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जयपुर में गोबर और लाख से तैयार पारंपरिक आभूषणों का क्रेज, ऑन डिमांड तैयार हो रही Recycle ज्वेलरी

जयपुर में नवरात्रि पर होने वाले गरबा-डांडिया के लिए लोगों में गोबर और लाख से तैयार पारंपरिक आभूषणों का क्रेज बढ़ा है. देखिए ये रिपोर्ट...

जयपुर में गोबर और लाख से तैयार पारंपरिक आभूषणों का क्रेज
जयपुर में गोबर और लाख से तैयार पारंपरिक आभूषणों का क्रेज (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 8, 2024, 7:55 AM IST

जयपुर : यूं तो गरबा और डांडिया गुजरात की सांस्कृतिक पहचान है, लेकिन अब इस डांस फॉर्म ने पूरे देश में अपनी जगह बना ली है. बीते दो दशक में राजस्थान में भी गरबा-डांडिया को लेकर लोगों में रुचि बढ़ी है, जिसका अंदाजा राजधानी के बाजारों को देखकर लगाया जा सकता है. आलम ये है कि अब पारंपरिक पोशाकों के साथ-साथ आभूषण खरीदने को लेकर भी लोगों में खासा क्रेज देखने को मिलता है. यही क्रेज आभूषण बनाने वालों में भी रहता है. जयपुर में तो गरबा-डांडिया के लिए गोबर और लाख से भी पारंपरिक ज्वेलरी तैयार की जा रही है, जिसकी अब डिमांड भी बढ़ रही है.

गोबर और लाख से नेकलेस, रिंग्स, इयररिंग्स : छोटी काशी में नवरात्रि में गरबा-डांडिया नाइट्स की धूम है. जयपुर की स्थापना से ही यहां बसा गुजराती समाज गरबा-डांडिया के रंग बिखेरता आया है. इसे समय के साथ-साथ अब दूसरे समाज और विभिन्न वर्गों ने भी अपना लिया है. अब शहर भर में होने वाले गरबा-डांडिया नाइट्स में शामिल होने के लिए शहरवासी डिजाइनर परिधान और डांडिया स्टिक लेने बाजारों में पहुंच रहे हैं. उत्सव में आभूषणों का महत्वपूर्ण स्थान है. गरबा नाइट्स में पहने जाने वाले आभूषण इस उत्सव को और आकर्षक बनाते हैं. यही वजह है कि लोगों में पोशाक के साथ ज्वेलरी को लेकर भी खासा क्रेज देखने को मिल रहा है. खास बात ये है कि जयपुर में लोगों के बीच रिसाइकल ज्वेलरी का भी ट्रेंड है. ऐसे में हैनीमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी से जुड़े कारीगर गोबर और लाख से नेकलेस, रिंग्स, इयररिंग्स तैयार कर रहे हैं.

गोबर और लाख से तैयार पारंपरिक आभूषणों का क्रेज (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें. हांगकांग, मस्कट व दुबई तक भाइयों की कलाई पर सजेगी भरतपुर की यह खास राखी, तुलसी व अश्वगंधा के रूप में महकेगी

गोबर और लाख से ज्वेलरी तैयार कर रहे कारीगरों ने बताया कि यहां लाख से ज्वेलरी तैयार की जा रही है, जिसमें 40 फीसदी गाय के गोबर का इस्तेमाल किया गया, जो रेडिएशन को भी दूर रखता है और महिलाओं पर इसका पॉजिटिव प्रभाव पड़ता है. उन्होंने बताया कि पहले वो लाख के चूड़े बनाते थे, लेकिन इस बार डिमांड आई तो उन्होंने लाख के आभूषण भी बनाए. फिर इन आभूषणों में गरबा डांडिया में इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक कौड़ियों (सीपियों) का इस्तेमाल करते हुए मांग टीका, इयररिंग्स, नेकलेस, चूड़ियां, अंगूठियां, कमरबंद और ब्रेसलेट भी तैयार कर रहे हैं. इसमें 80% तक लाख और गाय का गोबर इस्तेमाल किया जा है, बाकी कौड़ियों के अलावा आर्टिफिशियल चीजों को इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि पहनने में ये अट्रैक्टिव लगे और गरबा-डांडिया में नाचते समय आकर्षक भी दिखे.

गोबर और लाख से तैयार आभूषण
गोबर और लाख से तैयार आभूषण (ETV Bharat Jaipur)

महिलाओं और युवतियों की खासी भीड़ : वहीं, जयपुर के बड़ी चौपड़, पुरोहित जी का कटला, जोहरी बाजार में महिलाओं और युवतियों की खासी भीड़ भी देखने को मिल रही है, जो ट्रेडिशनल कॉस्टयूम में शामिल डिजाइनर लहंगा-चोली लेने पहुंच रही हैं. विक्रेताओं ने बताया कि बाजार में महिलाओं और युवतियों के लिए 600 से लेकर 3000 रुपए तक के कॉटन, एंब्रॉयडरी, फ्यूजन लुक मल्टी कलर, बंधेज, कांच का वर्क और लहरिया में लहंगा-चोली मौजूद हैं. वहीं, पुरुष वर्ग भी अब इसमें रुचि दिखा रहे हैं. यही वजह है कि उनके लिए कई तरह की जैकेट और अंगरखा बाजार में मौजूद हैं, जो 300 रुपए से 2000 रुपए तक बिक रहे हैं.

गरबा-डांडिया का क्रेज
गरबा-डांडिया का क्रेज (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें. प्लास्टिक कैरी बैग का सब्सीट्यूट बना पेपर कैरी बैग, पेड़ काटकर नहीं बल्की गाय के गोबर से हो रहा तैयार - Paper Bag Day

बहरहाल, गुजरात का पारंपरिक लोक नृत्य गरबा और डांडिया के रंग में आज पूरा जयपुर रंगा हुआ है. इसमें पारंपरिक परिधानों के साथ अब गोबर और लाख से तैयार आभूषणों को नए कलर्स और डिजाइंस में लोगों की डिमांड पर भी तैयार किया जा रहा है. इससे आर्टिस्ट की आय भी बढ़ रही है, साथ ही लोगों को ज्वेलरी में कुछ नया भी मिल रहा है.

जयपुर : यूं तो गरबा और डांडिया गुजरात की सांस्कृतिक पहचान है, लेकिन अब इस डांस फॉर्म ने पूरे देश में अपनी जगह बना ली है. बीते दो दशक में राजस्थान में भी गरबा-डांडिया को लेकर लोगों में रुचि बढ़ी है, जिसका अंदाजा राजधानी के बाजारों को देखकर लगाया जा सकता है. आलम ये है कि अब पारंपरिक पोशाकों के साथ-साथ आभूषण खरीदने को लेकर भी लोगों में खासा क्रेज देखने को मिलता है. यही क्रेज आभूषण बनाने वालों में भी रहता है. जयपुर में तो गरबा-डांडिया के लिए गोबर और लाख से भी पारंपरिक ज्वेलरी तैयार की जा रही है, जिसकी अब डिमांड भी बढ़ रही है.

गोबर और लाख से नेकलेस, रिंग्स, इयररिंग्स : छोटी काशी में नवरात्रि में गरबा-डांडिया नाइट्स की धूम है. जयपुर की स्थापना से ही यहां बसा गुजराती समाज गरबा-डांडिया के रंग बिखेरता आया है. इसे समय के साथ-साथ अब दूसरे समाज और विभिन्न वर्गों ने भी अपना लिया है. अब शहर भर में होने वाले गरबा-डांडिया नाइट्स में शामिल होने के लिए शहरवासी डिजाइनर परिधान और डांडिया स्टिक लेने बाजारों में पहुंच रहे हैं. उत्सव में आभूषणों का महत्वपूर्ण स्थान है. गरबा नाइट्स में पहने जाने वाले आभूषण इस उत्सव को और आकर्षक बनाते हैं. यही वजह है कि लोगों में पोशाक के साथ ज्वेलरी को लेकर भी खासा क्रेज देखने को मिल रहा है. खास बात ये है कि जयपुर में लोगों के बीच रिसाइकल ज्वेलरी का भी ट्रेंड है. ऐसे में हैनीमैन चैरिटेबल मिशन सोसाइटी से जुड़े कारीगर गोबर और लाख से नेकलेस, रिंग्स, इयररिंग्स तैयार कर रहे हैं.

गोबर और लाख से तैयार पारंपरिक आभूषणों का क्रेज (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें. हांगकांग, मस्कट व दुबई तक भाइयों की कलाई पर सजेगी भरतपुर की यह खास राखी, तुलसी व अश्वगंधा के रूप में महकेगी

गोबर और लाख से ज्वेलरी तैयार कर रहे कारीगरों ने बताया कि यहां लाख से ज्वेलरी तैयार की जा रही है, जिसमें 40 फीसदी गाय के गोबर का इस्तेमाल किया गया, जो रेडिएशन को भी दूर रखता है और महिलाओं पर इसका पॉजिटिव प्रभाव पड़ता है. उन्होंने बताया कि पहले वो लाख के चूड़े बनाते थे, लेकिन इस बार डिमांड आई तो उन्होंने लाख के आभूषण भी बनाए. फिर इन आभूषणों में गरबा डांडिया में इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक कौड़ियों (सीपियों) का इस्तेमाल करते हुए मांग टीका, इयररिंग्स, नेकलेस, चूड़ियां, अंगूठियां, कमरबंद और ब्रेसलेट भी तैयार कर रहे हैं. इसमें 80% तक लाख और गाय का गोबर इस्तेमाल किया जा है, बाकी कौड़ियों के अलावा आर्टिफिशियल चीजों को इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि पहनने में ये अट्रैक्टिव लगे और गरबा-डांडिया में नाचते समय आकर्षक भी दिखे.

गोबर और लाख से तैयार आभूषण
गोबर और लाख से तैयार आभूषण (ETV Bharat Jaipur)

महिलाओं और युवतियों की खासी भीड़ : वहीं, जयपुर के बड़ी चौपड़, पुरोहित जी का कटला, जोहरी बाजार में महिलाओं और युवतियों की खासी भीड़ भी देखने को मिल रही है, जो ट्रेडिशनल कॉस्टयूम में शामिल डिजाइनर लहंगा-चोली लेने पहुंच रही हैं. विक्रेताओं ने बताया कि बाजार में महिलाओं और युवतियों के लिए 600 से लेकर 3000 रुपए तक के कॉटन, एंब्रॉयडरी, फ्यूजन लुक मल्टी कलर, बंधेज, कांच का वर्क और लहरिया में लहंगा-चोली मौजूद हैं. वहीं, पुरुष वर्ग भी अब इसमें रुचि दिखा रहे हैं. यही वजह है कि उनके लिए कई तरह की जैकेट और अंगरखा बाजार में मौजूद हैं, जो 300 रुपए से 2000 रुपए तक बिक रहे हैं.

गरबा-डांडिया का क्रेज
गरबा-डांडिया का क्रेज (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें. प्लास्टिक कैरी बैग का सब्सीट्यूट बना पेपर कैरी बैग, पेड़ काटकर नहीं बल्की गाय के गोबर से हो रहा तैयार - Paper Bag Day

बहरहाल, गुजरात का पारंपरिक लोक नृत्य गरबा और डांडिया के रंग में आज पूरा जयपुर रंगा हुआ है. इसमें पारंपरिक परिधानों के साथ अब गोबर और लाख से तैयार आभूषणों को नए कलर्स और डिजाइंस में लोगों की डिमांड पर भी तैयार किया जा रहा है. इससे आर्टिस्ट की आय भी बढ़ रही है, साथ ही लोगों को ज्वेलरी में कुछ नया भी मिल रहा है.

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