकार में रही है क्यों नहीं पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया? क्यों आरक्षण विरोधी कांग्रेस के साथ गठबंधन की सरकार में रहे? लालू, तेजस्वी और कांग्रेस पिछड़ों के आरक्षण के घोर विरोधी हैं. वो सभी नाटक और दिखावा करते हैं.
लालू के पोस्ट पर हंगामा: बता दें कि लालू यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने लिखा है कि "इन RSS/BJP वाला का कान पकड़, दंड बैठक करा इनसे जातिगत जनगणना कराएंगे. इनका क्या औक़ात है जो ये जातिगत जनगणना नहीं करायेंगे? इनको इतना मजबूर करेंगे कि इन्हें जातिगत जनगणना करना ही पड़ेगा. दलित, पिछड़ा, आदिवासी और गरीब का एकता दिखाने का समय अब आ चुका है.
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