रांची: बजट सत्र के पांचवें दिन मांडर से कांग्रेस विधायक नेहा शिल्पी तिर्की के पी-पेसा से जुड़े सवाल पर लंबी बहस चली. उन्होंने कहा कि The Provisions of the Panchayats (Extension to the Schedule Areas) Act, 1996 यानी पेसा को राज्य में गलत तरीके से परिभाषित किया जा रहा है. यह एक संसदीय कानून है जो शिल्यूल्ड एरिया के लिए बना है. राज्य सरकार इसमें छेड़छाड़ नहीं कर सकती है. जब कानून बना था, तभी इस बात का जिक्र हो गया था कि अगर एक साल के भीतर नियमावली नहीं बनाई जाती है तो पेसा की व्यवस्था खुद लागू हो जाएगी. झारखंड पंचायती राज अधिनियम के तहत सिर्फ गैर अनुसूचित क्षेत्रों के लिए नियमावली बनाई जा सकती है.
जवाब में संसदीय कार्य मंत्री आलगीर आलम ने कहा कि झारखंड पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) नियमावली, 2022 का औपबंधिक प्रारुप प्रकाशन के बाद इस पर कुल 262 आपत्ति और सुझाव मिले हैं. जिन्हें झारखंड पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) नियमावली, 2022 में समाहित करते हुए नियमावली के गठन से संबंधित कार्य विभाग ने पूरा कर लिया है और कैबिनेट की स्वीकृति ली जानी है. इस नियमावली पर टीएसी यानी जनजातीय सलाहकार परिषद की बैठक में भी चर्चा हो चुकी है.
इसपर विधायक नेहा शिल्पी तिर्की ने कहा कि ये जवाब मत्री और सरकार का नहीं बल्कि अधिकारियों का है. पेसा एक संसदीय कानून है. शिड्यूल एरिया में पी-पेसा की नियमावली लागू होनी चाहिए. लेकिन यहां पंचायती राज की व्यवस्था चल रही है. उन्होंने कहा कि कौन अधिकारी शपथ पत्र के जरिए हाईकोर्ट को बता रहा है कि राज्य में पी-पेसा नियम लागू है. नये सीरे से नियमावली बननी चाहिए. टीएसी मेंबर के नेता हमारा भी सुझाव लिया जाना चाहिए.
इस मसले पर काफी देर से सवाल जवाब चलता रहा. मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि इस मसले पर आपत्ति और सुझाव भी आए थे. फिर भी अगर कोई डाउट है तो मैं अपने स्तर से इसे खुद देख लेता हूं. यह देखा जाएगा कि क्या पी-पेसा को पंचायती राज एक्ट में लाया जा सकता है या नहीं. इसपर विचार किया जाएगा.
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