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नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें विशेषता - Navratri 2024

Maa Brahmacharini Puja: आज नवरात्रि का दूसरा दिन है. इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. जानें पूजा का महत्व है.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 2 hours ago

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा (ETV Bharat)

पटनाः नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. ब्रह्म यानि तप और चारिणी यानि आचरण होता है. मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है. मां सदैव शांत और संसार से विरक्त होकर कठोर तपस्या करती हैं. इनके मुख पर अद्भुत तेज विधमान होता है. मां के एक हाथ में अक्ष माला और दूसरे हाथ में कमंडल होता है.

पूजा का शुभ मुहूर्तः या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ इस जप से मां प्रसन्न होती हैं. इनकी उपासना से लक्ष्य प्राप्त करने की सीख मिलती है. शुक्रवार को पूजा का शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए. चर यानि सामान्य पूजा के लिए सुबह 06.16 से 07.44, लाभ के लिए सुबह 7.44 से सुबह 9.13 और अमृत के लिए सुबह 9.13 से सुबह 10.41 तक शुभ मुहूर्त है.

माता को क्या पसंद है? नवरात्रि के दूसरे दिन मां की पूजा में विशेष ध्यान रखना चाहिए. मान्यताओं के अनुसार इस दिन शुभ रंगा हरा माना जाता है. माता को चमेली का फूल प्रिय है. भोग में पंचामृत और शक्कर चढ़ाएं. पूजा विधि की बात करें तो इस दिन हरे रंग का वस्त्र पहनें और देवी के मंत्र ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥ का जाप करते हुए भोग अर्पित करें.

दूसरे दिन पूजा का लाभः माता यह संदेश देती है कि जीवन में तपस्या और कठोर परिश्रम के बिना सफलता नहीं मिल सकती है. बिना मेहनत की सफलता मिलना अच्छा नहीं है. इसलिए इस दिन मां की पूजा करने से अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाने की शक्ति मिलती है. भक्त को अपने लक्ष्य में सफलता जरूर मिलती है.

मां ब्रह्मचारिणी का स्तोत्र :

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।

ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

शङ्करप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।

शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

मां की आरती यह गाएं:

जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता॥

ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो॥

ब्रह्म मन्त्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सरल संसारा॥

जय गायत्री वेद की माता। जो जन जिस दिन तुम्हें ध्याता॥

कमी कोई रहने ना पाये। कोई भी दुःख सहने न पाये॥

उसकी विरति रहे ठिकाने। जो तेरी महिमा को जाने॥

रद्रक्षा की माला ले कर। जपे जो मन्त्र श्रद्धा दे कर॥

आलस छोड़ करे गुणगाना। मां तुम उसको सुख पहुंचाना॥

ब्रह्मचारिणी तेरो नाम। पूर्ण करो सब मेरे काम॥

भक्त तेरे चरणों का पुजारी। रखना लाज मेरी महतारी॥

यह भी पढ़ेंः 21 कलश सीने पर रखकर साधना, नवरात्र के 9 दिन.. एक बार भी नहीं उठते नागेश्वर बाबा - Durga Puja 2024

पटनाः नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. ब्रह्म यानि तप और चारिणी यानि आचरण होता है. मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है. मां सदैव शांत और संसार से विरक्त होकर कठोर तपस्या करती हैं. इनके मुख पर अद्भुत तेज विधमान होता है. मां के एक हाथ में अक्ष माला और दूसरे हाथ में कमंडल होता है.

पूजा का शुभ मुहूर्तः या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ इस जप से मां प्रसन्न होती हैं. इनकी उपासना से लक्ष्य प्राप्त करने की सीख मिलती है. शुक्रवार को पूजा का शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए. चर यानि सामान्य पूजा के लिए सुबह 06.16 से 07.44, लाभ के लिए सुबह 7.44 से सुबह 9.13 और अमृत के लिए सुबह 9.13 से सुबह 10.41 तक शुभ मुहूर्त है.

माता को क्या पसंद है? नवरात्रि के दूसरे दिन मां की पूजा में विशेष ध्यान रखना चाहिए. मान्यताओं के अनुसार इस दिन शुभ रंगा हरा माना जाता है. माता को चमेली का फूल प्रिय है. भोग में पंचामृत और शक्कर चढ़ाएं. पूजा विधि की बात करें तो इस दिन हरे रंग का वस्त्र पहनें और देवी के मंत्र ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥ का जाप करते हुए भोग अर्पित करें.

दूसरे दिन पूजा का लाभः माता यह संदेश देती है कि जीवन में तपस्या और कठोर परिश्रम के बिना सफलता नहीं मिल सकती है. बिना मेहनत की सफलता मिलना अच्छा नहीं है. इसलिए इस दिन मां की पूजा करने से अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाने की शक्ति मिलती है. भक्त को अपने लक्ष्य में सफलता जरूर मिलती है.

मां ब्रह्मचारिणी का स्तोत्र :

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।

ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

शङ्करप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।

शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

मां की आरती यह गाएं:

जय अम्बे ब्रह्मचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता॥

ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो॥

ब्रह्म मन्त्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सरल संसारा॥

जय गायत्री वेद की माता। जो जन जिस दिन तुम्हें ध्याता॥

कमी कोई रहने ना पाये। कोई भी दुःख सहने न पाये॥

उसकी विरति रहे ठिकाने। जो तेरी महिमा को जाने॥

रद्रक्षा की माला ले कर। जपे जो मन्त्र श्रद्धा दे कर॥

आलस छोड़ करे गुणगाना। मां तुम उसको सुख पहुंचाना॥

ब्रह्मचारिणी तेरो नाम। पूर्ण करो सब मेरे काम॥

भक्त तेरे चरणों का पुजारी। रखना लाज मेरी महतारी॥

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