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निर्जला एकादशी पर ठाकुरजी को कराया जलविहार, शहर भर में श्रद्धालुओं ने लगाई ठंडे पेय की स्टॉल - Nirjala Ekadashi - NIRJALA EKADASHI

जयपुर में निर्जला एकादशी के मौके पर वैष्णव मंदिरों में ठाकुर जी को जलविहार कराया गया. इस दौरान दान-पुण्य का दौर भी चला. लोगों ने पानी के मटके, अन्न, कपड़े, बीजणी (हाथ का पंखा), छाता और फलों का दान किया.

निर्जला एकादशी
निर्जला एकादशी (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 18, 2024, 4:13 PM IST

जयपुर में निर्जला एकादशी की धूम (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर. साल की सबसे बड़ी और प्रमुख एकादशी निर्जला एकादशी पर छोटी काशी के वैष्णव मंदिरों में ठाकुरजी को जलविहार कराया गया. इस दौरान दान-पुण्य का दौर भी चला. वहीं, शहर के प्रमुख मार्गों पर विभिन्न सामाजिक और व्यापारिक संगठनों की ओर से स्टॉल लगाते हुए शरबत, आमरस, मिल्करोज, नींबू पानी आदि वितरित करते हुए राहगीरों की सेवा की गई. वहीं, श्रद्धालुओं ने मनोकामना मांगते हुए व्रत भी रखा.

ज्येष्ठ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है. इस बार त्रिपुष्कर, रवि और शिवयोग, स्वाति नक्षत्र में मंगलवार को निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु की आराधना का दौर शुरू हुआ. लोगों ने पानी के मटके, अन्न, कपड़े, बीजणी (हाथ का पंखा), छाता और फलों का दान किया. वहीं, शहर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में ठाकुर जी को जलविहार कराया गया, यहां भगवान को चंदन का लेप लगाकर रियासत कालीन चांदी के फव्वारे से शीतलता प्रदान की गई. वहीं, ठाकुरजी को तरबूज, फालसे, आम और अन्य ऋतु फल अर्पित किए गए. साथ ही खस और गुलाब के शरबत का भोग लगाया गया.

इसे भी पढ़ें-निर्जला एकादशी पर ग्यारस माता मंदिर में मेले का आयोजन

व्रत रखने से मिलता है पुण्य : मान्यता के अनुसार महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने भी निर्जला एकादशी का व्रत किया था. भगवान श्री कृष्ण के कहने पर ही उन्होंने ये एकमात्र व्रत किया था. इसी वजह से इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन व्रत रखने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है. वहीं, लोगों में मान्यता है कि इस दिन राहगीरों और प्यासों को पानी, शरबत और दूसरे ठंडे पेय पिलाने से मनोकामना भी पूर्ण होती है. यही वजह है कि छोटी काशी में परकोटा क्षेत्र, मानसरोवर, मालवीय नगर, टोंक रोड और जेएलएन मार्ग सहित प्रमुख मंदिरों के बाहर लोगों ने फलों और शरबत आदि की स्टॉल लगाते हुए राहगीरों की सेवा की. बता दें कि कई जगह निर्जला एकादशी सोमवार को मनाई गई, लेकिन छोटी काशी में उदियात तिथि के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत मंगलवार को किया गया और सभी वैष्णव मंदिरों में इसी दौरान ठाकुर जी को जलविहार कराते हुए, विशेष झांकियां भी सजाई गई.

रेल यात्रियों को पिलाया शरबत : कुचामनसिटी में मंगलवार को निर्जला एकादशी के मौके पर राहगीरों के लिए जगह-जगह पर शीतल पेयजल, शरबत, गन्ने का जूस, ठंडाई आदि की व्यवस्था की गई. इस दौरान रेलवे स्टेशन पर भारत विकास परिषद् डीडवाना शाखा के तत्वावधान में शीतल पेयजल व शरबत का वितरण किया गया. शाखा मीडिया प्रभारी लोकेश अग्रवाल ने बताया कि निर्जला एकादशी पर्व पर भारत विकास परिषद् के सदस्यों द्वारा स्थानीय रेलवे स्टेशन पर रेल यात्रियों को शीतल पेयजल व शरबत पिलाया गया.

जयपुर में निर्जला एकादशी की धूम (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर. साल की सबसे बड़ी और प्रमुख एकादशी निर्जला एकादशी पर छोटी काशी के वैष्णव मंदिरों में ठाकुरजी को जलविहार कराया गया. इस दौरान दान-पुण्य का दौर भी चला. वहीं, शहर के प्रमुख मार्गों पर विभिन्न सामाजिक और व्यापारिक संगठनों की ओर से स्टॉल लगाते हुए शरबत, आमरस, मिल्करोज, नींबू पानी आदि वितरित करते हुए राहगीरों की सेवा की गई. वहीं, श्रद्धालुओं ने मनोकामना मांगते हुए व्रत भी रखा.

ज्येष्ठ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है. इस बार त्रिपुष्कर, रवि और शिवयोग, स्वाति नक्षत्र में मंगलवार को निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु की आराधना का दौर शुरू हुआ. लोगों ने पानी के मटके, अन्न, कपड़े, बीजणी (हाथ का पंखा), छाता और फलों का दान किया. वहीं, शहर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में ठाकुर जी को जलविहार कराया गया, यहां भगवान को चंदन का लेप लगाकर रियासत कालीन चांदी के फव्वारे से शीतलता प्रदान की गई. वहीं, ठाकुरजी को तरबूज, फालसे, आम और अन्य ऋतु फल अर्पित किए गए. साथ ही खस और गुलाब के शरबत का भोग लगाया गया.

इसे भी पढ़ें-निर्जला एकादशी पर ग्यारस माता मंदिर में मेले का आयोजन

व्रत रखने से मिलता है पुण्य : मान्यता के अनुसार महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने भी निर्जला एकादशी का व्रत किया था. भगवान श्री कृष्ण के कहने पर ही उन्होंने ये एकमात्र व्रत किया था. इसी वजह से इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन व्रत रखने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है. वहीं, लोगों में मान्यता है कि इस दिन राहगीरों और प्यासों को पानी, शरबत और दूसरे ठंडे पेय पिलाने से मनोकामना भी पूर्ण होती है. यही वजह है कि छोटी काशी में परकोटा क्षेत्र, मानसरोवर, मालवीय नगर, टोंक रोड और जेएलएन मार्ग सहित प्रमुख मंदिरों के बाहर लोगों ने फलों और शरबत आदि की स्टॉल लगाते हुए राहगीरों की सेवा की. बता दें कि कई जगह निर्जला एकादशी सोमवार को मनाई गई, लेकिन छोटी काशी में उदियात तिथि के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत मंगलवार को किया गया और सभी वैष्णव मंदिरों में इसी दौरान ठाकुर जी को जलविहार कराते हुए, विशेष झांकियां भी सजाई गई.

रेल यात्रियों को पिलाया शरबत : कुचामनसिटी में मंगलवार को निर्जला एकादशी के मौके पर राहगीरों के लिए जगह-जगह पर शीतल पेयजल, शरबत, गन्ने का जूस, ठंडाई आदि की व्यवस्था की गई. इस दौरान रेलवे स्टेशन पर भारत विकास परिषद् डीडवाना शाखा के तत्वावधान में शीतल पेयजल व शरबत का वितरण किया गया. शाखा मीडिया प्रभारी लोकेश अग्रवाल ने बताया कि निर्जला एकादशी पर्व पर भारत विकास परिषद् के सदस्यों द्वारा स्थानीय रेलवे स्टेशन पर रेल यात्रियों को शीतल पेयजल व शरबत पिलाया गया.

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