सागर। नौरादेही अभ्यारण्य में विस्थापन के बाद डोंगरगांव रेंज में ज्यादातर वन क्षेत्र खाली हो गया है. इसलिए टाइगर रिजर्व के इस इलाके में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए बाघों के जोड़े को छोड़ा गया है. फिलहाल बाघ-बाघिन को 1 साल तक निगरानी में रखा जाएगा. उसके बाद पर्यटक अगले सीजन में दीदार कर सकेंगे. वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ.एए अंसारी ने बताया कि टाइगर रिजर्व बनने के बाद रिजर्व एरिया के गांव का तेजी से विस्थापन कर बाघों के बेहतर रहवास के लिए लगातार प्रयास किया जा रहे हैं.
टाइगर रिजर्व के डोंगरगांव रेंज में छोड़ा बाघ-बाघिन
नरसिंहपुर जिले के अंतर्गत आने वाले टाइगर रिजर्व के डोंगरगांव रेंज में 27 मार्च 2024 को एक नर और एक मादा बाघ को छोड़ा गया है. बाघों का ये जोड़ा डोंगरगांव रेंज के विस्थापित ग्राम महका के पास व्यारमा नदी के किनारे सफलतापूर्वक छोड़ा गया. दोनों बाघ-बाघिन में रेडियो कॉलर लगे हुए हैं, जिन पर लगातार निगरानी रखी जा रही है. इन बाघों में मादा बाघ को एन-4 और नर बाघ को एन-5 नाम दिया गया है. टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर अंसारी बताते हैं कि सितंबर 2023 में मध्य प्रदेश के साथ में टाइगर रिजर्व को अधिसूचित किया गया है. इसका उद्देश्य यहां पर बाघों के रहस्वास को विकसित करना है. जब यह इलाका नौरादेही अभ्यारण्य के रूप में जाना जाता था तब यहां बाघ पाए जाते थे लेकिन 2011 के बाद यहां बाघ नजर नहीं आए.
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टाइगर रिजर्व के नए इलाके में बाघों की बसाहट की पहल
साल 2018 में नौरादेही अभयारण्य में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण परियोजना के तहत बाघ-बाघिन के जोड़े को छोड़ा गया. इसके बाद पिछले 5 सालों में बाघों की संख्या 16 पहुंच चुकी है. टाइगर रिजर्व बनने के बाद कोर एरिया में विस्थापन का काम तेजी से किया जा रहा है. टाइगर रिजर्व की डोंगरगांव रेंज के फिलहाल दो-तीन गांव ही विस्थापन के लिए बचे हुए हैं और ज्यादातर इलाका खाली हो गया है. इसी को ध्यान रखते हुए तय किया गया था कि इस इलाके में बाघों की बसाहट विकसित करने के लिए बाघ छोड़ें जाएं. इसी आधार पर वन मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा गया. वन मुख्यालय की अनुमति के बाद 27 मार्च को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लाए गए एक नर और मादा बाघ को डोंगरगांव रेंज के महका इलाके में व्यारमा नदी के पास छोड़ा गया है.