रायपुर : नवरात्रि पर्व को लेकर राजधानी के महामाया मंदिर, काली मंदिर, दंतेश्वरी मंदिर सहित अन्य देवी मंदिरों में तैयारियां शुरू कर दी गई है. मंदिरों की साफ सफाई, रंग रोगन, ज्योति कलश की साफ सफाई के साथ ही तमाम तैयारियां की जा रही है. देवी मंदिरों में दर्शन के लिए पार्किंग व्यवस्था, पेयजल व्यवस्था और चिकित्सा व्यवस्था को भी दुरुस्त किया गया है.
पेंटर दे रहे हैं अंतिम टच : महामाया मंदिर में पेंटिंग करने वाले पेंटर महेश कुमार सोनी ने बताया कि "साल भर महामाया मंदिर में पेंटिंग और दीवारों पर कोटेशन लिखने का काम करते हैं. महामाया मंदिर में पेंटिंग का काम साल 1991 से शुरू किया है. आज भी दीवार पर बने भगवान के चित्रों पर टचिंग और पेंटिंग का काम कर रहे हैं.'' पेंटर को इस मंदिर में रोजाना उसका मेहनताना भी मिल जाता है. अभी नवरात्रि पर्व को लेकर तैयारी की जा रही है.
11 हजार दीप प्रज्ज्वलित करने का लक्ष्य : महामाया मंदिर ट्रस्ट कमेटी के सचिव व्यास नारायण तिवारी ने बताया कि साल में चार नवरात्रि होती है. दो नवरात्रि ज्ञात नवरात्रि होती हैं, जो शारदीय नवरात्र और कुंवार नवरात्रि कहलाती है. साल में दो गुप्त नवरात्रि होती है. 3 अक्टूबर से शुरू होने वाले नवरात्रि को शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है. महामाया मंदिर ट्रस्ट कमेटी की ओर से 11000 दीपक प्रज्वलित करने का लक्ष्य रखा गया है. लोग ज्योति कलश के लिए रसीद कटवाने का काम भी कर रहे हैं. ज्योति कलश प्रज्ज्वलित करने के लिए शुल्क 2 अक्टूबर की रात 10 बजे तक लिया जाएगा.
पिछले साल की तरह इस साल भी दीपक प्रज्ज्वलित करने का शुल्क 700 रु रखा गया है. नवरात्रि को देखते हुए महामाया मंदिर में रंग रोगन, साफ सफाई के साथ ही पार्किंग व्यवस्था, पेयजल व्यवस्था और चिकित्सा व्यवस्था की तैयारी भी लगभग पूरी कर ली गई है. नवरात्रि के दौरान नौ दिनों में देवी के नौ रूपों की पूजा आराधना की जाती है. इस दौरान महामाया मंदिर में रोजाना हजारों की तादाद में भक्त माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं-व्यास नारायण तिवारी, महामाया मंदिर ट्रस्ट कमेटी
काली मंदिर में जलाई जाएगी ज्योति : आकाशवाणी चौक रायपुर के काली मंदिर के पुजारी पंडित मामा जी ने बताया कि नवरात्रि को देखते हुए मंदिर में रंग रोगन के साथ ही रिनोवेशन का काम भी अंतिम चरणों में है. दीपक प्रज्ज्वलित करने वाले भक्त रसीद कटवाकर अपनी जोत जलवाने के लिए बुकिंग कर रहे हैं. पिछले साल लगभग 3500 जोत काली मंदिर में जलाए गए थे.