जयपुर : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राजस्थान में हाल ही में हुए दो घटनाओं पर स्वतः संज्ञान लिया है. पहला मामला जेके लोन में बच्चे को गलत खून चढ़ाने का है. वहीं, दूसरा मामला दौसा में बोरवेल में गिरने से 5 साल के बालक की मौत का है.
अस्पताल में चढ़ाया गलत खून : सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज जयपुर से सम्बद्ध जेके लोन अस्पताल में पीड़ित बच्चे को कथित तौर गलत ब्लड ग्रुप चढ़ाए जाने के कारण गंभीर स्थिति में पहुंचाने की रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है. आयोग ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर गहन जांच के लिए कहा है. आयोग ने पीड़ित बच्चे के स्वास्थ्य की स्थिति, मुआवजा, एफआईआर और जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ की गई कार्रवाई सहित रिपोर्ट दो सप्ताह के भीतर मांगी है. बताया गया है कि बच्चे को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है और उसकी हालत गंभीर है. कथित तौर पर बालक को 5 दिसम्बर 2024 और 7 दिसम्बर 2024 को दो अलग-अलग प्रकार का रक्त चढ़ाया गया था.
NHRC, India takes suo motu cognisance of the reported wrong blood transfusion rendering the victim child patient in critical condition at the JK Lon hospital of the Sawai Man Singh Medical College (SMS), Jaipur, Rajasthan. Details at: https://t.co/xoCo1nZt5p pic.twitter.com/Yla8SW9rbe
— NHRC India (@India_NHRC) December 16, 2024
जा चुकी है युवक की जान : आयोग के मुताबिक डॉक्टरों या चिकित्सा पेशेवरों की इस तरह की किसी भी लापरवाही से मरीजों को अपूरणीय क्षति हो सकती है. कथित तौर पर, कुछ महीने पहले ही जयपुर के एसएमएस अस्पताल में एक 23 वर्षीय मरीज की जान चली गई थी. एक ही सरकार में संचालित चिकित्सा सुविधाओं में गलत ब्लड ग्रुप चढ़ाए जाने में लापरवाही के दो कथित मामले वास्तव में चौंकाने वाले हैं और आयोग के लिए चिंता का विषय है. मानवाधिकार आयोग का मानना है कि ऐसी घटनाएं मरीजों के स्वास्थ्य और जीवन के अधिकार का उल्लंघन है. इस तरह की लापरवाही के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, मामले की गहन जांच की जरूरत है. इस मामले में आयोग ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
The NHRC takes suo motu cognisance of the reported death of a five-year-old boy after being trapped in 150 feet deep borewell for nearly 56 hours in Dausa, Rajasthan. May like to refer to the press release at: https://t.co/pVtbRLWBvk pic.twitter.com/ylzRo5U1b6
— NHRC India (@India_NHRC) December 16, 2024
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आर्यन की मौत पर भी प्रसंज्ञान : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने दौसा में 56 घंटे तक 150 फीट गहरे बोरवेल में फंसे पांच साल के बच्चे की मौत के मामले का स्वत: संज्ञान लिया है. NHRC ने पाया है कि इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों का अधिकारियों से पालन नहीं किया जा रहा है. आयोग ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, राजस्थान को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट में दर्ज FIR की स्थिति, जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई और मृतक के परिजनों को दी गई क्षतिपूर्ति (यदि कोई हो) शामिल होनी चाहिए.
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जीवन के अधिकार का उल्लंघन : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), भारत ने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया है कि पांच साल का एक लड़का 11 दिसंबर, 2024 को दौसा जिले, राजस्थान में 150 फीट गहरे बोरवेल में लगभग 56 घंटे तक फंसे रहने के बाद अकाल मृत्यु का शिकार हो गया. आयोग ने इस घटना को मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन का मुद्दा माना है. NHRC ने माना कि ऐसा लगता है कि छोटे बच्चों के खुले बोरवेल में गिरने जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं/घातक दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट और केंद्र के दिशा-निर्देशों का अधिकारियों की तरफ से पालन नहीं किया जा रहा है. यह स्पष्ट लापरवाही न केवल उनकी ओर से कर्तव्य का त्याग है बल्कि लोगों के जीवन के अधिकार का भी उल्लंघन है.
आयोग ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, राजस्थान को मामले में दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगने के लिए नोटिस जारी किया है. इसमें कथित मामले में दर्ज FIR की स्थिति, जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई और मृतक के परिजनों को दी गई क्षतिपूर्ति (यदि कोई हो) शामिल होनी चाहिए.