कांकेर: बस्तर में शहीदी सप्ताह के दौरान नक्सली शहर के पास पहुंच रहे हैं. कांकेर जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर मलांजकुड़म रोड पर नक्सलियों ने सड़क किनारे बैनर बांधे हैं. नक्सली बैनर के पास बड़ी संख्या में नक्सली पर्चे भी फेंके गए. हालांकि पर्चे लगातार हो रही बारिश में भीग चुके हैं.
नक्सलियों ने बैनर में क्या लिखा: मलांजकुड़म रोड पर बांधे गए बैनर में नक्सलियों ने लिखा है "28 जुलाई से 3 अगस्त तक नक्सली शहीद सप्ताह मनाया जा रहा है. शहीद सप्ताह गांव, पंचायत, कस्बों, गलियों, शहर में क्रांतिकारी संकल्प के साथ मनाएंगे." लगातार मुठभेड़ में नक्सलियों को हो रहे नुकसान को लेकर नक्सलियों ने लिखा है "नक्सली छापामार युद्ध नियमों का सृजनात्मक रूप से पालन करेंगे, ताकि अनावश्यक नुकसान को कम किया जा सके." गुरिल्ला युद्ध में विजय का अनुपात बढ़ाने का भी उल्लेख बैनर में है.
कांकेर पुलिस ने हटाया नक्सली बैनर: कांकेर में पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही है. जिसके कारण इस रोड पर लोगों की आवाजाही कम है लेकिन बड़ी संख्या में लोग मलांजकुडुम का प्राकृतिक सौंदर्य देखने पहुंच रहे हैं. पुलिस को भी नक्सली बैनर की जानकारी मिली. कांकेर टीआई मनीष नागर ने बताया की बैनर की सूचना मिली थी जिसे सड़क से हटवा दिया गया है.
नक्सली क्यों मनाते हैं शहीदी सप्ताह ? : नक्सली हर साल अपने मारे गए नक्सलियों की याद में शहीदी सप्ताह मनाते हैं. इस साल 28 जुलाई से 3 अगस्त तक नक्सली शहीदी सप्ताह मना रहे हैं. इस दौरान अपने मारे गए नक्सल साथियों की गाथाओं को आम जनता को सुनाते हैं. उनकी याद में स्मारक बनाते हैं. इसके अलावा नक्सल संगठन का संदेश बैनर और पर्चों के जरिए लोगों तक पहुंचाते हैं. शहीदी सप्ताह के दौरान नक्सल हिंसक गतिविधियां कम होती हैं. इस दौरान नक्सली अपने संगठन को मजबूत करने की कोशिश करते हैं.
शहीदी सप्ताह कब से शुरु हुआ: नक्सल जानकारों के मुताबिक साल 1990 से 2000 के दशक में नक्सल संगठन के सेंट्रल कमेटी के 3 सदस्य श्याम, मुरली और महेश पुलिस नक्सली मुठभेड़ में मारे गए थे. तब से नक्सली नियमित रूप से 28 जुलाई से 3 अगस्त तक शहीदी सप्ताह मनाते आ रहे हैं. माओवादियों के शहीदी सप्ताह को देखते हुए पूरे बस्तर संभाग में पुलिस अलर्ट पर है. अंदरूनी इलाकों में सर्चिंग तेज कर दी गई है.