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नवरात्र 2024 में दर्शन कीजिए यूपी के 9 बड़े शक्तिपीठ; पूरब से पश्चिम तक बरसती है माता रानी की कृपा - Navratri 2024

नवरात्र 2024 यानी माता की आराधना के 9 दिन की आज गुरुवार से शुरुआत हो गई. घरों में कलश स्थापना के साथ सदस्यों ने व्रत रखकर माता की आराधना शुरू कर दी है. आइए आपको बताते हैं यूपी के प्रमुख 9 देवी शक्तिपीठों के बारे में. साथ में इनके दर्शन भी कीजिए.

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नवरात्र 2024 में दर्शन कीजिए यूपी के 9 बड़े शक्तिपीठ. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 3, 2024, 1:39 PM IST

Updated : Oct 3, 2024, 1:44 PM IST

लखनऊ: देवी माता की आराधना के 9 दिन यानी नवरात्र की आज से शुरुआत हो गई. हिंदू धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व होता है. साल भर में कुल 4 नवरात्र आते हैं, जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्र का खास महत्व होता है, जबकि दो गुप्त नवरात्र होते हैं. नवरात्र में देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-आराधना करने का विधान होता है. आज हम आपको उत्तर प्रदेश के खास 9 देवी शक्तिपीठों से रूबरू करा रहे हैं. साथ ही उनके महत्व को भी उल्लिखित कर रहे हैं.

देवी पाटन मंदिर, बलरामपुर: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के तुलसीपुर में देवी पाटन मंदिर स्थित है. यहां विराजमान देवी को मां मातेश्वरी के नाम से जाना जाता है. यह 52 शक्तिपीठों में से एक है, जहां माता का बांया हाथ और पट गिरा था. यहां पर प्रदेश का सबसे बड़ा मेला लगता है. यूपी रोडवेज की तरफ से मेले में जाने के लिए 45 बसों को अलग से लगाया गया है. जो प्रदेश के अलग-अलग जिलों से श्रद्धालुओं को देवी पाटन तक पहुंचाएंगी.

बलरामपुर स्थित देवीपाटन मंदिर.
बलरामपुर स्थित देवीपाटन मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

ललिता देवी मंदिर, सीतापुर: ललिता देवी का मंदिर सीतापुर जिले के मिश्रिख में स्थित है. यह मंदिर भी 52 शक्तिपीठों में से एक है. माना जाता है कि यहां माता सती का हृदय गिरा था. यहां दूर- दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. देवीभागवत पुराण के अनुसार जब राजा जन्मेजय ने व्यास जी से देवी के जाग्रत स्थानों के बारे में पूछा तो उन्होंने जिन 108 शक्तिपीठों का वर्णन किया था, उनमें नैमिष तीर्थ स्थित मां ललिता देवी का दरबार भी है. देवी भागवत में इस शक्ति को लिंगधारिणी कहा गया है. नवरात्र के दिनों में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

वाराणसी स्थित विन्ध्यवासिनी देवी मंदिर.
वाराणसी स्थित विन्ध्यवासिनी देवी मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

मां विन्ध्यवासिनी देवी मंदिर, मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के विन्ध्याचल में गंगा नदी के किनारे मां विन्ध्यवासिनी देवी का अति प्राचीन मंदिर है. यहां देवी को महामाया देवी के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि यहां का अस्तित्व सृष्टि के आरंभ से है और प्रलय के बाद तक रहेगा. उत्तर प्रदेश सरकार यहां विन्ध्याचल धाम कॉरिडोर का निर्माण करा रही है, जिसके बाद यह धाम विश्व पटल पर अपनी छठा बिखेरेगा.

सहारनपुर स्थित शाकम्भरी देवी मंदिर.
सहारनपुर स्थित शाकम्भरी देवी मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

मां शाकम्भरी देवी मंदिर, सहारनपुर: मां शाकम्भरी देवी का मंदिर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित है. यह एक शक्तिपीठ है. ब्रह्मपुराण में इस पीठ को सिद्धपीठ कहा गया है. यह क्षेत्र भगवती शताक्षी का सिद्ध स्थान माना गया है. इस परम दुर्लभ तीर्थ क्षेत्र को पंचकोसी सिद्धपीठ भी कहा जाता है. भगवती सती का शीश इसी क्षेत्र में गिरा था. इसलिए इसकी गणना देवी के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में होती है. माना जाता है कि उत्तर भारत की 9 देवियों की प्रसिद्ध यात्रा मां शाकम्भरी देवी के दर्शन बिना पूर्ण नहीं होती.

गोरखपुर स्थित तरकुलहा देवी मंदिर.
गोरखपुर स्थित तरकुलहा देवी मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

मां तरकुलहा देवी मंदिर, गोरखपुर: तरकुलहा देवी का मंदिर यूपी के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. यह गोरखपुर जिले में स्थित है. इस मंदिर को काफी चमत्कारी माना जाता है. मंदिर को लेकर एक कहानी भी प्रचलित है कि आजादी के पहले यहां पर एक क्रांतिकारी बंधू सिंह रहते थे, जो यहां से गुजरने वाले सभी अंग्रेजों का सिर काटकर माता को समर्पित करते थे. इस बीच अंग्रेजों ने बधू सिंह को पकड़ लिया और उन्हें फांसी की सजा सुना दी. जब उन्हें फांसी दी जाने लगी तो बार-बार फांसी का फंदा खुद से टूट जाता और बधू सिंह की जान बच जाती. फिर जल्लाद ने बधू सिंह से प्रार्थना की कि अगर उसने उन्हें फांसी नहीं दी तो अंग्रेज उसे मार देंगे. इस पर बधू सिंह ने माता से प्रार्थना की तब जाकर उनको फांसी हुई. उसके बाद से ही माता की महिमा का गुणगान होने लगा और माता के मंदिर में भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलती हैं.

वाराणसी स्थित विशालाक्षी मंदिर.
वाराणसी स्थित विशालाक्षी मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

मां विशालाक्षी मंदिर, वाराणसी: काशी में स्थित मणिकर्णिका घाट पर माता का एक मंदिर है, जिसे माता के शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है. यहां पर माता के कान की मणि से जड़ित कुंडल गिरा था. यही कारण है कि इस घाट को मणिकर्णिका घाट कहा जाता है. यहां पर माता सती को विशालाक्षी मणिकर्णी के रूप में पूजा जाता है. यह मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के पास में ही स्थित है.

वाराणसी स्थित कालरात्रि देवी मंदिर.
वाराणसी स्थित कालरात्रि देवी मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

मां कालरात्रि देवी मंदिर, बनारस: वाराणसी में माता कालरात्रि का मंदिर चौक क्षेत्र की कालिका गली में स्थित है. माना जाता है कि माता कालरात्रि के स्वरूप का दर्शन-पूजन पूजन करने से अकाल मृत्यु का भय जाता रहता है. काशी का यह इकलौता मंदिर है जहां भगवान शंकर से रुष्ट होकर माता पार्वती आईं और सैकड़ों साल तक कठोर तपस्या की. यह ऐसा सिद्ध विग्रह है जहां माता भवानी का जो भी भक्त एक बार पहुंच जाता है, वह ध्यान में लीन हो जाता है.

कानपुर स्थित कुष्ममांडा माता मंदिर.
कानपुर स्थित कुष्ममांडा माता मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

कुष्मांडा माता मंदिर, कानपुर: देशभर में मां कुष्मांडा के कई मंदिर स्थित हैं लेकिन, कानपुर में स्थिति मां कुष्मांडा देवी का मंदिर काफी प्रसिद्ध है. इसे कुड़हा देवी का मंदिर भी कहा जाता है. यहां पर मां लेटे हुए मुद्रा में हैं. हर साल नवरात्र के दिनों में यहां पर काफी बड़ा मेला लगता. जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं.

वाराणसी स्थित शैलपुत्री मंदिर.
वाराणसी स्थित शैलपुत्री मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

शैलपुत्री मंदिर, वाराणसी: भगवान शिव की नगरी काशी यानी बनारस में माता शैलपुत्री की प्राचीन मंदिर है. मान्‍यता है कि माता शैलपुत्री नवरात्र के पहले दिन खुद भक्‍तों को दर्शन देती हैं. माता शैलपुत्री का प्राचीन मंदिर वाराणसी सिटी स्‍टेशन से कुछ ही दूरी पर है. मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां के लोगों को पता ही नहीं है कि इसकी स्‍थापना कब और किसने की थी.

मान्‍यता है कि माता शैलपुत्री ने वाराणसी में करुणा नदी के किनारे तप किया. पिता शैलपुत्री की खोज करते-करते करुणा नदी के किनारे पहुंचे. वहां बेटी को तप करता देख वह भी तप करने लगे. बाद में माता शैलपुत्री और पिता शैलराज के मंदिर का निर्माण हुआ. मान्‍यता है कि माता शैलपुत्री खुद यहां विराजमान हुई थीं. मंदिर में भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग भी स्‍थापित है.

सीतापुर स्थित ललिता देवी मंदिर.
सीतापुर स्थित ललिता देवी मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

नोट; यह तो थे उत्तर प्रदेश के कुछ प्रमुख देवी मंदिर. इसके अलावा पूरे प्रदेश में अनेक छोटे-बड़े देवी मां के मंदिर हैं जो अपने क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध हैं.

ये भी पढ़ेंः शुभ नवरात्र; राशि अनुसार 9 दिन करें मंत्र का जाप; खास विधि से करें पूजन, बनी रहेगी मां की कृपा

लखनऊ: देवी माता की आराधना के 9 दिन यानी नवरात्र की आज से शुरुआत हो गई. हिंदू धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व होता है. साल भर में कुल 4 नवरात्र आते हैं, जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्र का खास महत्व होता है, जबकि दो गुप्त नवरात्र होते हैं. नवरात्र में देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-आराधना करने का विधान होता है. आज हम आपको उत्तर प्रदेश के खास 9 देवी शक्तिपीठों से रूबरू करा रहे हैं. साथ ही उनके महत्व को भी उल्लिखित कर रहे हैं.

देवी पाटन मंदिर, बलरामपुर: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के तुलसीपुर में देवी पाटन मंदिर स्थित है. यहां विराजमान देवी को मां मातेश्वरी के नाम से जाना जाता है. यह 52 शक्तिपीठों में से एक है, जहां माता का बांया हाथ और पट गिरा था. यहां पर प्रदेश का सबसे बड़ा मेला लगता है. यूपी रोडवेज की तरफ से मेले में जाने के लिए 45 बसों को अलग से लगाया गया है. जो प्रदेश के अलग-अलग जिलों से श्रद्धालुओं को देवी पाटन तक पहुंचाएंगी.

बलरामपुर स्थित देवीपाटन मंदिर.
बलरामपुर स्थित देवीपाटन मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

ललिता देवी मंदिर, सीतापुर: ललिता देवी का मंदिर सीतापुर जिले के मिश्रिख में स्थित है. यह मंदिर भी 52 शक्तिपीठों में से एक है. माना जाता है कि यहां माता सती का हृदय गिरा था. यहां दूर- दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. देवीभागवत पुराण के अनुसार जब राजा जन्मेजय ने व्यास जी से देवी के जाग्रत स्थानों के बारे में पूछा तो उन्होंने जिन 108 शक्तिपीठों का वर्णन किया था, उनमें नैमिष तीर्थ स्थित मां ललिता देवी का दरबार भी है. देवी भागवत में इस शक्ति को लिंगधारिणी कहा गया है. नवरात्र के दिनों में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.

वाराणसी स्थित विन्ध्यवासिनी देवी मंदिर.
वाराणसी स्थित विन्ध्यवासिनी देवी मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

मां विन्ध्यवासिनी देवी मंदिर, मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के विन्ध्याचल में गंगा नदी के किनारे मां विन्ध्यवासिनी देवी का अति प्राचीन मंदिर है. यहां देवी को महामाया देवी के रूप में पूजा जाता है. मान्यता है कि यहां का अस्तित्व सृष्टि के आरंभ से है और प्रलय के बाद तक रहेगा. उत्तर प्रदेश सरकार यहां विन्ध्याचल धाम कॉरिडोर का निर्माण करा रही है, जिसके बाद यह धाम विश्व पटल पर अपनी छठा बिखेरेगा.

सहारनपुर स्थित शाकम्भरी देवी मंदिर.
सहारनपुर स्थित शाकम्भरी देवी मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

मां शाकम्भरी देवी मंदिर, सहारनपुर: मां शाकम्भरी देवी का मंदिर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित है. यह एक शक्तिपीठ है. ब्रह्मपुराण में इस पीठ को सिद्धपीठ कहा गया है. यह क्षेत्र भगवती शताक्षी का सिद्ध स्थान माना गया है. इस परम दुर्लभ तीर्थ क्षेत्र को पंचकोसी सिद्धपीठ भी कहा जाता है. भगवती सती का शीश इसी क्षेत्र में गिरा था. इसलिए इसकी गणना देवी के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में होती है. माना जाता है कि उत्तर भारत की 9 देवियों की प्रसिद्ध यात्रा मां शाकम्भरी देवी के दर्शन बिना पूर्ण नहीं होती.

गोरखपुर स्थित तरकुलहा देवी मंदिर.
गोरखपुर स्थित तरकुलहा देवी मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

मां तरकुलहा देवी मंदिर, गोरखपुर: तरकुलहा देवी का मंदिर यूपी के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. यह गोरखपुर जिले में स्थित है. इस मंदिर को काफी चमत्कारी माना जाता है. मंदिर को लेकर एक कहानी भी प्रचलित है कि आजादी के पहले यहां पर एक क्रांतिकारी बंधू सिंह रहते थे, जो यहां से गुजरने वाले सभी अंग्रेजों का सिर काटकर माता को समर्पित करते थे. इस बीच अंग्रेजों ने बधू सिंह को पकड़ लिया और उन्हें फांसी की सजा सुना दी. जब उन्हें फांसी दी जाने लगी तो बार-बार फांसी का फंदा खुद से टूट जाता और बधू सिंह की जान बच जाती. फिर जल्लाद ने बधू सिंह से प्रार्थना की कि अगर उसने उन्हें फांसी नहीं दी तो अंग्रेज उसे मार देंगे. इस पर बधू सिंह ने माता से प्रार्थना की तब जाकर उनको फांसी हुई. उसके बाद से ही माता की महिमा का गुणगान होने लगा और माता के मंदिर में भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलती हैं.

वाराणसी स्थित विशालाक्षी मंदिर.
वाराणसी स्थित विशालाक्षी मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

मां विशालाक्षी मंदिर, वाराणसी: काशी में स्थित मणिकर्णिका घाट पर माता का एक मंदिर है, जिसे माता के शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है. यहां पर माता के कान की मणि से जड़ित कुंडल गिरा था. यही कारण है कि इस घाट को मणिकर्णिका घाट कहा जाता है. यहां पर माता सती को विशालाक्षी मणिकर्णी के रूप में पूजा जाता है. यह मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के पास में ही स्थित है.

वाराणसी स्थित कालरात्रि देवी मंदिर.
वाराणसी स्थित कालरात्रि देवी मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

मां कालरात्रि देवी मंदिर, बनारस: वाराणसी में माता कालरात्रि का मंदिर चौक क्षेत्र की कालिका गली में स्थित है. माना जाता है कि माता कालरात्रि के स्वरूप का दर्शन-पूजन पूजन करने से अकाल मृत्यु का भय जाता रहता है. काशी का यह इकलौता मंदिर है जहां भगवान शंकर से रुष्ट होकर माता पार्वती आईं और सैकड़ों साल तक कठोर तपस्या की. यह ऐसा सिद्ध विग्रह है जहां माता भवानी का जो भी भक्त एक बार पहुंच जाता है, वह ध्यान में लीन हो जाता है.

कानपुर स्थित कुष्ममांडा माता मंदिर.
कानपुर स्थित कुष्ममांडा माता मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

कुष्मांडा माता मंदिर, कानपुर: देशभर में मां कुष्मांडा के कई मंदिर स्थित हैं लेकिन, कानपुर में स्थिति मां कुष्मांडा देवी का मंदिर काफी प्रसिद्ध है. इसे कुड़हा देवी का मंदिर भी कहा जाता है. यहां पर मां लेटे हुए मुद्रा में हैं. हर साल नवरात्र के दिनों में यहां पर काफी बड़ा मेला लगता. जिसमें दूर-दूर से लोग आते हैं.

वाराणसी स्थित शैलपुत्री मंदिर.
वाराणसी स्थित शैलपुत्री मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

शैलपुत्री मंदिर, वाराणसी: भगवान शिव की नगरी काशी यानी बनारस में माता शैलपुत्री की प्राचीन मंदिर है. मान्‍यता है कि माता शैलपुत्री नवरात्र के पहले दिन खुद भक्‍तों को दर्शन देती हैं. माता शैलपुत्री का प्राचीन मंदिर वाराणसी सिटी स्‍टेशन से कुछ ही दूरी पर है. मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां के लोगों को पता ही नहीं है कि इसकी स्‍थापना कब और किसने की थी.

मान्‍यता है कि माता शैलपुत्री ने वाराणसी में करुणा नदी के किनारे तप किया. पिता शैलपुत्री की खोज करते-करते करुणा नदी के किनारे पहुंचे. वहां बेटी को तप करता देख वह भी तप करने लगे. बाद में माता शैलपुत्री और पिता शैलराज के मंदिर का निर्माण हुआ. मान्‍यता है कि माता शैलपुत्री खुद यहां विराजमान हुई थीं. मंदिर में भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग भी स्‍थापित है.

सीतापुर स्थित ललिता देवी मंदिर.
सीतापुर स्थित ललिता देवी मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat)

नोट; यह तो थे उत्तर प्रदेश के कुछ प्रमुख देवी मंदिर. इसके अलावा पूरे प्रदेश में अनेक छोटे-बड़े देवी मां के मंदिर हैं जो अपने क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध हैं.

ये भी पढ़ेंः शुभ नवरात्र; राशि अनुसार 9 दिन करें मंत्र का जाप; खास विधि से करें पूजन, बनी रहेगी मां की कृपा

Last Updated : Oct 3, 2024, 1:44 PM IST
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