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पुष्कर की रक्षा करती हैं 'नौसर माता', मुगल भी नहीं पहुंचा पाए थे मंदिर को नुकसान - NAVRATRI 2024

शारदीय नवरात्रि के महाअष्टमी पर दर्शन कीजिए एक साथ 9 रूपों में विराजमान नौसर माता का...

नौसर माता मंदिर
नौसर माता मंदिर (ETV Bharat Ajmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 10, 2024, 10:11 AM IST

अजमेर : नवरात्रि में शक्तिस्वरूपा माता के 9 रूपों की आराधना हो रही है. देशभर में असंख्य माता के मंदिर हैं. माता के हर मंदिर की अपनी महिमा है. इसी तरह अजमेर में जगत जननी दुर्गा माता का ऐसा मंदिर है, जहां दुर्गा माता एक साथ 9 रूपों में दर्शन देती हैं. नवदुर्गा माता का यह पावन धाम अजमेर और पुष्कर के बीच नाग पहाड़ी पर स्थित है. मंदिर के गर्भगृह में माता के 9 सिर वाली मिट्टी की प्रतिमा है. स्थानीय लोग नवदुर्गा माता को नौसर माता के नाम से पुकारते हैं. नवदुर्गा माता के इस अतिप्राचीन पवित्र स्थान का उल्लेख पौराणिक शास्त्रों में भी वर्णित है.

अजमेर से पुष्कर मार्ग पर स्थित घाटी पर श्री नवदुर्गा माता का अति प्राचीन मंदिर है. यह मंदिर नौसर माता के नाम से विख्यात है. नवरात्रि पर यहां दर्शनों के लिए भक्तों का आना जाना लगा रहता है. पदम पुराण में नव दुर्गा माता मंदिर के बारे में उल्लेख है. नकारात्मक शक्तियों से सृष्टि यज्ञ की रक्षा के लिए जगतपिता ब्रह्मा ने नवदुर्गा का आह्वान कर उनकी आराधना की थी. जगत जननी माता दुर्गा ने जगतपिता ब्रह्मा को 9 रूपों में यहां दर्शन दिए थे. भगवान ब्रह्मा के आग्रह पर सृष्टि यज्ञ की रक्षा के लिए माता अपने नौ रूपों के साथ पुष्कर की नाग पहाड़ी के मुख पर एक साथ विराजमान हुईं. वहीं, पुष्कर अरण्य क्षेत्र में माता अलग-अलग 9 रूपों में अलग स्थानों पर विद्यमान हैं.

महाअष्टमी पर दर्शन कीजिए नौसर माता के (ETV Bharat Ajmer)

पढ़ें. बंगाल की तर्ज पर पहली बार बाड़मेर में दुर्गा पूजा, मिट्टी से बनी 9 फीट ऊंची है मां दुर्गा की प्रतिमा

स्थानीय लोगों का अटूट विश्वास है कि आज भी नौसर माता जगत पिता ब्रह्मा की नगरी पुष्कर की रक्षा करती हैं. नौसर मंदिर के पीठाधीश्वर रामा कृष्ण देव बताते हैं कि माता की प्रतिमा एक शरीर में 9 मुख धारण किए हुए हैं. नव दुर्गा के एक साथ 9 रूपों वाला माता का दिव्य और अद्भुत मंदिर और कहीं नहीं है. उन्होंने बताया कि जगतपिता ब्रह्मा ने जब पुष्कर में सृष्टि यज्ञ करने से पहले शिव और शक्ति की आराधना कर उनका आह्वान किया था. पुष्कर में चारों दिशा में भगवान शिव के चार शिवलिंग स्थापित हैं. इसी तरह आदि शक्ति दुर्गा माता के 9 स्वरूप भी पुष्कर अरण्य क्षेत्र में विराजमान हैं, जो पुष्कर की रक्षा करते हैं. यह वह पवित्र स्थान है जहां भगवान ब्रह्मा को माता ने अपने 9 रूप में दर्शन दिए थे. इसी के साथ नवदुर्गा माता यहां स्थापित हो गईं. हिंदू धर्म में कई जातियों की कुलदेवी नौसर माता हैं, इसलिए राजस्थान से ही नहीं अन्य राज्यों से माता के दर्शनों के लिए लोग अजमेर आते हैं.

नौसर माता मंदिर
नौसर माता मंदिर (ETV Bharat Ajmer)

मिट्टी की है माता की प्रतिमा : पीठाधीश्वर रामा कृष्ण देव बताते हैं कि एक बड़ी चट्टान के नीचे विराजित माता के 9 सिर वाली अद्भुत और दिव्य प्रतिमा है. नवदुर्गा माता के यहां सभी रूप एक साथ हैं. कई युगों से चट्टान के नीचे विराजमान माता की प्रतिमा पत्थर की नहीं है, बल्कि मिट्टी की है, जो अपने आप में रहस्यमय है. सदियां बीत जाने के बाद भी माता की मिट्टी की प्रतिमा पर समय और परिस्थितियों का ज्यादा असर नहीं पड़ा है. हालांकि, माता के एक सिर को बाद में ठीक किया गया है.

पांडवों ने की थी शक्ति की आराधना : पदम पुराण के अनुसार सतयुग में पुष्कर अरण्य क्षेत्र में ब्रह्मा ने यज्ञ की रक्षा के लिए नागराज की जिव्हा पर नव शक्तियों को स्थापित किया था. नाग पहाड़ नाग का ही स्वरूप माना जाता है. बताया जाता है कि द्वापर युग में वनवास काल में पांडवों ने पुष्कर की नाग पहाड़ी पर ठहराव किया था, जहां उन्होंने नौसर माता की आराधना की थी. इसके बाद पाडंवों ने पाण्डेश्वर महादेव की स्थापना की. बाद में पांडवों ने पुष्कर में नाग पहाड़ की तलहटी में पंचकुंड का निर्माण किया, जो आज भी 5 पांडवों के नाम से जाने जाते हैं.

पढ़ें. यहां गिरी थी माता सती के पैर की उंगली, कलयुग में जमवाय माता के नाम से होती है पूजा

चौहान वंश के राजाओं ने भी शक्ति की आराधना की : पीठाधीश्वर रामा कृष्णा देव बताते हैं कि 11वीं शताब्दी में पहली बार जब सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी से तराइन का युद्ध किया था, उससे पहले सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने राज कवि चंद्रवरदाई के साथ यहां विजयश्री के लिए माता की आराधना की थी. इस युद्ध में सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को परास्त किया था. सम्राट पृथ्वीराज चौहान के पूर्वज भी यहां नव दुर्गा की आराधना के लिए आया करते थे.

औरंगजेब भी नहीं पंहुचा पाया था प्रतिमा को नुकसान : उन्होंने बताया कि मुगल काल में औरंगजेब ने जब हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किया था, उस वक्त नौसर माता मंदिर को भी नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया था. मंदिर के कुछ हिस्से को औरंगजेब की सेना ने तोड़ा, लेकिन माता के नौ स्वरूप वाली प्रतिमा को औरंगजेब की सेना कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाई. बाद में अजमेर में मराठाओं के शासन में मंदिर का पुनः निर्माण करवाया गया. इसके बाद लंबे समय से रखरखाव के अभाव में मंदिर जीर्ण शीर्ण होता चला गया.

9 रूपों में विराजमान नौसर माता
9 रूपों में विराजमान नौसर माता (ETV Bharat Ajmer)

132 वर्ष पहले इन संत ने करवाया मंदिर का जीर्णोद्धार : उन्होंने बताया कि संत बुधकरण महाराज ने मंदिर का जीर्णोद्धार 131 बरस पहले करवाया था. पहाड़ी के पास जल का स्त्रोत नहीं होने के कारण मंदिर का जीर्णोद्धार करवाना आसान नहीं था. तब माता ने संत बुद्धकरण को स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि मंदिर के नीचे एक विशाल पत्थर है, जिसे हटाने पर पर्याप्त जल मिलेगा. संत बुधकरण ने माता के आदेश से विशाल चट्टान को हटवाया, जहां मीठे पानी से भरा कुंड निकला. वह कुंड आज भी मौजूद है. मान्यता है कि इस कुंड का जल कभी नहीं सूखता. संत बुधकरण के बाद संत ओमा कुमारी और उनके बाद उनके शिष्य रामा कृष्णा देव मंदिर के पीठाधीश्वर हैं.

कई हिन्दू जातियों की कुल देवी है माता : नवदुर्गा नौसर माता कई जातियों की कुलदेवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं. माहेश्वरी समाज के कई गोत्र, गुर्जर समाज के कई गोत्र, कुम्हार जाति, तेली, धोबी, ब्राह्मण, मीणा जाति के अनेक गोत्र की कुलदेवी नौसर माता हैं. देश के कोने-कोने से इन जातियों के गोत्र के वंशज माता के दर्शनों के लिए आते हैं. श्रद्धालु मनोज गुप्ता बताते हैं कि वह 40 वर्ष से माता के मंदिर में प्रतिदिन आ रहे हैं. यहां आने वाले हर भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है. यही वजह है कि एक बार माता की मंदिर में आने के बाद भक्तों का नाता हमेशा के लिए माता से जुड़ जाता है. विकट समय में माता अपने भक्तों की रक्षा जरूर करती हैं. नवरात्रि में माता के दरबार में भक्तों का मेला लगा रहता है. खासकर अष्टमी, नवमी पर माता के मंदिर में विशेष धार्मिक आयोजन, हवन और भंडारा होते हैं.

अजमेर : नवरात्रि में शक्तिस्वरूपा माता के 9 रूपों की आराधना हो रही है. देशभर में असंख्य माता के मंदिर हैं. माता के हर मंदिर की अपनी महिमा है. इसी तरह अजमेर में जगत जननी दुर्गा माता का ऐसा मंदिर है, जहां दुर्गा माता एक साथ 9 रूपों में दर्शन देती हैं. नवदुर्गा माता का यह पावन धाम अजमेर और पुष्कर के बीच नाग पहाड़ी पर स्थित है. मंदिर के गर्भगृह में माता के 9 सिर वाली मिट्टी की प्रतिमा है. स्थानीय लोग नवदुर्गा माता को नौसर माता के नाम से पुकारते हैं. नवदुर्गा माता के इस अतिप्राचीन पवित्र स्थान का उल्लेख पौराणिक शास्त्रों में भी वर्णित है.

अजमेर से पुष्कर मार्ग पर स्थित घाटी पर श्री नवदुर्गा माता का अति प्राचीन मंदिर है. यह मंदिर नौसर माता के नाम से विख्यात है. नवरात्रि पर यहां दर्शनों के लिए भक्तों का आना जाना लगा रहता है. पदम पुराण में नव दुर्गा माता मंदिर के बारे में उल्लेख है. नकारात्मक शक्तियों से सृष्टि यज्ञ की रक्षा के लिए जगतपिता ब्रह्मा ने नवदुर्गा का आह्वान कर उनकी आराधना की थी. जगत जननी माता दुर्गा ने जगतपिता ब्रह्मा को 9 रूपों में यहां दर्शन दिए थे. भगवान ब्रह्मा के आग्रह पर सृष्टि यज्ञ की रक्षा के लिए माता अपने नौ रूपों के साथ पुष्कर की नाग पहाड़ी के मुख पर एक साथ विराजमान हुईं. वहीं, पुष्कर अरण्य क्षेत्र में माता अलग-अलग 9 रूपों में अलग स्थानों पर विद्यमान हैं.

महाअष्टमी पर दर्शन कीजिए नौसर माता के (ETV Bharat Ajmer)

पढ़ें. बंगाल की तर्ज पर पहली बार बाड़मेर में दुर्गा पूजा, मिट्टी से बनी 9 फीट ऊंची है मां दुर्गा की प्रतिमा

स्थानीय लोगों का अटूट विश्वास है कि आज भी नौसर माता जगत पिता ब्रह्मा की नगरी पुष्कर की रक्षा करती हैं. नौसर मंदिर के पीठाधीश्वर रामा कृष्ण देव बताते हैं कि माता की प्रतिमा एक शरीर में 9 मुख धारण किए हुए हैं. नव दुर्गा के एक साथ 9 रूपों वाला माता का दिव्य और अद्भुत मंदिर और कहीं नहीं है. उन्होंने बताया कि जगतपिता ब्रह्मा ने जब पुष्कर में सृष्टि यज्ञ करने से पहले शिव और शक्ति की आराधना कर उनका आह्वान किया था. पुष्कर में चारों दिशा में भगवान शिव के चार शिवलिंग स्थापित हैं. इसी तरह आदि शक्ति दुर्गा माता के 9 स्वरूप भी पुष्कर अरण्य क्षेत्र में विराजमान हैं, जो पुष्कर की रक्षा करते हैं. यह वह पवित्र स्थान है जहां भगवान ब्रह्मा को माता ने अपने 9 रूप में दर्शन दिए थे. इसी के साथ नवदुर्गा माता यहां स्थापित हो गईं. हिंदू धर्म में कई जातियों की कुलदेवी नौसर माता हैं, इसलिए राजस्थान से ही नहीं अन्य राज्यों से माता के दर्शनों के लिए लोग अजमेर आते हैं.

नौसर माता मंदिर
नौसर माता मंदिर (ETV Bharat Ajmer)

मिट्टी की है माता की प्रतिमा : पीठाधीश्वर रामा कृष्ण देव बताते हैं कि एक बड़ी चट्टान के नीचे विराजित माता के 9 सिर वाली अद्भुत और दिव्य प्रतिमा है. नवदुर्गा माता के यहां सभी रूप एक साथ हैं. कई युगों से चट्टान के नीचे विराजमान माता की प्रतिमा पत्थर की नहीं है, बल्कि मिट्टी की है, जो अपने आप में रहस्यमय है. सदियां बीत जाने के बाद भी माता की मिट्टी की प्रतिमा पर समय और परिस्थितियों का ज्यादा असर नहीं पड़ा है. हालांकि, माता के एक सिर को बाद में ठीक किया गया है.

पांडवों ने की थी शक्ति की आराधना : पदम पुराण के अनुसार सतयुग में पुष्कर अरण्य क्षेत्र में ब्रह्मा ने यज्ञ की रक्षा के लिए नागराज की जिव्हा पर नव शक्तियों को स्थापित किया था. नाग पहाड़ नाग का ही स्वरूप माना जाता है. बताया जाता है कि द्वापर युग में वनवास काल में पांडवों ने पुष्कर की नाग पहाड़ी पर ठहराव किया था, जहां उन्होंने नौसर माता की आराधना की थी. इसके बाद पाडंवों ने पाण्डेश्वर महादेव की स्थापना की. बाद में पांडवों ने पुष्कर में नाग पहाड़ की तलहटी में पंचकुंड का निर्माण किया, जो आज भी 5 पांडवों के नाम से जाने जाते हैं.

पढ़ें. यहां गिरी थी माता सती के पैर की उंगली, कलयुग में जमवाय माता के नाम से होती है पूजा

चौहान वंश के राजाओं ने भी शक्ति की आराधना की : पीठाधीश्वर रामा कृष्णा देव बताते हैं कि 11वीं शताब्दी में पहली बार जब सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी से तराइन का युद्ध किया था, उससे पहले सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने राज कवि चंद्रवरदाई के साथ यहां विजयश्री के लिए माता की आराधना की थी. इस युद्ध में सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को परास्त किया था. सम्राट पृथ्वीराज चौहान के पूर्वज भी यहां नव दुर्गा की आराधना के लिए आया करते थे.

औरंगजेब भी नहीं पंहुचा पाया था प्रतिमा को नुकसान : उन्होंने बताया कि मुगल काल में औरंगजेब ने जब हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किया था, उस वक्त नौसर माता मंदिर को भी नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया था. मंदिर के कुछ हिस्से को औरंगजेब की सेना ने तोड़ा, लेकिन माता के नौ स्वरूप वाली प्रतिमा को औरंगजेब की सेना कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाई. बाद में अजमेर में मराठाओं के शासन में मंदिर का पुनः निर्माण करवाया गया. इसके बाद लंबे समय से रखरखाव के अभाव में मंदिर जीर्ण शीर्ण होता चला गया.

9 रूपों में विराजमान नौसर माता
9 रूपों में विराजमान नौसर माता (ETV Bharat Ajmer)

132 वर्ष पहले इन संत ने करवाया मंदिर का जीर्णोद्धार : उन्होंने बताया कि संत बुधकरण महाराज ने मंदिर का जीर्णोद्धार 131 बरस पहले करवाया था. पहाड़ी के पास जल का स्त्रोत नहीं होने के कारण मंदिर का जीर्णोद्धार करवाना आसान नहीं था. तब माता ने संत बुद्धकरण को स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि मंदिर के नीचे एक विशाल पत्थर है, जिसे हटाने पर पर्याप्त जल मिलेगा. संत बुधकरण ने माता के आदेश से विशाल चट्टान को हटवाया, जहां मीठे पानी से भरा कुंड निकला. वह कुंड आज भी मौजूद है. मान्यता है कि इस कुंड का जल कभी नहीं सूखता. संत बुधकरण के बाद संत ओमा कुमारी और उनके बाद उनके शिष्य रामा कृष्णा देव मंदिर के पीठाधीश्वर हैं.

कई हिन्दू जातियों की कुल देवी है माता : नवदुर्गा नौसर माता कई जातियों की कुलदेवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं. माहेश्वरी समाज के कई गोत्र, गुर्जर समाज के कई गोत्र, कुम्हार जाति, तेली, धोबी, ब्राह्मण, मीणा जाति के अनेक गोत्र की कुलदेवी नौसर माता हैं. देश के कोने-कोने से इन जातियों के गोत्र के वंशज माता के दर्शनों के लिए आते हैं. श्रद्धालु मनोज गुप्ता बताते हैं कि वह 40 वर्ष से माता के मंदिर में प्रतिदिन आ रहे हैं. यहां आने वाले हर भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है. यही वजह है कि एक बार माता की मंदिर में आने के बाद भक्तों का नाता हमेशा के लिए माता से जुड़ जाता है. विकट समय में माता अपने भक्तों की रक्षा जरूर करती हैं. नवरात्रि में माता के दरबार में भक्तों का मेला लगा रहता है. खासकर अष्टमी, नवमी पर माता के मंदिर में विशेष धार्मिक आयोजन, हवन और भंडारा होते हैं.

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