पटनाः महीनों की कठिन मेहनत के बाद दिल में मेडिकल कोर्सेज में दाखिले का सपना संजोए लाखों परीक्षार्थियों ने 5 मई को NEET UG की परीक्षा दी, लेकिन अब उनकी मेहनत पर पानी फिरता दिख रहा है. दरअसल पटना पुलिस का दावा है कि परीक्षा के पहले ही NEET UG का पेपर लीक हो गया था, हालांकि परीक्षा लेनेवाली नेशनल टेस्ट एंजेसी इससे इंकार कर रही है.
अब तक 24 से अधिक गिरफ्तारियांः पटना पुलिस ने पेपर लीक का दावा करते हुए इस मामले में 24 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है और चौंकानेवाली बात ये है कि इनमें 11 ऐसे छात्र हैं जो मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं. इन छात्रों पर आरोप है कि ये लोग दूसरे अभ्यर्थी की जगह परीक्षा दे रहे थे.
20-20 लाख रुपये में डील की आशंकाः पटना पुलिस का कहना है कि दूसरों की जगह परीक्षा देनेवाले मुन्ना भाइयों को एडवांस में कुछ रकम दी गयी थी और परीक्षा के बाद पांच-पांच लाख रुपये देने का वादा किया गया था. पुलिस का ये भी दावा है कि सॉल्वर गैंग्स ने हर कैंडिडेट से 20-20 लाख रुपये में डील कर रखी थी.
कैसे काम करते हैं परीक्षा माफिया ?: इस बारे में पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास का कहना है कि पेपर लीक गिरोह तीन लेवल पर काम करता है और तीनों लेवल पर काम करनेवाले लोग अलग-अलग होते हैं. दरअसल संपन्न लोग अपने कमजोर बच्चों को डॉक्टर बनाने की ख्वाहिश में सॉल्वर गैंग के पास जाते हैं और फिर शुरू होता है पेपर लीक का खेल.
डीलर गैंगः ये गैंग क्लाइंट ढूंढ़ती है. क्लाइंट से पैसों की लेन-देन के बाद परीक्षार्थी से मिलते जुलते चेहरे को तलाशने में भी ये गिरोह मदद करता है. परीक्षा देनेवाले 'स्कॉलर' की तलाश पूरी होने के बाद पैसों की डील होती है. इस दौरान गिरोह इस हिसाब से काम करता है कि 'स्कॉलर' को सिर्फ उन्हीं का नाम पता होता है जिससे उन्हें पैसे लेने होते हैं.
सॉल्वर्स गिरोहः ये गिरोह मेधावी बच्चों की तलाश में रहता है जिनको पैसे का लालच होता है. ये गिरोह फर्स्ट और सेकेंड ईयर के बच्चों को टारगेट करता है, फिर उनसे घनिष्ठता बनाता है और पैसों का लालच देकर उनसे मुन्ना भाई का काम करवाता है. फर्स्ट ईयर और सेकंड ईयर के बच्चे इसलिए टारगेट किए जाते हैं क्योंकि उनकी तैयारी नई-नई रहती है और भविष्य के बारे में दूर तक सोचने की क्षमता नहीं होती है.
पेपर लीक गिरोहः यह गिरोह पेपर लिक करवाने के काम में लगा रहता है. इसके लिए ये गिरोह विभिन्न आयोग, परीक्षा बोर्ड के अधिकारियों और कर्मचारी से निजी संबंध बनाता है. उनमें से कुछ लोगों को अपने साथ मिलाकर पेपर लीक कराता है. गैंग इस फिराक में भी रहती है जहां से पेपर प्रिंट हो रहा है वहीं से कोई जुगाड़ लगाकर पेपर निकलवा लिया जाए.
'कहीं न कहीं कर बैठते हैं गलती' : पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास ने बताया कि पुलिस का खुफिया तंत्र काफी मजबूत होता है. परीक्षा माफिया को अपने कारनामे पर इतना ओवर कॉन्फिडेंस हो जाता है कि वे कुछ ना कुछ गलती कर बैठते हैं और पुलिस वैसे लोगों के पास पहुंच जाती है.
"कई बार वे खुलेआम कोई रिजॉर्ट बुक करा कर उसके भीतर प्रॉजेक्टर पर तैयारी कराने लगते हैं, कई बार उनकी हरकतें ऐसी होती है जो संदिग्ध होती हैं और पकड़ में आ जाती हैं. इसके अलावा परीक्षा माफिया मिलता-जुलता चेहरा तो खोज सकते हैं लेकिन बायोमेट्रिक का मिलान नहीं हो सकता है, जिससे पोल खुल जाती है." अमिताभ कुमार दास, पूर्व आईपीएस अधिकारी
'ऑफलाइन परीक्षा में पेपर लीक की आशंका ज्यादा:'मेडिकल परीक्षा की तैयारी कराने वाले PACE एकेडमी के शिक्षक आशुतोष झा ने बताया कि ऑफलाइन परीक्षाओं में पेपर लीक की आशंका ज्यादा रहती है. दरअसल पेपर प्रिंट होने के बाद देश के अलग-अलग परीक्षा केंद्रों तक पहुंचता है इस दौरान छोटी सी चूक हुई कि माफिया पेपर लीक में कामयाब हो जाते हैं.
"NEET ऑफलाइन मोड में आयोजित होती है. इसमें करीब 24 लाख के परीक्षार्थी सम्मिलित होते हैं. परीक्षा के लिए देश भर में हजारों सेंटर होते हैं. दिल्ली में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के मुख्यालय में प्रश्नपत्र तैयार होता होता है. जिसके बाद अलग-अलग केंद्र पर प्रश्नपत्र भेजे जाते हैं. इस दौरान ही पेपर लीक की सबसे ज्यादा आशंका रहती है." आशुतोष झा, शिक्षक, PACE एकेडमी
महीनों का तैयारी पर फिर जाता है पानीः NEET UG दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में एक मानी जाती है. यही कारण है कि इसमें सफलता प्राप्त करने के लिए छात्र कई महीनों और सालों से मेहनत करते हैं. ऐसे में पेपर लीक परीक्षार्थियों के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है. फिलहाल अभी सबसे ज्यादा जरूरी है कि नेशनल टेस्टिंग एंजेसी स्पष्ट करे कि पेपर लीक हुआ है या नहीं ?