लखनऊ: बलरामपुर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से गुरुवार शाम को दिल की बीमारी से पीड़ित एक तीमारदार की जान पर बन आई. अस्पताल की इमरजेंसी में क्षतिग्रस्त लिफ्ट के डक्ट में गिरकर तीमारदार सरफराज हुसैन (55) गंभीर रूप से चोटिल हो गए. उनके सिर, आंख के पास और शरीर के कई हिस्सों में गंभीर चोटें आई हैं. उन्हें बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में ही भर्ती किया गया है. तीमारदारों का आरोप है कि क्षतिग्रस्त लिफ्ट को सही कर रहे कर्मचारियों ने चैनल गेट को बंद नहीं रखा. इस वजह से हादसा हुआ.
नक्खास के कटरा अबू तराब खान निवासी सरफराज हुसैन आज शाम को बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचे. सरफराज अपने बड़े भाई फाजिल हुसैन को देखने के लिए पहुंचे थे. फाजिल सांस की समस्या के चलते भर्ती हैं. लिफ्ट का केबिन प्रथम फ्लोर पर था. लिफ्ट के बटन की लाइट भी जल रही थी. ऐसे में सरफराज ने चैनल खोला और पैर आगे बढ़ाया तो वह अनियंत्रित होकर सीधे ग्राउंड फ्लोर से बेसमेंट की ओर बनी डक्ट में गिर गए. यह देख वहां भगदड़ मच गई.
दूसरे तीमारदारों व कर्मचारियों ने सरफराज को डक्ट से बमुश्किल बाहर निकवाया. भांजे राहिल ने बताया कि करीब सात फीट गहरे डक्ट में लोहे के स्प्रिंग पर गिरने से सरफराज का सिर फट गया. हाथ व सिर के कई हिस्सों में चोट आई है. सिर पर 12 टांके लगे हैं. एक उंगली टूट गई है. तुरंत ही उन्हें इमरजेंसी में टांके लगवाए गए. इलाज देकर वहीं इमरजेंसी में भर्ती कर दिया गया है.
भांजे राहिल का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही से हादसा हुआ है. इमरजेंसी में जब लिफ्ट बन रही थी तो सुरक्षा मानकों के हिसाब से चैनल में ताला नहीं लगाया गया. किसी प्रकार के वॉर्निंग साइन नहीं लगाए गए, न ही किसी कर्मचारी को वहां खड़ा किया गया था. वहीं, लिफ्ट कंपनी के एक इंजीनियर के मुताबिक, चैनल बाईपास था, ऐसे में चैनल खुलना नहीं चाहिए था. यदि चैनल खुल गया तो इसका मतलब लापरवाही है. साथ ही लंबे समय से लिफ्ट की मेंटेनेंस नहीं की जा रही है. जिस समय लिफ्ट को सही किया जाता है तो उस समय चैनल को लॉक रखा जाता है. सुरक्षा वॉर्निंग साइन लगाए जाते हैं.
बलरामपुर अस्पताल के निदेशक ने कहा कि तीमारदार का कहना है कि वह अपनी गलती से गिरा है. मरीज की हालत चिंताजनक नहीं है. उसका इलाज किया जा रहा है.
बलरामपुर अस्पताल में पहले भी हो चुकी लिफ्ट की घटना
शहर के अस्पतालों में लिफ्ट की कई घटनाएं हो चुकी हैं. उन घटनाओं में मरीज और तीमारदार गंभीर रूप से जख्मी हो चुके हैं. यही नहीं बलरामपुर अस्पताल में ही जुलाई में लिफ्ट की घटना में हड्डी रोग विभाग का एक मरीज चोटिल हो चुका है. बलरामपुर अस्पताल की न्यू बिल्डिंग के हड्डी रोग विभाग में भर्ती मरीज रमेश को 28 जुलाई 2023 में जांच के लिए ले जाया जा रहा था. तीमारदार ने चैनल खोलकर स्ट्रेचर समेत मरीज रमेश को अंदर किया तो लिफ्ट टूट गई. देखते ही देखते लिफ्ट दो मंजिल नीचे आ गिरी. इससे स्ट्रेचर पर लेटे रमेश को कई जगह चोट आई. स्ट्रेचर भी कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गया था, जबकि एक दिन पहले ही इस लिफ्ट को मेंटनेंस के नाम पर सही कराए जाने का अस्पताल के आला अफसरों ने दावा किया था.
रोजाना बंद रहती हैं लिफ्ट
बलरामपुर अस्पताल की ओपीडी, इमरजेंसी, सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक, न्यू बिल्डिंग में आए दिन लिफ्ट खराब हो जाती है. एसएसबी ब्लॉक में आईसीयू है. आए दिन लिफ्ट खराब होने से मरीजों को बहुत समस्या का सामना करना पड़ा है, जबकि न्यू प्राइवेट वार्ड में तो कई साल से लिफ्ट खराब ही पड़ी है.
यहां भी हो चुके हैं हादसे
26 दिसंबर 2023 को लखनऊ के सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ही लिफ्ट में फंस गए थे.
22 नवंबर 2023 को केजीएमयू शताब्दी में लिफ्ट खराब होने पर चार लोग फंसे थे.
मई 2023 में उदयगंज निवासी मो. शरीफ ओपीडी में आंख दिखाने के बाद लौटते समय लिफ्ट खराब होने से गिर गए.
सितंबर 2018 में क्वीनमेरी में लिफ्ट गड़बड़ होने पर गर्भवती फंस गई थी.
नवंबर 2015 में लॉरी में लिफ्ट खराब होने पर डॉ. पुनीत फंस गए थे.
यह भी पढ़ें: अजब-गजब! स्वास्थ्य विभाग ने प्रमोशन देकर अगले दिन 3 चिकित्सकों को कर दिया रिटायर