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नवरात्र के आठवें दिन देवी महागौरी की होती पूजा, इस भोग से माता होती हैं प्रसन्न

शारदीय नवरात्र के आठवें दिन मां पार्वती के महागौरी स्वरूप की पूजा होती है और नवरात्रि की अष्टमी को दुर्गा अष्टमी कहा जाता है.

देवी महागौरी
देवी महागौरी (ETV Bharat Bikaner)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 10, 2024, 6:29 AM IST

बीकानेर : शारदीय नवरात्र में देवी की आराधना में दुर्गा अष्टमी यानी आठवें दिन का खासा महत्व है. वैसे तो नवरात्रि 9 दिन के होते हैं, लेकिन देवी की आराधना करने वाले कई लोग अष्टमी के दिन भी अनुष्ठान की पूर्णाहुति करते हैं और छोटी कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर भोजन कराते हुए भेंट अर्पित करते हैं.

मां महागौरी की पूजा : नवरात्र के आठवें दिन यानि अष्टमी को माता को सिंदूर, कुमकुम, लौंग का जोड़ा, इलायची, लाल चुनरी श्रद्धापूर्वक अर्पित करें. ऐसा करने के बाद माता महागौरी की आरती करें. आरती से पहले दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए.

पढ़ें. बंगाल की तर्ज पर पहली बार बाड़मेर में दुर्गा पूजा, मिट्टी से बनी 9 फीट ऊंची है मां दुर्गा की प्रतिमा

इस मंत्र का जप करना चाहिए :
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
या देवी सर्वभू‍तेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

महातपस्विनी हैं महागौरी : पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि गृहस्थ जन और सात्विक पूजा करने वाले लोगों सफेद कमल और मोगरा से देवी महागौरी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. महागौरी भगवान शंकर की अर्धांगिनी हैं. देवी महागौरी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की और तपस्या के चलते उनका वर्ण काला पड़ गया. प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनके वर्ण को फिर से गौर कर दिया और वहीं से उनका नाम महागौरी पड़ा.

वृषभ पर सवार मां महागौरी : मां के महागौरी स्वरूप का वर्ण बेहद गोरा है, इसीलिए देवी के इस स्वरूप को महागौरी कहा जाता है. उनके हाथों के डमरू, कक्षमाला और त्रिशूल है. मां महागौरी को नारियल का भोग लगाना श्रेयस्कर माना जाता है. मान्यता है कि देवी को भोग में नारियल और पुष्प में मोगरा अर्पित करने से वैवाहिक जीवन में मिठास आती है और पाप कर्म से छुटकारा मिलता है.

बीकानेर : शारदीय नवरात्र में देवी की आराधना में दुर्गा अष्टमी यानी आठवें दिन का खासा महत्व है. वैसे तो नवरात्रि 9 दिन के होते हैं, लेकिन देवी की आराधना करने वाले कई लोग अष्टमी के दिन भी अनुष्ठान की पूर्णाहुति करते हैं और छोटी कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर भोजन कराते हुए भेंट अर्पित करते हैं.

मां महागौरी की पूजा : नवरात्र के आठवें दिन यानि अष्टमी को माता को सिंदूर, कुमकुम, लौंग का जोड़ा, इलायची, लाल चुनरी श्रद्धापूर्वक अर्पित करें. ऐसा करने के बाद माता महागौरी की आरती करें. आरती से पहले दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए.

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इस मंत्र का जप करना चाहिए :
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
या देवी सर्वभू‍तेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

महातपस्विनी हैं महागौरी : पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि गृहस्थ जन और सात्विक पूजा करने वाले लोगों सफेद कमल और मोगरा से देवी महागौरी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. महागौरी भगवान शंकर की अर्धांगिनी हैं. देवी महागौरी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की और तपस्या के चलते उनका वर्ण काला पड़ गया. प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनके वर्ण को फिर से गौर कर दिया और वहीं से उनका नाम महागौरी पड़ा.

वृषभ पर सवार मां महागौरी : मां के महागौरी स्वरूप का वर्ण बेहद गोरा है, इसीलिए देवी के इस स्वरूप को महागौरी कहा जाता है. उनके हाथों के डमरू, कक्षमाला और त्रिशूल है. मां महागौरी को नारियल का भोग लगाना श्रेयस्कर माना जाता है. मान्यता है कि देवी को भोग में नारियल और पुष्प में मोगरा अर्पित करने से वैवाहिक जीवन में मिठास आती है और पाप कर्म से छुटकारा मिलता है.

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