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नवरात्रि से अर्थव्यवस्था को लगे पंख, देशभर में 50 हजार करोड़ से अधिक का हुआ कारोबार

देशभर में दुर्गापूजा, नवरात्रि और रामलीला जैसे पारंपरिक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ है. इन आयोजनों ने देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती दी है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 3 hours ago

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नवरात्रि से अर्थव्यवस्था को लगे पंख (Etv Bharat)

नई दिल्ली: कनफ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय महामंत्री और दिल्ली के चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने हाल ही में देशभर में बड़े पैमाने पर हो रहे उत्सवों के आर्थिक प्रभाव पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि विभिन्न उत्सवों के दौरान पंडालों से लेकर मूर्तियों के निर्माण, सजावट, भोजन, कपड़े, बिजली व्यवस्था, पूजा सामग्री, फलों-फूलों और अन्य सेवाओं से जुड़े व्यवसायों को अभूतपूर्व अवसर प्राप्त हुए हैं.

उत्सवों का व्यापार वृद्धि में योगदान: CAIT के अनुमानों के अनुसार, पिछले दस दिनों में केवल दिल्ली में नहीं, बल्कि पूरे देश में उत्सवों ने लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपये का व्यापार उत्पन्न किया है. यह व्यापार निश्चित रूप से देश की स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है, जो कि मौजूदा समय में अर्थव्यवस्था की स्थिरता और विकास की ओर बढ़ने में सहायक साबित हो रहा है.

कारीगरों की भूमिका: दुर्गा पूजा, नवरात्रि और रामलीला के आयोजन में बड़ी संख्या में स्थानीय कारीगरों की सहभागिता ने इस बार के उत्सवों को और भी भव्यता प्रदान की. पंडाल निर्माण, बिजली व्यवस्था, सजावट और अन्य सहायक सेवाओं में इन कारीगरों को रोजगार मिला है. विशेष रूप से मूर्ति निर्माण में लगे कलाकारों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है. उनके हुनर ने इन आयोजनों को एक विशेष पहचान दी है.

उपभोक्ता गतिविधियों में वृद्धि: त्योहारी सीजन में बाजारों में उपभोक्ता गतिविधियों में तेजी दिखाई दी है. कपड़े, आभूषण, सजावटी वस्तुएं, पूजा सामग्री, इलेक्ट्रिकल सामग्री, साउंड और लाइटिंग, तथा खाद्य वस्तुओं से संबंधित कारोबारों में भारी मुनाफा देखा गया है. इस दौरान पारंपरिक वस्त्रों और आभूषणों की खरीदारी में विशेष रूप से वृद्धि हुई है.

यह भी पढ़ें- रावण की दहशत को मंच पर जीवंत कर देते हैं शाहबाज खान, इंटरव्यू में बताया क्यों पसंद है ये किरदार?

धार्मिक पर्यटन का विकास: रामलीला के भव्य मंचनों ने धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा दिया है. इन आयोजनों के आस-पास के होटल, रेस्टोरेंट, परिवहन सेवाएं और अन्य पर्यटन सेवाएं फल-फूल रही हैं. दर्शकों की भारी संख्या ने स्थानीय व्यापार को मजबूती प्रदान की है.

स्थानीय व्यापारियों को लाभ: सांसद खंडेलवाल ने इस त्योहारी सीजन में हुए व्यापार और रोजगार सृजन पर संतोष व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से स्थानीय कारीगरों और छोटे व्यापारियों को अत्यधिक लाभ मिलता है. यह निश्चित रूप से न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो दर्शाता है कि सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों का स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव होता है.

यह भी पढ़ें- 'पिता ने कहा था बेटा हनुमान जी का किरदार तभी करना जब...', रामलीला में 'हनुमान' बने बिंदु दारा सिंह का इंटरव्यू

नई दिल्ली: कनफ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय महामंत्री और दिल्ली के चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने हाल ही में देशभर में बड़े पैमाने पर हो रहे उत्सवों के आर्थिक प्रभाव पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि विभिन्न उत्सवों के दौरान पंडालों से लेकर मूर्तियों के निर्माण, सजावट, भोजन, कपड़े, बिजली व्यवस्था, पूजा सामग्री, फलों-फूलों और अन्य सेवाओं से जुड़े व्यवसायों को अभूतपूर्व अवसर प्राप्त हुए हैं.

उत्सवों का व्यापार वृद्धि में योगदान: CAIT के अनुमानों के अनुसार, पिछले दस दिनों में केवल दिल्ली में नहीं, बल्कि पूरे देश में उत्सवों ने लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपये का व्यापार उत्पन्न किया है. यह व्यापार निश्चित रूप से देश की स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है, जो कि मौजूदा समय में अर्थव्यवस्था की स्थिरता और विकास की ओर बढ़ने में सहायक साबित हो रहा है.

कारीगरों की भूमिका: दुर्गा पूजा, नवरात्रि और रामलीला के आयोजन में बड़ी संख्या में स्थानीय कारीगरों की सहभागिता ने इस बार के उत्सवों को और भी भव्यता प्रदान की. पंडाल निर्माण, बिजली व्यवस्था, सजावट और अन्य सहायक सेवाओं में इन कारीगरों को रोजगार मिला है. विशेष रूप से मूर्ति निर्माण में लगे कलाकारों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है. उनके हुनर ने इन आयोजनों को एक विशेष पहचान दी है.

उपभोक्ता गतिविधियों में वृद्धि: त्योहारी सीजन में बाजारों में उपभोक्ता गतिविधियों में तेजी दिखाई दी है. कपड़े, आभूषण, सजावटी वस्तुएं, पूजा सामग्री, इलेक्ट्रिकल सामग्री, साउंड और लाइटिंग, तथा खाद्य वस्तुओं से संबंधित कारोबारों में भारी मुनाफा देखा गया है. इस दौरान पारंपरिक वस्त्रों और आभूषणों की खरीदारी में विशेष रूप से वृद्धि हुई है.

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धार्मिक पर्यटन का विकास: रामलीला के भव्य मंचनों ने धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा दिया है. इन आयोजनों के आस-पास के होटल, रेस्टोरेंट, परिवहन सेवाएं और अन्य पर्यटन सेवाएं फल-फूल रही हैं. दर्शकों की भारी संख्या ने स्थानीय व्यापार को मजबूती प्रदान की है.

स्थानीय व्यापारियों को लाभ: सांसद खंडेलवाल ने इस त्योहारी सीजन में हुए व्यापार और रोजगार सृजन पर संतोष व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से स्थानीय कारीगरों और छोटे व्यापारियों को अत्यधिक लाभ मिलता है. यह निश्चित रूप से न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो दर्शाता है कि सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों का स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव होता है.

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