जयपुर. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की भोपाल बेंच ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल से ईंट-भट्टों से होने वाले प्रदूषण को लेकर सख्ती दिखाने को कहा है. एनजीटी ने निर्देश दिया कि प्रदेश के ईंट भट्टों से धुएं को निकालने के लिए केन्द्र सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार जिग-जैग तकनीक अपनाने पर जोर दिया जाए. एनजीटी ने यह आदेश राम दास की याचिका पर दिए.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता हरेन्द्र नील ने कहा कि प्रदूषण के कारण दुनिया में सबसे अधिक मौत हो रही हैं और 40 प्रतिशत से ज्यादा स्कूली बच्चों के लंग्स प्रभावित हो रहे हैं. प्रदेश में 2037 ईंट-भट्टों में से 267 ही जिग-जैग तकनीक को अपना रहे हैं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के एक अध्ययन में यह भी सामने आया कि दिल्ली के बाद भरतपुर सबसे प्रदूषित शहर है. सुनवाई के दौरान एनजीटी ने कहा कि ब्रेन, किडनी व हृदय को खतरा होने के साथ ही मधुमेह की समस्या बढ़ रही है और आंखों को भी नुकसान पहुंच रहा है.
कार्बन मोनो ऑक्साइड, नाईट्रोजन डाई ऑक्साइड व सल्फर डाई ऑक्साइड के कारण प्रदूषण बढ़ने के कारण कोहरे की समस्या बढ़ रही है. सुनवाई के दौरान पर्यावरण सचिव ने प्रदूषण में कमी लाने के प्रयास करने का भरोसा दिलाया. वहीं, एनजीटी ने सूरतगढ़, जैतसर, विजयनगर, रायसिंहनगर, अनूपगढ़ क्षेत्र में प्रदूषण घटाने के लिए ईंट-भट्टों के संचालन का समय घटाने और ईंट निर्माण पर पाबंदी लगाने का सुझाव दिया. वहीं, ईंट-भट्टों से निकलने वाली राख के समुचित उपयोग, भट्टों के लिए कच्चा माल ढंककर ले जाने और ईंटों के परिवहन के संबंध में समुचित कदम उठाने के निर्देश दिए.