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PhD Admission: NET के स्कोर पर दाखिले की प्रक्रिया का विरोध तेज, UGC ने गिनाए फायदे - new PhD admission rules - NEW PHD ADMISSION RULES

पीएचडी में नेट के स्कोर के आधार पर एडमिशन के नियम को लेकर विरोध तेज हो गया है. यूजीसी की ओर से कहा गया है कि इस नियम को जून में होने वाले नेट के एग्जाम के बाद लागू किया जाएगा. छात्र संगठनों ने आपत्ति जताई है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 3, 2024, 1:47 PM IST

नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से हाल ही में पीएचडी में नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) के स्कोर पर दाखिला देने के लिए जारी किए गए निर्देश को लेकर छात्र संगठनों ने आपत्ति जताना शुरू कर दिया है. यह नियम इसी सत्र से जून महीने में नेट की परीक्षा आयोजित होने के बाद लागू किया जाएगा. फिर इसके आधार पर विश्वविद्यालयों द्वारा पीएचडी में दाखिला प्रक्रिया शुरू होगी.

यूजीसी द्वारा इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद अब एनटीए द्वारा इस बार नेट का परीक्षा परिणाम तीन कैटेगरी में जारी किया जाएगा. पहले यह दो कैटेगरी में जारी होता था. जेएनयू के प्रमुख छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) ने आपत्तियां जताई हैं. वहीं, नए नियम को लेकर अन्य छात्र संगठनों एसएफआई, एआईएसएफ, डीएसएफ और एनएसयूआई ने भी सवाल उठाए हैं.

आइसा ने जताईं ये आपत्तियां

  1. यूजीसी द्वारा विश्वविद्यालयों में पीएचडी में दाखिले के लिए नेट के स्कोर और इंटरव्यू के अंकों को आधार बनाने से विश्वविद्यालयों की पीएचडी दाखिले के लिए अपनी-अपनी स्वायत्तता खत्म होगी.
  2. छात्र-छात्राओं को पीएचडी में दाखिले के लिए अलग-अलग विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा के माध्यम से जो कई बार मौका मिलता था वह अब खत्म हो जाएगा. इससे छात्रों को नुकसान होगा.
  3. पहले से कुछ विश्वविद्यालय नेट स्कोर के आधार पर भी जो दाखिला देते थे उससे छात्रों को पीएचडी में दाखिले के दो विकल्प मिल जाते थे. अब उनके पास सिर्फ एक ही विकल्प मौजूद होगा.
  4. पीएचडी में दाखिले के लिए छात्रों के पास किसी विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दाखिला लेना और अन्य विश्वविद्यालय में नेट के स्कोर के आधार पर दाखिला लेने के दो विकल्प होते थे.

वहीं, आइसा द्वारा आपत्तियां जताने को लेकर यूजीसी की तरफ से पीएचडी में दाखिले के लिए नेट स्कोर का नियम लागू करने से छात्रों को होने वाले कई फायदे भी गिनाए हैं.

यूजीसी ने गिनाए ये फायदे

  1. नेट स्कोर के आधार पर पीएचडी में विश्वविद्यालयों के प्रवेश देने से छात्रों को अलग-अलग विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाएं नहीं देनी पड़ेगी.
  2. अलग-अलग प्रवेश परीक्षा देने से छात्रों पर आवेदन फीस का अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी पड़ता था. अब छात्रों पर यह नया नियम लागू होने से आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा.
  3. नेट की परीक्षा साल में दो बार (एक बार जून और दूसरी बार दिसंबर) आयोजित होती है तो इस तरह से छात्रों के पास पीएचडी में दाखिले के लिए साल में दो बार मौका होगा.

इस नियम को लागू करने के पीछे यूजीसी का उद्देश्य है कि सभी शोध गतिविधियों को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया जाए. पीएचडी दाखिले के लिए विश्वविद्यालय 70% वेटेज नेट परीक्षा के अंकों को और 30% वेटेज इंटरव्यू के अंकों को देंगे. एनटीए द्वारा नेट के रिजल्ट में तीन श्रेणियों का निर्धारण यूजीसी नेट के स्कोर के आधार पर होगा. - प्रो. एम.जगदीश, यूजीसी चेयरमैन

इन 3 कैटगरी में जारी होगा रिजल्ट

  1. जेआरएफ, सहायक प्राध्यापक, पीएचडी
  2. सहायक प्राध्यापक, पीएचडी
  3. पीएचडी

ये भी पढ़ेंः JNU के छेड़छाड़ मामले में एक्शन, आरोपी पूर्व छात्र की यूनिवर्सिटी कैंपस में 'नो एंट्री'

नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से हाल ही में पीएचडी में नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) के स्कोर पर दाखिला देने के लिए जारी किए गए निर्देश को लेकर छात्र संगठनों ने आपत्ति जताना शुरू कर दिया है. यह नियम इसी सत्र से जून महीने में नेट की परीक्षा आयोजित होने के बाद लागू किया जाएगा. फिर इसके आधार पर विश्वविद्यालयों द्वारा पीएचडी में दाखिला प्रक्रिया शुरू होगी.

यूजीसी द्वारा इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद अब एनटीए द्वारा इस बार नेट का परीक्षा परिणाम तीन कैटेगरी में जारी किया जाएगा. पहले यह दो कैटेगरी में जारी होता था. जेएनयू के प्रमुख छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) ने आपत्तियां जताई हैं. वहीं, नए नियम को लेकर अन्य छात्र संगठनों एसएफआई, एआईएसएफ, डीएसएफ और एनएसयूआई ने भी सवाल उठाए हैं.

आइसा ने जताईं ये आपत्तियां

  1. यूजीसी द्वारा विश्वविद्यालयों में पीएचडी में दाखिले के लिए नेट के स्कोर और इंटरव्यू के अंकों को आधार बनाने से विश्वविद्यालयों की पीएचडी दाखिले के लिए अपनी-अपनी स्वायत्तता खत्म होगी.
  2. छात्र-छात्राओं को पीएचडी में दाखिले के लिए अलग-अलग विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा के माध्यम से जो कई बार मौका मिलता था वह अब खत्म हो जाएगा. इससे छात्रों को नुकसान होगा.
  3. पहले से कुछ विश्वविद्यालय नेट स्कोर के आधार पर भी जो दाखिला देते थे उससे छात्रों को पीएचडी में दाखिले के दो विकल्प मिल जाते थे. अब उनके पास सिर्फ एक ही विकल्प मौजूद होगा.
  4. पीएचडी में दाखिले के लिए छात्रों के पास किसी विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दाखिला लेना और अन्य विश्वविद्यालय में नेट के स्कोर के आधार पर दाखिला लेने के दो विकल्प होते थे.

वहीं, आइसा द्वारा आपत्तियां जताने को लेकर यूजीसी की तरफ से पीएचडी में दाखिले के लिए नेट स्कोर का नियम लागू करने से छात्रों को होने वाले कई फायदे भी गिनाए हैं.

यूजीसी ने गिनाए ये फायदे

  1. नेट स्कोर के आधार पर पीएचडी में विश्वविद्यालयों के प्रवेश देने से छात्रों को अलग-अलग विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाएं नहीं देनी पड़ेगी.
  2. अलग-अलग प्रवेश परीक्षा देने से छात्रों पर आवेदन फीस का अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी पड़ता था. अब छात्रों पर यह नया नियम लागू होने से आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा.
  3. नेट की परीक्षा साल में दो बार (एक बार जून और दूसरी बार दिसंबर) आयोजित होती है तो इस तरह से छात्रों के पास पीएचडी में दाखिले के लिए साल में दो बार मौका होगा.

इस नियम को लागू करने के पीछे यूजीसी का उद्देश्य है कि सभी शोध गतिविधियों को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया जाए. पीएचडी दाखिले के लिए विश्वविद्यालय 70% वेटेज नेट परीक्षा के अंकों को और 30% वेटेज इंटरव्यू के अंकों को देंगे. एनटीए द्वारा नेट के रिजल्ट में तीन श्रेणियों का निर्धारण यूजीसी नेट के स्कोर के आधार पर होगा. - प्रो. एम.जगदीश, यूजीसी चेयरमैन

इन 3 कैटगरी में जारी होगा रिजल्ट

  1. जेआरएफ, सहायक प्राध्यापक, पीएचडी
  2. सहायक प्राध्यापक, पीएचडी
  3. पीएचडी

ये भी पढ़ेंः JNU के छेड़छाड़ मामले में एक्शन, आरोपी पूर्व छात्र की यूनिवर्सिटी कैंपस में 'नो एंट्री'

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