वाराणसी : आईआईटी बीएचयू ने दूषित जल को लेकर एक नया शोध किया है. शोध के अनुसार नदियों में मिलने वाले सीवरेज, इंडस्ट्री के पानी को न सिर्फ रिसाइकिल किया है, बल्कि उसमें प्रोटीन युक्त शैवाल को भी पैदा किया है. जिसका प्रयोग खाने में किया जा सकता है. विशेषज्ञों का दावा है कि शैवाल से दूषित जल साफ होगा और हाई प्रोटीन सप्लीमेंट तैयार किया जा सकेगा. यह रिसर्च आईआईटी BHU का बाॅयोकेमिकल इंजीनियरिंग विभाग कर रहा है. इसमें प्रोफेसर विशाल मिश्रा एवं उनके पीएचडी स्कॉलर डॉ. विशाल सिंह की सहभागिता है. प्रोफेसर विशाल मिश्रा बताते हैं कि यह शोध गंगा में मिलने वाले सीवरेज में इंडस्ट्रियल जल को शुद्ध करने को लेकर है. इसमें हमने एक ऐसी नई प्रक्रिया विकसित की है, जिसमें जो छोटे-छोटे शैवाल होते हैं वह जल को साफ करने का काम करेंगे. भारत सरकार की ओर से इस शोध को पेटेंट भी दिया गया है. इस शोध को पूरा करने में ढाई साल लगे हैं.
प्रोफेसर विशाल मिश्रा के मुताबिक शोध में तीन प्रक्रिया को अपनाया गया है. प्राइमरी सेकेंडरी और ट्रेजरी प्रक्रिया जो न केवल पानी को शुद्ध कर रहा है, बल्कि पानी में उपयोगी शैवाल बायोमास को उत्पन्न कर रहा है. यदि तीनों प्रकिया की बात करें तो पहले में गंदे पानी को निकालकर टब में रखा जाता है. जहां स्वयं से पानी के अंदर मौजूद जो अपशिष्ट है थोड़ी देर में निचले सतह पर आकर स्वतः बैठ जाता हैं. जिसमें कुछ जो गंदगी होते हैं वो फिल्टर होते हैं. उसके बाद दूसरी प्रक्रिया में हम पानी को एक ही डायरेक्शन में घुमाते हैं. जिस वजह से पानी के अंदर मौजूद छोटे-छोटे कण शैवाल आपस में चिपक कर बड़े हो जाते हैं और यह निचले स्तर पर जाकर दूसरी लेयर तैयार करते हैं. उसके बाद हम तीसरी प्रक्रिया करते हैं इस तीसरी प्रक्रिया में हम शैवाल को पाने के अंदर उत्पन्न करते हैं. इसमें हम कुछ केमिकल का प्रयोग कर पानी के अंदर इनकी उत्पत्ति करते हैं जो पानी में मौजूद बैक्टीरिया को खाकर पानी को साफ करता है और इसके साथ स्वयं में यह प्रोटीन युक्त सवाल बन जाता है.
प्रोटीन सप्लीमेंट में किया जा सकेगा प्रयोग : प्रो मिश्रा ने बताया कि शोध में हमने अपने लैब में दो कल्चर के शैवाल को अलग-अलग आइसोलेट किया था. जहां इन दोनों का प्रयोग हमने ट्रीटमेंट के लिए किया है. जिसमें हमने पाया कि पानी में नाइट्रोजन और फास्फोरस का लेवल एकदम कम हो गया था और ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ गई थी और पानी ज्यादा साफ हुआ था. उसके साथ ही शैवाल की इतनी अच्छी ग्रोथ हुई थी, जिसकी वजह से उसमें अच्छा खासा प्रोटीन देखा गया. साफ पानी में गन्दगी सामान्यतः इंडस्ट्री सीवरेज और खेतों से निकले केमिकल के पानी में फास्फोरस, आर्सेनिक, नाइट्रोजन की ज्यादा मात्रा से होता है. जिसमें अलग अलग दूषित शैवाल का ग्रोथ बढ़ जाता है जो पानी में ऑक्सीजन लेवल को कम कर देता है. हमने इसी को देखते हुए इस नए तरीके को ढूंढा है जो पानी को साफ कर हाई प्रोटीन शैवाल को बनाता है. इसका प्रयोग हम दवाइयां बनाने में, हाई प्रोटीन लेने में कर सकते हैं.
आम आदमी भी कर सकता है बिजनेस : प्रोफेसर विशाल मिश्रा के अनुसार इस प्रक्रिया में निकले अपशिष्ट और शैवाल का प्रयोग बायोफ्यूल, प्रोटीन सप्लीमेंट और पशु के चारे के रूप में किया जा सकता है. इससे लोगों को आर्थिक मदद भी मिलेगी. आम आदमी इसे उगा सकता है. हमने चंडीगढ़ में इस स्ट्रेन को डिपॉजिट किए हैं. आम लोग वहां से लेकर के इस पर काम कर सकते हैं. घर में भी इसे उगाया सकता है. यह बहुत खर्चीला भी नहीं है. साथ ही इसमें बहुत कम केमिकल प्रयोग किए हैं. इस आसपास के तालाबों में उगाया जा सकता है.