पटनाः NEET 2024 पेपर लीक में पहली FIR दर्ज करते हुए सीबीआई ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है. इसके साथ ही अब उम्मीद की जा रही है इस परीक्षा घोटाले से जुड़ी सच्चाई सामने आएगी. लेकिन सीबीआई जांच से पहले बिहार की ईओयू ने भी इस मामले की जांच करते हुए कई अहम बातों का खुलासा किया है. ईओयू की अब तक की जांच में पेपर लीक के एक बड़ा नेक्सस सामने आया है. बिहार में पेपर लीक का मुख्य मास्टरमाइंड संजीव मुखिया है जो अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है.
कैसे काम करता है नेक्सस ?: पूरे देश में फैला पेपर लीक का नेक्सस कई लेवल पर काम करता है. इस मामले में जिन 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें अमित आनंद और नीतीश कुमार लेवल 2 के शिक्षा माफिया हैं जो मास्टरमाइंड संजीव मुखिया के लिए काम करते हैं. इससे पहले नीतीश और अमित ने यूपी के रवि अत्री गिरोह के अतुल वत्स और अंशुल सिंह की छत्रछाया में काम करना शुरू किया.
कैंडिडेट और सॉल्वर की तलाश करते हैं नीतीश-अमितः संजीव मुखिया के लिए काम करनेवाले नीतीश और अमित सबसे पहले ऐसे कैंडिडेट की तलाश करते हैं जो पैसे के दम पर परीक्षा पास करना चाहते हैं. कैंडिडेट की तलाश पूरी होने के बाद सॉल्वर की तलाश की जाती है. इसके बाद ऐसे मेधावी और महात्वाकांक्षी छात्रों को ढूंढ़ा जाता है जो पैसों के लिए दूसरों के बदले परीक्षा देते हैं.
रवि और संजीव दोनों पुराने खिलाड़ीः NEET पेपर लीक में जिन दो लोगों को मास्टर माइंड माना जा रहा है, वो पेपर लीक के पुराने खिलाड़ी हैं. यूपी का रवि अत्री मेडिकल परीक्षाओं के पेपर लीक में पुराना नाम है तो बिहार का संजीव मुखिया बीपीएससी, यूपीएससी, जेपीएससी जैसी परीक्षाओं के पेपर लीक का माहिर खिलाड़ी है. शिक्षक बहाली के पेपर लीक में भी दोनों के नाम आए थे.
नीतीश और अतुल करते हैं डीलिंगः ईओयू की जांच में जो बात सामने आई है, उसके मुताबिक नीतीश और अतुल बड़े परीक्षा माफिया को पकड़ते हैं. अपने शागिर्दों के जरिये कैंडिडेट की तलाश कर उनसे परीक्षा के स्टैंडर्ड के हिसाब से रूपयों की डील करते हैं.शिक्षक के लिए जहां 10 से 15 लाख रुपए में डील होती है तो नीट परीक्षा पास कराने के लिए 30 से 40 लाख रुपए की डीलिंग होती है.
पुलिस को रॉकी की तलाशः नीट पेपर लीक में एक अहम कड़ी राकेश रंजन उर्फ रॉकी भी है, जिसने पटना के लर्न प्ले स्कूल में अभ्यर्थियों के लिए कमरे की बुकिंग की थी और 30 से 35 अभ्यर्थियों के ठहरने का प्रबंध किया था. ये राकेश मास्टर माइंड संजीव मुखिया का भांजा बताया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक संजीव मुखिया के जरिये प्रश्नपत्र रॉकी तक पहुंचा और रॉकी ने इसे पटना और रांची के मेडिकल छात्रों से हल करवाया. फिलहाल पुलिस को रॉकी की तलाश है.
देवघर से गिरफ्तार चिंटू भी संजीव मुखिया का रिश्तेदारः इस मामले में पुलिस ने झारखंड के देवघर से जिन 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, उनमें बलदेव कुमार उर्फ चिंटू सबसे अहम है. क्योंकि उसे संजीव मुखिया का रिश्तेदार बताया जा रहा है. यही चिंटू पटना के लर्न प्ले स्कूल में रुका हुआ था और इसके मोबाइल पर ही सभी विषयों के अलग-अलग प्रश्नपत्र और उत्तर उपलब्ध कराए गये थे.
चिंटू-पिंटू भी अहम किरदारः इस खेल के दो अहम खिलाड़ी हैं बलदेव कुमार उर्फ चिंटू और पिंटू. जानकारी के मुताबिक चिंटू-पिंटू ने प्रश्नपत्रों और उत्तरों के प्रिंट निकलवाकर अभ्यर्थियों तक पहुंचाए. समय कम होने की वजह से किसी ने बायोलॉजी तो किसी ने केमिस्ट्री तो किसी ने फिजिक्स का प्रश्न और उसका उत्तर रटा. यह गिरफ्तार अभ्यर्थियों के रिजल्ट में भी दिख रहा है.अभ्यर्थियों के केंद्र के लिए रवाना होने के बाद सिंटू और पिंटू ने ही प्रिंट हुए प्रश्न पत्रों को जलाया और सबूत मिटाए.
रौशन और आशुतोष करते हैं लाइनर का कामः पुलिस ने जिन 19 लोगों को गिरफ्तार किया है उनमें रौशन कुमार और आशुतोश कुमार भी हैं, जो नीतीश-अमित के लिए हेल्पर का काम करते हैं. आशुतोष और रौशन ने पूरे प्रकरण में लाइनर की भूमिका निभाई. इनका काम सुरक्षा देखने के साथ-साथ अभ्यर्थियों को सुरक्षित लर्न प्ले स्कूल के केंद्र पर लाना था. इसके बाद सभी अभ्यर्थियों को सुरक्षित सेंटर तक पहुंचाना भी इनकी जिम्मेदारी थी. इसके अलावा ये दोनों भी कैंडिडेट की तलाश कर नीतीश-अमित तक पहुंचाते हैं.
कौन है सिकंदर यादवेंदु ?: इस पूरे खेल में जो नाम तेजी से सामने आया वो है सिकंदर यादवेंदु का. सिकंदर भी संजीव मुखिया का करीबी बताया जाता है .सिकंदर ने भी नीतीश और अमित को चार कैंडिडेट दिए थे. पेपर आउट होने के बाद उसे सॉल्व करवाने और सॉल्व हो चुके पेपर को सुरक्षित अभ्यर्थियों तक लाने में इसकी भी भूमिका थी.
संजीव-सिकंदर का पीएमसीएच कनेक्शनः संजीव और सिकंदर के परिचय में एक संयोग ये भी है कि संजीव का बेटे डॉक्टर शिव ने पीएमसीएच से पढ़ाई की है तो सिकंदर की बड़ी बेटी भी एमबीबीएस कर चुकी है.इस पर भी पुलिस जांच कर रही है क्योंकि डॉक्टर शिव शिक्षक बहाली परीक्षा पेपर लीक मामले में मुख्य आरोपी है और जेल में है. वही इस मामले में गिरफ्तार अवधेश कुमार को सिकंदर का फाइनेंसर बताया जा रहा है.
पेपर लीक को बना डाला धंधा: कुल मिलाकर पेपर लीक बड़ा कारोबार बन चुका है. इस कारोबार के सुपर स्टॉकिस्ट हैं संजीव मुखिया और रवि अत्री. इसके बाद अंशुल और अतुल जैसे कुछ डिस्ट्रीब्यूटर हैं जो अमित आनंद और नीतीश कुमार जैसे सैकड़ों डीलर तैयार करते हैं. ये डीलर ही विभिन्न परीक्षाओं के लिए अभ्यर्थी ढूंढ़ कर लाते हैं और डील फाइनल करते हैं. इस कड़ी में चिंटू, सिंटू और पिंटू जैसे लोग हैं जो सॉल्वर की तलाश करते हैं और सिकंदर-अवधेश जैसे लोग नीतीश-अमित को फाइनांसल और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट करते हैं.
सभी सियासी दलों में गहरी पैठः हैरानी की बात ये है कि ये जितने शिक्षा माफिया हैं उनकी गहरी पैठ हर सियासी दल में है. नीट पेपर लीक की जांच में इसके प्रमाण भी मिले हैं कि इन के संबंध किसी न किसी दल से डायरेक्ट या इनडाइरेक्ट रूप से है. नीट पेपर लीक में गिरफ्तार किए गये आरोपी इससे पहले भी पेपर लीक के मामले में जेल जा चुके हैं और बेल मिलने के बाद फिर से इसी काम में लगे हुए थे.
क्या अंजाम तक पहुंचेगी जांच? : अक्सर देखा गया है कि पेपर लीक से जुड़ी जांचों में छोटे लेवल के लोग तो पकड़ में आ जाते हैं लेकिन असली खिलाड़ी बच जाते हैं. क्या इस बार भी ऐसा ही होगा ? जांच होगी, परीक्षा रद्द होगी और मामला ठंडा पड़ जाएगा ? या फिर पेपर लीक को अपना कारोबार बना चुके बड़े कारोबारी भी सलाखों के पीछे जाएंगे ?
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