पटनाः आज नवरात्र का छठा दिन है. इस दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. साधक को इस दिन पूजा-पाठ में विशेष ध्यान देना चाहिए. इस दिन खास तरह से पूजा पाठ और मां को विशेष मिठाई का भोग लगाना चाहिए. इससे मां प्रसन्न होती है.
मां कात्यायनी का ध्यानः मां कात्यायनी का स्वरूप चमकीला और भास्वर है. मां को चार भुजाएं हैं. दाहिने और से ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है. बाईं ओर के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल हैं. मां के इस स्वरूप का हम ध्यान करते हैं.
कौन हैं मां कात्यायनी?: 'कात्यायनी' अमरकोष में माता पार्वती का दूसरा नाम है. नवरात्रि के षष्ठी को इनकी पूजा की जाती है. इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में रहता है. योग साधना में इसका काफी महत्व है. इस चक्र वाला भक्त अपना सर्वस्व माता के चरणों में समर्पित करता है. इससे भक्तों को सहज रूप से मां का दर्शन प्राप्त होता है.
मां कात्यायनी का श्लोक
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी॥
अर्थात: आदिशक्ति मां दुर्गा के छठे स्वरूप देवी कात्यायनी अपने भक्तों को नि:श्रेयसता और अलौकिकता प्रदान करती हैं. भक्तों को आत्म-विश्वास, निर्भयता और आरोग्यता का आशीर्वाद प्राप्त हो यही कामना है.
मां की उपासनाः मान्यता के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा गोधुली बेला में करनी चाहिए. पूजा के दौरान मां का श्लोक को सरल और स्पष्ट तरीके से जपना चाहिए. श्लोक को कंठस्थ कर छठे दिन इसका जप करना चाहिए. मां की पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार और दुश्मनों का संहार होता है.
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
अर्थाच: हे मां, सर्वत्र विराजमान और शक्ति-रूपिणी प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बारम्बार प्रणाम है.
कन्या इस मंत्र का जप करेंः मान्यताओं के अनुसार जिन कन्याओं के विवाह मे विलम्ब हो रहा हो. ऐसे भक्त को छठे दिन मां कात्यायनी की उपासना जरूर करना चाहिए. इससे उन्हें मनोवान्छित वर मिलता है और मां का आशीर्वाद भी मिलता है. विवाह के लिये कात्यायनी मन्त्र इस प्रकार है ' ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:॥
कात्यानी का भोग: छठे दिन मां कात्यायनी को विशेष मिठाई का भोग लगाना चाहिए. मां को पीला रंग अतिप्रिय है. इसलिए इस दिन पीले रंग की मिठाई का भोग लगाना चाहिए. इसके साथ शहद से बने हलवे का भी भोग लगाना चाहिए. इससे माता प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को अभयदान देती हैं.
मां की आराधना का फलः मां कात्यानी की आराधना करने से भक्त के रोग, शोक, संताप, भय आदि हमेशा के लिए नष्ट हो जाते हैं.
मां की आरतीः
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
वहां वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।
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