पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अतिरिक्त परामर्शी मनीष कुमार वर्मा को लेकर पिछले लंबे समय से यह चर्चा में रहा है कि नीतीश कुमार उन्हें जदयू में बड़ी जिम्मेवारी देंगे. लोकसभा चुनाव में नालंदा से चुनाव लड़ाने की भी चर्चा हो रही थी. राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दिल्ली में हुई बैठक में भी यह चर्चा थी कि उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी और अब यह चर्चा है कि मनीष वर्मा जदयू में शामिल होने जा रहे हैं.
जदयू में शामिल होंगे मनीष कुमार वर्मा: 9 जुलाई को मनीष वर्मा जदयू में शामिल हो सकते हैं. जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और वरिष्ठ मंत्री विजय कुमार चौधरी पार्टी कार्यालय में 4:00 बजे प्रेस कांफ्रेंस करने वाले हैं. संभवत उसमें शामिल हो सकते हैं. हालांकि पार्टी नेताओं की तरफ से अभी भी मनीष कुमार वर्मा को लेकर कोई जानकारी नहीं दी जा रही है. नीतीश कुमार के नजदीकी संजय गांधी का कहना है कि हम लोग भी सुन ही रहे हैं मनीष वर्मा जदयू में शामिल होंगे, शामिल हो सकते हैं इसमें कोई बड़ी बात नहीं है.
कौन हैं मनीष: मनीष कुमार वर्मा मूल रूप से नालंदा के रहने वाले हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जाति से आने के साथ-साथ उनके करीबी रिश्तेदार भी बताए जाते हैं. मनीष कुमार वर्मा 2000 में ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी बने और सबसे पहले वह ओडिशा के कालाहांडी में सब कलेक्टर बनाए गए थे. इसके बाद वह गुनपुर, रायगढ़ में एसडीएम के पद पर रहे.
मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में कर चुके हैं काम: मनीष कुमार वर्मा को नौकरी के पांच साल बाद पहली बार मलकानगिरी जिले का डीएम बनाया गया था. 2012 तक वह ओडिशा में कई जिलों के डीएम रहे, लेकिन 2012 के बाद ओडिशा को छोड़कर इंटर स्टेट डेपुटेशन में पांच साल के लिए बिहार आ गए. बिहार में पांच साल रहने के दौरान पटना का भी DM बनाया गया और मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में भी काम करने का मौका दिया गया.
पटना और पूर्णिया के रह चुके हैं डीएम: 23 मार्च 2018 को पांच साल पूरा हुआ तो भारत सरकार की मंत्रिमंडलीय नियुक्ति समिति की ओर से पत्र जारी किया गया और इन्हें वापस ओडिशा भेजा जाने लगा तो मनीष कुमार वर्मा ने इनकार कर दिया. वीआरएस लेकर उन्होंने नौकरी छोड़ दी. मनीष कुमार वर्मा 2014 में पटना के जिलाधिकारी के पद पर रह चुके हैं. इसके बाद उन्हें पूर्णिया का भी डीएम बनाया गया था.
चर्चाओं का बाजार गर्म: मनीष वर्मा के पटना डीएम के कार्यकाल में गांधी मैदान में रावण वध के दौरान बड़ी घटना हुई थी, जिसमें कई लोगों की जान गई थी.मनीष वर्मा के वीआरएस लेने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2 फरवरी 2022 को कैबिनेट की बैठक में अतिरिक्त परामर्शी का पद उनके लिए सृजित किया था तब से उसी पद पर हैं. मनीष कुमार वर्मा ऐसे तो लगातार राजनीति में सक्रियता दिखा रहे हैं. नालंदा में भ्रमण भी कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव में भी कार्यकर्ताओं से उन्हें मिलते हुए देखा गया.अपनी राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से देते भी रहे हैं. हालांकि अभी तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी है सिर्फ चर्चा ही रहा है.
क्या नीतीश ने ढूंढ लिया अपना उत्तराधिकारी: मनीष कुमार वर्मा के बारे में यह भी चर्चा रही है कि नीतीश कुमार उन्हें अपना उत्तराधिकारी बना सकते हैं. नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को भी पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दी थी. आरसीपी सिंह भी आईएएस अधिकारी थे. उन्होंने भी वीआरएस लिया था और नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष तक बनाया , केंद्र में मंत्री भी बने लेकिन विवाद के बाद आरसीपी सिंह को जदयू छोड़ना पड़ा. चर्चा यह है कि आरसीपी सिंह के स्थान पर मनीष कुमार वर्मा को लाया जा रहा है लेकिन अब देखना है मनीष वर्मा जदयू में कल शामिल होते हैं या नहीं.
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